होम विदेश B-2 बॉम्बर, 37 घंटे, 23000 KM… ईरान में तबाही की आंखों देखी, जानें कैसे टूटी न्यूक्लियर दीवार

B-2 बॉम्बर, 37 घंटे, 23000 KM… ईरान में तबाही की आंखों देखी, जानें कैसे टूटी न्यूक्लियर दीवार

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बी-2 बॉम्बर

ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट्स पर हमला करने वाले अमेरिका के B-2 बॉम्बर के कॉकपिट से एक रिपोर्ट सामने आई है. ऐसी रिपोर्ट जिसने बताया है कि अमेरिका के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से 11500 किलोमीटर दूर ईरान की फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर बंकर बस्टर GBU-57 बमों से बमबारी कैसे की गई, B-2 बॉम्बर के 14 पायलेटों ने दुनिया के इस सबसे खतरनाक मिशन की तैयारी कैसे की, इस आपरेशन के पूरे 37 घंटे के दौरान क्या हुआ और अमेरिका के ऑपरेशन मिडनाइट हैमर से ईरान के एटमी ठिकानों को वास्तव में कितना नुकसान हुआ?

22 जून को अमेरिका के मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस पर दो B-2 बॉम्बर वापस लौटे. ये उन सात B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर में से एक थे, जिसने ईरान के फोर्दो और नतांज न्यूक्लिर सेंटर पर 13,600 किलो वजन वाले दुनिया के सबसे बड़े बंकर बस्टर बम GBU-57 दागे थे. अमेरिका ने इस हमले को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर नाम दिया. फोर्दो, नतांज और इस्फहान में तबाही मचाने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सबके सामने आए और कहा कि ये ऑपरेशन अमेरिका के अलावा दुनिया की कोई ताकत नहीं कर सकती थी क्योंकि ये ऑपरेशन सिर्फ B-2 बॉम्बर से ही हो सकता था.

इस पूरे ऑपरेशन में कुल 75 प्रिसिशन गाइडेड वेपंस यानी सटीक हमला करने वाले हथियार का इस्तेमाल किया गया. हमले में 125 एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया, जिनमें 7 B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर के साथ कई फाइटर जेट्स, रीफ्यूलिंग टैंकर और स्टेल्थ विमान शामिल थे, लेकिन ऑपरेशन मिडनाइट हैमर की रणनीति कैसे बनी, इस ऑपरेशन से ईरानी एटमी कार्यक्रम को कितना नुकसान हुआ? पहली बार B-2 बॉम्बर की कॉकपिट से इसे लेकर पक्की रिपोर्ट आई है.

पायलट्स ने तनाव के वो 37 घंटे कैसे बिताए?

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के लिए B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर ने 37 घंटे तक उड़ान भरी. ये B-2 बाम्बर का दूसरा सबसे लंबा मिशन था. इससे पहले अफगानिस्तान में 44 घंटे का एक ऑपरेशन अंजाम दिया था. इस ऑपरेशन के पूरे 37 घंटे के दौरान B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर में क्या हुआ, इसके एक पायलट की जुबानी पूरी कहानी सामने आई है. ये B-2 बॉम्बर की कॉकपिट से ईरान के एटमी ठिकानों पर मिडनाइट हैमर स्ट्राइक की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट है.

ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के बाद पहली बार पता चला है कि B-2 बॉम्बर में मौजूद पायलट्स ने तनाव के वो 37 घंटे कैसे बिताए थे. B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर में कौन-कौन सी सुविधा थी. और क्या-क्या परेशानियां थीं? 37 घंटे… पूरी दुनिया की नजरों से ओझल रहकर… अमेरिका के सात B-2 बॉम्बर्स ने ईरान के दिल में उतरकर वह काम किया जो आज तक कभी नहीं हुआ था. ईरान के 3 सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित परमाणु ठिकानों फोर्दो, नतांज़ और इस्फहान पर ऐसे बम बरसे, जो पहाड़ों को चीर दें, लेकिन ये सिर्फ एक मिशन नहीं था. ये 37 घंटे की वो कहानी है जो पहली बार उन पायलट्स ने सुनाई है जिन्होंने दुनिया की सबसे घातक उड़ान भरी और ईरान को धमकाकर वापस लौट आए.

21 जून की आधी रात को क्या हुआ?

अमेरिका के मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयरबेस से सात B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स उड़े. इन्हें हर हाल में दुनिया की नजरों से बचकर लगभग 11,500 किलोमीटर दूर ईरान के फोर्दो न्यूक्लियर ठिकाने तक पहुंचना था और फिर बेस पर वापस भी लौटना था, यानी जाना, बमबारी करना और फिर लौटना. इसमें करीब 23,000 किलोमीटर की उड़ान भरनी थी. ये दूरी अमेरिकी B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर ने करीब 37 घंटे की नॉन-स्टॉप उड़ान में पूरी की. इस दौरान कई बार बीच हवा में रिफ्यूलिंग भी की गई थी.

ये फुल पेलोड कैपिसिटी के साथ B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स के साथ दूसरा सबसे लंबा मिशन होने वाला था इसलिए ईरान के फोर्दो पर हमला करने के लिए अपने 37 घंटे के मिशन को उड़ाने से पहले अमेरिकी वायु सेना के पायलटों ने B-2 बॉम्बर के उड़ान सिम्युलेटर बड़ी तैयारी की. इस मिशन से पहले, पायलटों ने 24 घंटे तक सिम्युलेटर में उड़ान भरी. उन्हें टारगेट फोर्दो जैसा ही बनाया गया था. स्लीप साइकल बदला गया. शरीर को लंबी उड़ान के लिए तैयार किया गया और हर सेकेंड की प्रैक्टिस की गई.

