पटना. बच्चों को बचपन में एक कहानी अक्सर सुनाई जाती थी- शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, दाना डालेगा, लोभ में फंसना नहीं’ बच्चों वाली यह कहानी इस समय बिहार के नेता प्रतिपक्ष और आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव पर सटीक बैठ रहा है. वक्फ बोर्ड पर दिए अपने बयान पर जहां बीजेपी ने तेजस्वी यादव पर जोरदार हमला बोला है. वहीं, जेडीयू ने भी उनके सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर सवाल पूछ लिया है. दरअसल, सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव का पटना से जमुई यात्रा का पूरा विवरण पोस्ट किया गया. इसमें पटना से जमुई सवा 3 घंटे में पहुंचने का वक्त लिखा था. जेडीयू ने तेजस्वी यादव के इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की और इसकी तुलना लालू-राबड़ी राज से कर दी. तेजस्वी की पटना से जमुई की सड़क यात्रा सवा तीन घंटे में पूरी तो हो गई, लेकिन जेडीयू को बड़ा हथियार भी मिल गया. बिहार चुनाव को देखते हुए हर कदम और हर बयान का गहरा सियासी मायने निकाला जा रहा है. तेजस्वी के इस पोस्ट पर भी अब राजनीति शुरू हो गई है. ऐसे में क्या तेजस्वी यादव अपने ही जाल में फंस गए हैं?
लालू राज में सड़क यात्रा में कितना समय लगता था?
1990 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी, बिहार की सड़कों की स्थिति बदहाल थी. उस दौर को अक्सर “जंगल राज” के रूप में संबोधित किया जाता है, जब सड़कों की खराब हालत, गड्ढे, और अव्यवस्था के कारण यात्रा करना चुनौतीपूर्ण था. पटना से जमुई, जो लगभग 150-170 किलोमीटर की दूरी है, उस समय सड़क मार्ग से यात्रा करने में 6 से 8 घंटे या कभी-कभी इससे भी अधिक समय लगता था. खराब सड़कों, बार-बार रुकावटों, और सुरक्षा चिंताओं ने यात्रा को लंबा और थकाऊ बना दिया था.
1990 के दशक में जब लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी.
तेजस्वी क्यों जेडीयू के निशाने पर?
तेजस्वी जाल, रणनीति या भूल में फंस गए?

2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच सीधा मुकाबला है.
2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच सीधा मुकाबला है. तेजस्वी ने खुद को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया है, लेकिन नीतीश की अनुभवी रणनीति और जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की ताकत उनके लिए चुनौती बनी हुई है. इस घटना ने एक बार फिर साबित किया कि बिहार की सियासत में छोटी-छोटी बातें भी बड़े मुद्दे बन सकती हैं. तेजस्वी की सड़क यात्रा, जो जनता से जुड़ने का माध्यम थी, अब नीतीश सरकार की उपलब्धियों का प्रचार बन गई.