होम नॉलेज एक्सिओम-4 मिशन में क्या-क्या होगा, भारत के शुभांशु के साथ दूसरे एस्ट्रोनॉट क्यों गए?

एक्सिओम-4 मिशन में क्या-क्या होगा, भारत के शुभांशु के साथ दूसरे एस्ट्रोनॉट क्यों गए?

द्वारा

एक्सिओम-4 मिशन के दौरान चारों अंतरिक्षयात्री 14 दिनों तक इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन में रहेंगे.

6 बार तकनीकी दिक्कतों के कारण टलने वाला एक्सिओम-4 मिशन बुधवार दोपहर 12 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ. भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला तीन अन्य एस्ट्रोनॉट के साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए. फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुए इस मिशन के 28.5 घंटे बाद स्पेसक्राफ्ट ISS से जुड़ेगा. यानी 26 जून को शाम 4 बजकर 30 मिनट पर यह अपनी मंजिल तक पहुंचेगा.इस मिशन के साथ ही एक रिकॉर्ड भी बना है. भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं.

जानिए क्या है पूरा एक्सिओम-4 मिशन, इस मिशन के दौरान अंतरिक्षयात्री क्या-क्या करेंगे, कौन हैं वो चारों एस्ट्रोनॉट जिनके कंधे पर मिशन की सफलता की जिम्मेदारी, भारत के लिए यह मिशन क्यों है जरूरी.

क्या है एक्सिओम-4 मिशन, क्या करेंगे अंतरिक्षयात्री?

एक्सिओम-4 मिशन एक प्राइवेट स्पेस मिशन है. इसे स्पेस एजेंसी NASAऔर अमेरिकी प्राइवेट स्पेस कंपनी एक्सिओम स्पेस ने मिलकर लॉन्च किया है. इस मिशन के जरिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS में कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे. आसान भाषा में समझें तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धरती के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान जैसा है. यहीं एस्ट्रोनॉट रहेंगे और यहां की माइक्रोग्रेविटी में कई तरह के प्रयोग करेंगे. 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करने वाला ISS मात्र 90 मिनट में धरती की परिक्रमा पूरी कर लेता है.

India To Make Space Station

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन.

यही रहते हुए एस्ट्रोनॉट सलाद के बीजों को अंकुरित करके देखेंगे कि वो चालक दल के लिए कितने पोषक तत्वों से भरपूर हैं. माइक्रोग्रेविटी पर मेटाबॉलिक सप्लिमेंट का अंतरिक्षयात्रियों की मांसपेशियों पर क्या असर पड़ता है, जानने की कोशिश की जाएगी.

पूरे दो हफ्ते चलने वाले इस मिशन के दौरान सूक्ष्म शैवालों पर माइक्रोग्रेविटी रेडिएशन का असर देखा जाएगा. यूरिया और नाइट्रेट पर साइयनोबैक्टीरिया किस तरह से रिएक्ट करते हैं. यह भी जाना जाएगा. इस तरह पूरा मिशन कई तरह के प्रयोग के लिए समर्पित है. इस मिशन के जरिए अंतरिक्ष में नई तकनीक की टेस्टिंग और उनके डेवलपमेंट का रास्ता भी साफ होगा.

एक्सिओम-4 से पहले कौन से थे 3 मिशन?

बुधवार को एक्सिओम का चौथा प्राइवेट मिशन लॉन्च किया गया है. इससे पहले अप्रैल, 2022 में 17 दिन का एक्सिओम-1 लॉन्च किया गया था. वहीं, मई 2023 में 8 दिन का एक्सिओम-2 और और जनवरी 2024 में 18 दिन का तीसरा मिशन लॉन्च हुआ था.

यह मिशन भारत के लिए क्यों है जरूरी?

एक्सिओम-4 में भारतीय पायलट शुभांशु शुक्ला की मौजूदगी से यह मिशन और भी खास हो गया है. इससे भारत की साख में इजाफा कैसे होगा, आइए इसे समझते हैं.शुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना (IAF) के प्रतिष्ठित पायलट ग्रुप कैप्टन हैं और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ऐतिहासिक गगनयान मिशन का भी हिस्सा हैं.

