होम झारखंड मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रत्येक प्रखंड के 10 विद्यालयों में लें फिडबैक : डीडीसी

मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता की जांच के लिए प्रत्येक प्रखंड के 10 विद्यालयों में लें फिडबैक : डीडीसी

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प्रमुख संवाददाता, देवघर : जिले में मिड डे मिल की गुणवत्ता पर विशेष फोकस करें. गुणवत्ता की जांच के लिए प्रत्येक प्रखंड से 10 विद्यालयों का चयन कर पूरक पोषण वितरण का फिडबैक लिया जायेगा. एमडीएम की गुणवत्ता, समयबद्धता और नियमितता में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी. उक्त निर्देश डीडीसी पीयूष सिन्हा ने मिड डे मिल की समीक्षा के दौरान शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में दिया. उन्होंने कहा कि पूरक पोषण के अंतर्गत प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को अंडा या फल (जैसे केला) वितरित किया जाये. मिड डे मिल के लिए प्रत्येक प्रखंड में बीइइओ ऑडिट रिपोर्ट तैयार करें. डीडीसी ने मौजूद पदाधिकारियों को बताया कि 10-10 विद्यालयों का हर प्रखंड में चयन करें और फिडबैक लेकर गुणवत्ता में सुधार लायें. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे समर्पण भाव से इस योजना के सफल क्रियान्वयन में अपनी भूमिका निभायें. रिजल्ट में पिछड़े 50 व सबसे कमजोर 10 विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति में सुधार लायें डीडीसी ने शिक्षा विभाग के अफसरों से कहा कि जिले के प्रदर्शन में पीछे रहे 50 और प्रत्येक प्रखंड के सबसे कमजोर 10 विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति में सुधार लायें. इन विद्यालयों की प्रगति के लिए लक्ष्य निर्धारित कर सभी संबंधित अफसरों को गंभीरता पूर्वक समन्वय के साथ काम करने की जरूरत है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अगली बैठक विशेष रूप से इन्हीं पिछड़े विद्यालयों की प्रगति पर केंद्रित होगी, ताकि यह आकलन किया जा सके कि निर्धारित लक्ष्यों की दिशा में कितना सुधार हुआ. उन्होंने चावल वितरण की स्थिति पर निर्देश दिया कि बीइइओ प्रत्येक विद्यालय में चावल के वितरण की नियमित जांच करें. जिन विद्यालयों में चावल समय पर नहीं पहुंच रहा है, उनकी पहचान कर उसकी रिपोर्ट तैयार करें. यह रिपोर्ट सभी विद्यालयों के लिए एकीकृत रूप से प्रस्तुत करें, ताकि खाद्यान्न आपूर्ति की स्थिति में पारदर्शिता रहे. बैठक में डीएसइ, बीइइओ व एबीएफ सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे. हाइलाइट्स मिड डे मिल व पिछड़े स्कूलों की डीडीसी ने की समीक्षा, अधिकारियों को दिये निर्देश रिजल्ट में पिछड़े विद्यालयों पर विशेष फोकस करें विद्यालयों में चावल वितरण की नियमित जांच करें

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