होम देश India Rejects Court Of Arbitration Ruling On Jammu and Kashmir Dam Projects Indus Waters Treaty Illegal पाकिस्तान की फिर बेइज्जती, फर्जी मध्यस्थता न्यायालय का दिखा रहा था धौंस; भारत ने निकाल दी हवा, India News in Hindi

India Rejects Court Of Arbitration Ruling On Jammu and Kashmir Dam Projects Indus Waters Treaty Illegal पाकिस्तान की फिर बेइज्जती, फर्जी मध्यस्थता न्यायालय का दिखा रहा था धौंस; भारत ने निकाल दी हवा, India News in Hindi

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विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मध्यस्थता न्यायालय का कोई कानूनी आधार नहीं है और इसका गठन ही सिंधु जल संधि का उल्लंघन करता है। बयान में कहा गया कि भारत ऐसे न्यायालय या उसके किसी भी निर्णय को मान्यता नहीं देता है।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 June 2025 09:51 PM

पड़ोसी देश पाकिस्तान की एक और चालाकी और धूर्तता को भारत ने नाकाम कर दिया है। दरअसल, भारत ने सिंधु जल संधि के नाम पर गठित मध्यस्थता न्यायालय को कानूनी तौर पर अवैध करार दिया है और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं की क्षमता को लेकर उसके एक तथाकथित पूरक आदेश को खारिज कर दिया है। पाकिस्तान इस फर्जी मध्यस्थता न्यायालय की आड़ में भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी चालबाजी फुस्स हो गई।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि कथित रूप से सिंधु जल संधि 1960 के तहत गठित अवैध मध्यस्थता न्यायालय ने आज केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं की क्षमता को लेकर एक तथाकथित पूरक आदेश पारित किया है। भारत ने कभी भी इस तथाकथित मध्यस्थता न्यायालय के अस्तित्व को मान्यता नहीं दी है और भारत का मानना है कि इस तथाकथित मध्यस्थ निकाय का गठन अपने आप में सिंधु जल संधि का गंभीर उल्लंघन है और इसके परिणामस्वरूप इस मंच के समक्ष कोई भी कार्यवाही और इसके द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय या आदेश भी इस कारण से अवैध है।

भारत ने खारिज किया मध्यस्थता अदालत का फैसला

बयान में कहा गया है कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए सिंधु जल संधि पर अमल को तब तक रोक दिया है, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना विश्वसनीय तौर पर बंद नहीं कर देता। भारत अब संधि के तहत अपने किसी भी दायित्व का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है। इस अवैध मध्यस्थता न्यायालय के अलावा भी मध्यस्थता के किसी भी निकाय के पास भारत के संप्रभु कार्यों की वैधता की जांच करने का अधिकार नहीं है। इसलिए,भारत इस तथाकथित पूरक आदेश को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करता है क्योंकि उसने इस निकाय की सभी पूर्व घोषणाओं को अस्वीकार किया है।

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पाक के इशारे पर था ये नाटक: विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के इशारे पर यह नवीनतम नाटक आतंकवाद के वैश्विक केंद्र के रूप में उसकी भूमिका के लिए जवाबदेही से बचने का एक और हताश प्रयास है। इस मनगढ़ंत मध्यस्थता तंत्र का सहारा लेना पाकिस्तान के दशकों से चले आ रहे धोखे और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हेराफेरी करने की उसकी आदतों के अनुरूप है।

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