हिंडाल्को की अमेरिका में तीसरी खरीदारी है। इससे पहले कंपनी ने वहां ‘नोवेलिस’ और ‘एलेरिस कॉर्पोरेशन’ नामक कंपनियों को खरीदा था। हिंडाल्को इस खरीदारी को अपनी पूरी तरह से मालिकाना हक वाली एक छोटी सहयोगी कंपनी, ‘आदित्य होल्डिंग्स’ के जरिए पूरा करेगा।
आज शेयर मार्केट में निवेशकों की नजर हिंडाल्को पर रहेगी, क्योंकि आदित्य बिड़ला ग्रुप की मेटल कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज एक और अमेरिकी कंपनी खरीदने जा रही है। कंपनी ने अमेरिका के ओहियो की ‘एलुकेम कंपनीज’ नामक फर्म को खरीदने का फैसला किया है, जो विशेष प्रकार का एल्युमिना (स्पेशलिटी एल्युमिना) बनाती है। इस डील की कुल कीमत 125 मिलियन डॉलर (करीब ₹10,74) रखी गई है।
यह हिंडाल्को की अमेरिका में तीसरी खरीदारी है। इससे पहले कंपनी ने वहां ‘नोवेलिस’ और ‘एलेरिस कॉर्पोरेशन’ नामक कंपनियों को खरीदा था। हिंडाल्को इस खरीदारी को अपनी पूरी तरह से मालिकाना हक वाली एक छोटी सहयोगी कंपनी, ‘आदित्य होल्डिंग्स’ के जरिए पूरा करेगा।
हिंडाल्को इस समय भारत में पांच लाख टन विशेष ऐल्युमिना बनाने की क्षमता रखती है। कंपनी का लक्ष्य है कि वित्तीय वर्ष 2030 (FY30) तक इस क्षमता को बढ़ाकर दोगुना यानी दस लाख टन कर दे।
हिंडाल्को को क्या होगा फायदा
अलुकेम कंपनी की खरीद से हिंडाल्को को अमेरिका के बाजार में एक मजबूत पकड़ मिल जाएगी। अलुकेम के ओहियो और आर्कन्सा राज्यों में तीन कारखाने हैं, जिनकी मिलाकर सालाना उत्पादन क्षमता 60,000 टन है।
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने इस खरीदारी को हिंडाल्को की रणनीति में एक अहम कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह कदम कंपनी को हाई-टेक सामग्रियों के क्षेत्र में नेता बनाने की दिशा में बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा, “विशेष ऐल्युमिना के क्षेत्र में हमारी यह नई पहल न सिर्फ भविष्य के लिए तैयार, टिकाऊ समाधानों के विकास को तेज करेगी, बल्कि हमें ऊंची वृद्धि के नए अवसरों की तलाश के रास्ते भी खोलेगी।”
कहां इस्तेमाल होता है विशेष एल्युमिना
विशेष एल्युमिना की दुनिया भर में मांग तेजी से बढ़ रही है। इसकी जरूरत अब सिर्फ पारंपरिक उद्योगों जैसे सिरेमिक या इलेक्ट्रॉनिक्स में ही नहीं, बल्कि एयरोस्पेस, मेडिकल उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन और सेमीकंडक्टर जैसे आधुनिक और भविष्य के क्षेत्रों में भी बढ़ती जा रही है।