अग्नि-5 भारत की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसकी मारक क्षमता 5,000 किमी से ज्यादा है। यह 50 टन वजनी, 17.5 मीटर लंबी और तीन चरणों वाली ठोस ईंधन मिसाइल है। यह 1.5 टन तक का पेलोड आसानी से ले जा सकती है।
भारत बंकर-भेदी क्षमता वाली नई हाई पावर की मिसाइलों को तैयार कर रहा है, जो बेहद सुरक्षित माने जाने वाले भूमिगत ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम होंगी। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) अग्नि-5 अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के नए वर्जन पर काम कर रहा है। यह मिसाइल कंक्रीट की परतों के नीचे 80 से 100 मीटर तक आसानी से पहुंच सकती है। अमेरिका ने हाल ही में ईरान के परमाणु स्थलों को भारी बंकर-भेदी बमों का इस्तेमाल करके ध्वस्त कर दिया था। कहा जा रहा है कि इसे ध्यान में रखते हुए डीआरडीओ भी कुछ ऐसी ही ताकत हासिल करना चाहता है।
मौजूदा अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5 हजार किलोमीटर से अधिक है। यह पारंपरिक हथियार ले जाती है। अग्नि-5 के नए वर्जन में 7500 किलोग्राम वजनी बंकर-भेदी हथियार ले जाने की क्षमता होगी। भारत का लक्ष्य इस मिसाइल के जरिए दुश्मन के कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर, मिसाइल साइलो और अहम सैन्य ढांचे को निशाना बनाना है। यह मिसाइल हाइपरसोनिक होगी, जो मैक 8 से मैक 20 की गति तक पहुंच सकती है। इसकी लागत बहुत अधिक नहीं रखी जाएगी। यह तेजी से प्रतिक्रिया देने वाला हथियार होगा, जो अमेरिका के महंगे बी-2 बॉम्बर विमानों पर निर्भर बंकर-भेदी बमों से एक कदम आगे हो।
अग्नि-5 के दो वर्जन पर हो रहा काम
रिपोर्ट के अनुसार, अग्नि-5 के दो नए वर्जन तैयार किए जा रहे हैं। पहला संस्करण जमीन के ऊपर विस्फोट करने वाला हथियार होगा, जबकि दूसरा गहराई तक प्रवेश करने वाली मिसाइल होगी। यह भूमिगत ढांचों को नष्ट करने में सक्षम होगी। इन मिसाइलों का वजन लगभग 8 टन होगा। इनकी रेंज 2,500 किलोमीटर तक होगी। यह नई मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगी। खासतौर से रणनीतिक सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में इनकी उपयोगिता काफी बढ़ जाएगी। डीआरडीओ की ओर से अग्नि-5 के मॉडर्न वर्जन पर ऐसे समय में काम किया जा रहा है, जब चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत के लिए इन घातक हथियारों का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।