एक्सिओम मिशन-4 से मिलने वाला अनुभव भारत के अगले स्पेश मिशन के लिए बहुत खास होगा. इससे भारत को तकनीक, सामाजिक, वैज्ञानिक और आर्थिक तौर पर फायदा होगा. भारत के गगनयान और अगले स्पेस स्टेशन की नींव मजबूती के साथ रखी जा सकेगी. एक्सिओम मिशन-4 भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में ग्लोबल पावर के रूप में पेश करेगा. चंद्रयान-3 मिशन के जरिए भारत पहले ही स्पेस पावर का लोहा मनवा चुका है अब इस मिशन से भारत की छवि और विशाल होगी.

कौन हैं वो चारों अंतरिक्षयात्री?

Shubhanshu Shukla

शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला: 2,000 घंटे की उड़ान भरने का अनुभव

चालक दल के सदस्यों में पहला नाम भारत के शुभांशु शुक्ला का है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) पुणे से प्रशिक्षण लिया और 2006 में इंडियन एयरफोर्स (IAF) के लड़ाकू विंग में तैनात हुए. मार्च 2024 में वो ग्रुप कैप्टन बने. शुभांशु के पास अलग-अलग विमान से 2,000 घंटे की उड़ान भरने का अनुभव है. वो Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 सहित कई विमान उड़ा चुके हैं. शुभांशु को इसरो के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए भी चुना गया है.

Peggy Whitson

पैगी व्हिटसन

पैगी व्हिटसन: अमेरिकी की अनुभवी एस्ट्रोनॉट

पैगी व्हिटसन एक्सिओम स्पेस की ह़यूमन स्पेसफ्लाइट की निदेशक हैं. वह इस अभियान में कॉमर्शियल मिशन की कमान संभाल रही हैं. पैटी अमेरिकी की अनुभवी एस्ट्रोनॉट हैं. पैगी एक्सिओम के दूसरे मिशन में बतौर कमांडर काम कर चुकी हैं. वो अंतरिक्ष में 665 दिन बिता चुकी हैं. उन्होंने बायोलॉजी और केमेस्ट्री में डिग्री हासिल की है. उन्होंने राइस यूनिवर्सिटी से बायो-केमिस्ट्री में डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल की है. पैगी के माता-पिता किसान हैं.

Axiom 4 Mission

स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की

स्लावोस्ज: 22 हजार से अधिक लोगों में से हुआ चुनाव

मिशन में तीसरे एस्ट्रोनॉट पोलैंड के स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की हैं. स्लावोस्ज एक वैज्ञानिक होने के साथ इंजीनियर भी हैं. इस मिशन में उनका काम स्पेस एक्सप्लोरेशन से जुड़ा है. स्लावोस्ज को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एस्ट्रोनॉट रिजर्व क्लास ऑफ 2022 के सदस्य के रूप में चुना गया था. 22,500 लोगों में से उन्हें चुना गया. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और भविष्य के मिशनों के लिए अपना स्थान सुरक्षित किया. स्लावोस्ज इस अभियान में मिशन स्पेशलिस्ट के तौर पर जुड़े हैं.

Tibor Kapu (1)

टिबोर कापू

टिबोर कापू: एक्सिओम-4 के मिशन स्पेशलिस्ट

हंगरी के मैकेनिकल इंजीनियर टिबोर कापू Axiom- 4 में बतौर मिशन स्पेशलिस्ट जुड़े हैं. हंगरी के न्यिरेगीहाज़ा में 5 नवंबर, 1991 को जन्मे कापू ने बुडापेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन किया है. मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के बाद बाद पॉलिमर टेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की. फार्मास्युटिकल और लॉजिस्टिक फील्ड में काम किया है. इसके अलावा ऑटोमोटिव सेक्टर में हाइब्रिड कार बैटरी के लिए भी काम किया.

यह भी पढ़ें: इंदिरा गांधी की इमरजेंसी पर सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या कहा था?

आपको यह भी पसंद आ सकता हैं

एक टिप्पणी छोड़ें

संस्कृति, राजनीति और गाँवो की

सच्ची आवाज़

© कॉपीराइट 2025 – सभी अधिकार सुरक्षित। डिजाइन और मगध संदेश द्वारा विकसित किया गया