होम बिज़नेस bira beer manufacturer company is in trouble selling new shares at a huge discount बीरा बीयर बनाने वाली कंपनी की मुश्किलें बढ़ीं, भारी छूट पर बेच रही नए शेयर, Business Hindi News

bira beer manufacturer company is in trouble selling new shares at a huge discount बीरा बीयर बनाने वाली कंपनी की मुश्किलें बढ़ीं, भारी छूट पर बेच रही नए शेयर, Business Hindi News

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कंपनी के शेयर ₹325 प्रति शेयर के भाव पर बेचे जा रहे हैं। यह कीमत पिछले निवेश से 55% कम है, जब जापान की किरिन कंपनी ने ₹700 से अधिक प्रति शेयर के भाव पर पैसा लगाया था। B9 के लगभग 6,500 निजी निवेशक हैं, और एक बड़ा फैमिली ऑफिस भी पहली बार इसमें पैसा लगाने वाला है।

बीरा बीयर बनाने वाल कंपनी B9 बेवरेजेज ने अपने मौजूदा निवेशकों को भारी छूट पर नए शेयर बेचकर अब तक ₹85 करोड़ जुटा लिए हैं। कंपनी खर्चे कम करने के लिए कर्मचारियों की संख्या घटा रही है और अपने कारोबार को सिर्फ कुछ चुनिंदा बाजारों तक सीमित कर रही है। यह जानकारी कंपनी के करीबी लोगों ने दी।

और पैसे की जरूरत

कंपनी कुल ₹100 करोड़ जुटाना चाहती है। यह पैसा राइट्स इश्यू के जरिए आएगा, जहा मौजूदा शेयरधारकों को उनकी हिस्सेदारी के अनुपात में नए शेयर खरीदने का अधिकार दिया जाता है। बाकी बचे ₹15 करोड़ जुलाई के मध्य तक जुटाने की योजना है।

शेयरों में भारी छूट

ये शेयर ₹325 प्रति शेयर के भाव पर बेचे जा रहे हैं। यह कीमत पिछले निवेश से 55% कम है, जब जापान की किरिन कंपनी ने ₹700 से अधिक प्रति शेयर के भाव पर पैसा लगाया था। B9 के लगभग 6,500 निजी निवेशक हैं, और एक बड़ा फैमिली ऑफिस भी पहली बार इसमें पैसा लगाने वाला है।

कर्मचारियों में कटौती

पिछले दो सालों में बहुत से कर्मचारी कंपनी छोड़कर गए। उन्होंने अपने कर्मचारी स्टॉक विकल्प (ESOPs) बेच दिए। कंपनी ने कर्मचारियों की संख्या भी घटाई है। पहले करीब 975 कर्मचारी थे, अब सिर्फ 500 बचे हैं। एक अधिकारी ने बताया, “आईपीओ से पहले जोमैटो के भी इतने शेयरधारक नहीं थे, जितने आज B9 के हैं।”

क्यों घाटा बढ़ा?

बीयर बनाने का धंधा पैसे-खपत वाला है। राज्य सरकारें बिक्री पर लगने वाले टैक्स के रूप में राजस्व का दो-तिहाई हिस्सा ले लेती हैं। साथ ही, ढुलाई का खर्च भी ज्यादा होता है। इसका असर कंपनी के नतीजों पर दिखा। 2023-24 में कंपनी का राजस्व ₹824.3 करोड़ से घटकर ₹638.5 करोड़ रह गया। उसी साल नुकसान बढ़कर ₹748.8 करोड़ हो गया, जो पिछले साल ₹445.4 करोड़ था। कंपनी ने अपना आईपीओ भी 2026 से टालकर 2028 कर दिया है।

बदल रही है रणनीति

कंपनी अब देश के 25-30 बाजारों की बजाय सिर्फ बड़े महानगरों और चार टियर-2 शहरों पर ध्यान देगी। वह अपनी बीयर खुद बनाने के बजाय अब दूसरों से बनवाएगी (कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग)। इससे उसे सालाना ₹600 करोड़ की बचत होगी।

सिर्फ ग्वालियर और नागपुर की दो ब्रेवरी अब उसके लिए खासतौर पर बीयर बनाएंगी। आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर फोकस बढ़ाया जाएगा, जो उसके राजस्व का 55% हिस्सा हैं।

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आगे की उम्मीदें

कंपनी को उम्मीद है कि नई रणनीति से उसका मुनाफा बढ़ेगा। 2026 तक उत्पादन क्षमता 2.5 करोड़ केस से घटाकर 1.5 करोड़ केस की जाएगी। कारखानों के खर्च में 50% तक कटौती होगी। 2024 में 63% रहे मार्जिन के 2026 तक 66% होने की संभावना है।

कंपनी के एक अधिकारी का कहना है, “₹325 का भाव पिछले निवेश से सस्ता है, इसलिए कर्मचारी भी शेयर खरीद रहे हैं। दिल्ली जैसे बाजारों में हमारी पकड़ मजबूत हो रही है।”

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