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बिहार चुनाव 2025: सीवान में बढ़ी पीएम मोदी की डिमांड, लालू-नीतीश को घर ले जा रहे हैं लोग, आखिर क्या है माजरा?

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Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कुर्सियों का नया किस्सा सामने आया. यहां नेताओं की तस्वीर वाली कुर्सियों जमकर बेची जा रही हैं.

चुनाव से पहले कुर्सियों की डिमांड.

हाइलाइट्स

  • बिहार में चुनावी बयार के बीच चुनावी कुर्सी चर्चा में.
  • लालू, नीतीश, पीएम मोदी छपी कुर्सी खरीद रहे लोग.
  • चुनाव से पहले इन कुर्सियों की जमकर बिक्री हो रही है.

रिपोर्टः मृत्युंजय सिंह
पटनाः
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव से हलचल अब जमीन पर दिखने लगी है. सीवान जिले से एक दिलचस्प चुनावी रंग सामने आ रहा है. जहां नेता अब सिर्फ मंचों और बैनरों पर नहीं, बल्कि आम जनता की कुर्सियों पर भी विराजमान हो गए हैं. सीवान के बाजारों में इन दिनों राजनीतिक दलों के सिंबल और बड़े नेताओं की तस्वीरों वाली कुर्सियों की जोरदार बिक्री हो रही है. चाहे बीजेपी हो, जेडीयू, आरजेडी या कोई अन्य क्षेत्रीय पार्टी, सभी के नेता अब कुर्सियों पर छपे नजर आ रहे हैं.

बाजार में उपलब्ध इन कुर्सियों पर एक तरफ पार्टी का सिंबल होता है, तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद नेता तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे दिग्गजों की तस्वीरें छपी होती हैं. बीजेपी की कुर्सियों पर भगवा रंग के साथ पीएम मोदी और अमित शाह की तस्वीर है, वहीं जेडीयू की कुर्सियों पर नीतीश कुमार की मुस्कुराती छवि है. राजद समर्थक लाल-हरे रंग की कुर्सियों पर तेजस्वी और लालू यादव की तस्वीरों वाली कुर्सियों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं.

कितनी है कुर्सी की कीमत

सीवान के दुकानदारों की मानें तो इस बार चुनावी मौसम में कुर्सियों की डिमांड पिछले चुनावों की तुलना में काफी बढ़ गई है. दुकानदारों को ऑर्डर पर ऑर्डर मिल रहे हैं और लोग अपने पसंदीदा नेताओं और पार्टियों के सिंबल वाली कुर्सियां खरीदकर घर ले जा रहे हैं. इन कुर्सियों की कीमत 600 से 650 रुपये के बीच है और लोग चुनाव प्रचार या घरेलू उपयोग के लिए इन्हें खरीद रहे हैं. कुछ लोग तो इन्हें शादी-ब्याह या सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी राजनीतिक पसंद जाहिर करने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

बढ़ गई डिमांड

गौर करने वाली बात यह है कि अब सिर्फ बड़ी पार्टियों की नहीं, बल्कि छोटे दलों की तस्वीरें वाली कुर्सियों की भी मांग बढ़ गई है. स्थानीय स्तर के नेता भी इस नए ट्रेंड को भुनाने में लगे हुए हैं. सीवान में चुनावी सरगर्मी अब सिर्फ भाषणों और रैलियों तक सीमित नहीं रह गई है. अब ये सरगर्मी लोगों के ड्राइंग रूम, दरवाजे और बैठकों तक पहुंच गई है. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आएगी, ये ट्रेंड और भी व्यापक रूप ले सकता है. शायद अब पार्टियों के प्रचार अभियान में पोस्टर, बैनर के साथ-साथ ‘कुर्सी युद्ध’ भी अहम भूमिका निभाएगा.

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Mahesh Amrawanshi

माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर किया. वर्तमान में न्‍यूज़18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. राजनीति, क्राइम से जुड़ी खबरें लिखने में रूचि.

माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर किया. वर्तमान में न्‍यूज़18 हिंदी डिजिटल में कार्यरत. राजनीति, क्राइम से जुड़ी खबरें लिखने में रूचि.

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सीवान में बढ़ी पीएम मोदी की डिमांड, लालू-नीतीश को घर ले जा रहे हैं लोग

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