होम देश Pahalgam will resonate in the BRICS conference Focus may be on the fight against terror BRICS सम्मेलन में गूंजेगा पहलगाम!आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर हो सकता है फोकस, India News in Hindi

Pahalgam will resonate in the BRICS conference Focus may be on the fight against terror BRICS सम्मेलन में गूंजेगा पहलगाम!आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर हो सकता है फोकस, India News in Hindi

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ब्राजील में शुरू होने जा रहे ब्रिक्स सम्मेलन में इस बार पहलगाम हमले की एक स्वर में निंदा हो सकती है। विदेश मंत्रालय के सचिव ने कहा कि घोषणापत्र में भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का आह्वान संभव है।

ब्राजील में आयोजित होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में समूह के नेताओं की ओर से जारी किए जाने वाले घोषणापत्र में भारत की उम्मीद के अनुरूप पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा और आतंकवाद का एकजुट होकर सामना करने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान शामिल होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रियो डी जेनेरियो में छह और सात जुलाई को आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। भारत अगले साल ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करेगा।

प्रधानमंत्री दो से नौ जुलाई तक पांच देशों की अपनी यात्रा के तहत ब्राजील पहुंचेंगे। वह जिन अन्य देशों की यात्रा करेंगे, उनमें घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया शामिल हैं। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने संवाददाताओं से कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में मोदी की भागीदारी समूह के साथ भारत की एकजुटता की अभिव्यक्ति होगी और उनके लिए ‘ग्लोबल साउथ’ के नेताओं से जुड़ने का एक बड़ा मौका होगा।

रवि ने कहा कि ब्रिक्स नेताओं के घोषणापत्र में आतंकवाद की चुनौती का जिक्र होगा, जो भारत के लिए काफी संतोषजनक है। उन्होंने कहा, “पहलगाम पर भारत के रुख के साथ अपनी सहमति, सहानुभूति और एकजुटता को लेकर सदस्यों ने जो दृष्टिकोण अपनाया है, उसमें कोई विरोधाभास नहीं है। मुझे लगता है कि इसे नेताओं की घोषणा में अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है और सभी सदस्य इस मामले को लेकर बहुत संवेदनशील हैं।”

रवि ने कहा, “आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीके पर भी व्यापक समझ है और इससे निपटने में किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। मुझे लगता है कि इसे बहुत अच्छी तरह से समझा गया है।” उन्होंने कहा, “जब आपको घोषणापत्र मिलेगा, तो आप देखेंगे कि इसकी भाषा हमारे लिए संतोषजनक है।” ब्रिक्स दुनिया की 11 प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है, जो लगभग 49.5 फीसदी वैश्विक आबादी, करीब 40 प्रतिशत वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और लगभग 26 फीसदी वैश्विक व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं।

ब्रिक्स घोषणापत्र में ईरान-इजराइल संघर्ष का जिक्र होने की भी उम्मीद है। रवि ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से चार ठोस “उपलब्धियां” हासिल होने की उम्मीद है, जिनमें वैश्विक शासन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु वित्त पर एक मासौदा घोषणापत्र और सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझेदारी शामिल है।

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के उनके समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर रवि ने केवल इतना कहा कि यह भारत के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक अहम मंच होगा।रवि ने संकेत दिया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, “‘ग्लोबल साउथ’ के देश भी विकल्प तलाश रहे हैं। यह ‘डी-डॉलराइजेशन’ का मुद्दा नहीं है। देश राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन भी कर रहे हैं। यह काफी समय से हो रहा है।” रवि ने कहा कि ब्रिक्स इस बात को लेकर सहमति बना रहा है कि राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और परियोजनाएं शुरू करने के लिए वैकल्पिक तंत्र होना कितना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “यह एक प्रक्रिया है और हमें विश्वास है कि आने वाले दिनों में इसमें तेजी आएगी।”

ब्रिक्स में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल था। 2024 में समूह का विस्तार करके मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को इसका सदस्य बनाया गया था। 2025 में इंडोनेशिया इसका हिस्सा बना। वहीं, ‘ग्लोबल साउथ’ से अभिप्राय विकासशील और अल्प विकसित देशों से हैं।

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