पाकिस्तान और चीन मिलकर सार्क का एक विकल्प तैयार करने की कोशिश में हैं। यह संगठन कनेक्टिविटी, ट्रेड और राजनीतिक संवाद के लिए बनाने की कोशिश होगा। सूत्रों का कहना है कि चीन ने हाल ही में जो अपने कुनमिंग शहर में त्रिपक्षीय वार्ता की थी, उसके बाद से ही इस पर विचार चल रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच कई सालों से तनाव की स्थिति है। इसके कारण से दक्षिण एशियाई देशों के अहम संगठन सार्क की गतिविधियां भी थम गई हैं। लेकिन इसका फायदा चीन और पाकिस्तान उठाने की फिराक में हैं। खबर है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर सार्क का एक विकल्प तैयार करने की कोशिश में हैं। यह संगठन कनेक्टिविटी, ट्रेड और राजनीतिक संवाद के लिए बनाने की कोशिश होगा। सूत्रों का कहना है कि चीन ने हाल ही में जो अपने कुनमिंग शहर में त्रिपक्षीय वार्ता की थी, उसके बाद से ही इस पर विचार चल रहा है। त्रिपक्षीय वार्ता में चीन ने बांग्लादेश और पाकिस्तान को आमंत्रित किया था।
बांग्लादेश में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के दौर में भारत से रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं। इसके अलावा पाकिस्तान तो उसका सदाबहार दोस्त रहा है। ऐसे में चीन को लगता है कि इन देशों को आसानी से अपने साथ लिया जा सकता है। खबर है कि यह संगठन थोड़ा बड़ा हो सकता है, जिसमें दक्षिण एशिया के देशों के अलावा मध्य एशिया के भी कुछ मुल्कों को साथ लिया जा सकता है। हालांकि भारत के जैसे रिश्ते फिलहाल चीन और पाकिस्तान के साथ हैं। ऐसी स्थिति में कुछ भी कह पाना कठिन है कि भारत का रुख क्या रहेगा।
पाकिस्तान को दिख रहा चीन के साथ ग्रुप बनाने का अवसर
पाकिस्तानी सूत्रों का कहना है कि हमारा देश सार्क समिट का लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकता है। हमारी जरूरत है कि आसपास के देशों के साथ बेहतर समन्वय के लिए कुछ किया जाए। वहीं भारत से खराब रिश्तों के नाम पर पाकिस्तान को मौका मिल गया है कि वह चीन के साथ मिलकर एक नया संगठन तैयार कर ले। बता दें कि सार्क में भारत और पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, नेपाल और श्रीलंका भी रहे हैं। इसके अलावा मालदीव भी हिस्सा है। मालदीव के साथ भी बीते दिनों भारत के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे।
सार्क समिट का आयोजन 2014 से ठप, चीन ने इसी से पाया मौका
सार्क समिट का आयोजन 2014 के बाद से ही नहीं हुआ है। 2016 में इसका आयोजन पाकिस्तान में होना था, लेकिन उरी में आतंकी हमला होने के बाद भारत ने शामिल होने से इनकार कर दिया था। तब से ही इसकी गतिविधियां ठप हैं। अब इसका लाभ उठाने की कोशिश पाकिस्तान और चीन कर रहे हैं। दरअसल चीन कभी सार्क का मेंबर नहीं रहा है और इस संगठन का सबसे बड़ा देश भारत ही है। ऐसे में संगठन की गतिविधियां ठप होने से चीन मौके की तलाश में है। वह पहले ही बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के माध्यम से दक्षिण एशिया में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में रहा है।