‘जीवनभर नहीं भूल सकते ये रोमांच’

सिम्युलेटर में बिल्कुल वैसी ही स्थितियां बनाई गईं जैसी, ईरान के फोर्दो और नजांत में होने वाली थीं. वही रास्ते, खतरों का बिल्कुल वैसा ही अहसास और उतना ही थका देने वाला अभ्यास. ये अभ्यास बार-बार किया गया. फोर्दो पहुंचकर हर B-2 बॉम्बर ने 2-2 बम गिराए. एक GBU-57 बंकर बस्टर बम में 13,600 किलो वजन था, यानी हर B-2 बॉम्बर ने 27,200 किलो वजन के पेलोड रिलीज किए. इतने भारी भरकम पेलोड रिलीज करते ही B-2 ‘स्पिरिट’ बॉम्बर एक झटके के साथ ऊपर की ओर उछल गया. ये बात मिशन में शामिल एक पूर्व पायलट अमेरिकी वायुसेना के लेफ्टिनेंट जनरल स्टीवन बाशम ने बताई है. स्टीवन बाशम B-2 में 9 साल तक फ्लाइंग मिशन कर चुके हैं.

उन्होंने बताया कि जब GBU-57 बम छोड़ा जाता है, तो विमान का वजन अचानक कम हो जाता है और वो झटके से ऊपर उठता है. ये अहसास बेचैन करने वाला और रोमांचक था. इसे जीवनभर नहीं भूल सकते. B-2 बॉम्बर में दो पायलट होते हैं. इसमें एक छोटा टॉयलेट, एक मिनी ओवन और पीछे एक पतली सी जगह जहां सोया जा सकता है. अमेरिकी वायुसेना के लेफ्टिनेंट जनरल स्टीवन बाशम ने बताया कि ये अहसास बिल्कुल ऐसा था जैसे अपने बाथरूम से निकले और सीधे युद्ध में कूद पड़े.

हमले के बाद सैटेलाइट इमेज में दिखा कि फोर्दो के पहाड़ों से काला धुआं निकल रहा था. नतांज में अंडरग्राउंड फैसिलिटी जल चुकी थी और इस्फहान का यूरेनियम प्रोसेसिंग यूनिट खामोश हो गया था. अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि हमने दुनिया को दिखा दिया, बिना लैंड किए, बिना देखे गए, हम ईरान पहुंच सकते हैं और जो चाहे उड़ा सकते हैं.

क्या युद्ध से इजराइल को अपने लक्ष्य हासिल हुए?

ये था ऑपरेशन मिडनाइट हैमर का पूरा सच. इस हमले ने दिखा दिया कि अमेरिका अब सिर्फ चेतावनी नहीं देता, सीधे कार्रवाई करता है. B-2 बॉम्बर के पायलटों ने बता दिया कि दुनिया में कहीं भी मिशन करना अमेरिका के लिए असंभव नहीं है, लेकिन इन बड़े बड़े दावों के बीच एक सवाल बाकी रह गया. क्या वाकई ऑपरेशन मिडनाइट हैमर 100 फीसदी सफल रहा, क्या 12 दिन के युद्ध से इजराइल को अपने लक्ष्य हासिल हुए, क्या इजराइली शहरों के विनाश के कीमत पर ट्रंप और नेतन्याहू ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर पाए? ये सवाल इसलिए हैं क्योंकि TV9 की इन्वेस्टिगेशन में ये पता लगा है कि ईरान के पास अभी भी एनरिच्ड यूरेनियम सुरक्षित है क्योंकि जो ठिकाने बर्बाद हुए हैं वहां एनरिच्ड यूरेनियम नहीं था.

ईरान का यूरेनियम एक 5,000 फीट ऊंचे पहाड़ के नीचे है. इस पहाड़ की तलहटी के 328 फीट नीचे नया यूरेनियम स्टोरेज बनाया गया है. ये ठिकाना ईरान के एक परमाणु केंद्र के करीब है. यहीं 400 किलोग्राम एनरिच्ड यूरेनियम और सेंट्रीफ्यूज रखे गए हैं. ईरान जानता था कि ऑपरेशन मिडनाइट हैमर का टारगेट कौन-कौनसे ठिकाने हैं और इसीलिए यूरेनियम बचाने का ऑपरेशन पहले ही शुरू कर दिया गया था. ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के बंकर बस्टर बम फटे और इन परमाणु ठिकानों में रखा यूरेनियम कहीं खो गया.

अब अमेरिका से ही ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम एक बार फिर इजराइल के लिए खतरे की घंटी बन चुका है. 408 किलो हाई एनरिच्ड यूरेनियम, जो 10 न्यूक्लियर बम बनाने के लिए काफी था, अमेरिकी और इजराइली हमले से पहले ही गायब हो गया, यानी अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल और GBU-57 बंकर बस्टर भी ईरान के अंडरग्राउंड बंकरों को पूरी तरह तबाह नहीं कर सके. अब ईरान का ये 408 किलो यूरेनियम अमेरिका और इजराइल के डर का ट्रिगर बन गया है.

ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष

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