ईरान और इजराइल वॉर में अब अमेरिका की एंट्री हो गयी है. ईरान-इजराइल जंग में अमेरिका की एंट्री से पूरी दुनिया चिंतित है और इसे थर्ल्ड वर्ल्ड वॉर का वॉर्निंग अलार्म माना जा रहा है. अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर घातक बमबारी के बाद हालात बेहद गंभीर हो गए हैं. इस हमले को लेकर ईरान ने न केवल अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, बल्कि इजराइल पर मिसाइल हमले तेज करते हुए खुले तौर पर दोनों देशों को चेतावनी भी दी है.
शनिवार रात को अमेरिका ने ईरान के फोर्दो, इस्फहान और नातांज स्थित परमाणु प्रतिष्ठानों पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए. अमेरिकी बी-2 बॉम्बर विमानों से किए गए इस हमले में GBU-57 जैसे शक्तिशाली बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल हुआ, जो जमीन के अंदर बने किलेबंद परमाणु केंद्रों को भी नष्ट करने में सक्षम हैं.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस से देश को संबोधित करते हुए इन हमलों को शानदार सैन्य सफलता करार दिया. उन्होंने कहा कि ईरान के परमाणु ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है और अब समय आ गया है कि ईरान शांति की राह अपनाए.
ईरान ने हमले को बताया युद्ध की घोषणा
इस हमले के बाद ईरान सरकार में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है. विदेश मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका ने शांतिपूर्ण परमाणु स्थलों पर हमला कर न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून और परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का उल्लंघन किया है, बल्कि यह कदम ईरान के खिलाफ एक खतरनाक युद्ध की शुरुआत है.
Statement by the Ministry of Foreign Affairs of the Islamic Republic of #Iran concerning the #UnitedStates military aggression against Iran’s peaceful nuclear facilities
بسم الله الرحمن الرحیم
The Ministry of Foreign Affairs of the pic.twitter.com/GhSjSTtzx2
— Foreign Ministry, Islamic Republic of Iran 🇮🇷 (@IRIMFA_EN) June 22, 2025
विदेश मंत्री ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर और वैश्विक नियमों की अवहेलना की है। ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि उसका परमाणु कार्यक्रम बंद नहीं होगा और हमलों के बावजूद काम जारी रहेगा.
इजराइल के खिलाफ ईरान का पलटवार
इस हमले के तुरंत बाद ईरान ने इजराइल को भी निशाने पर लिया और उसके 10 बड़े शहरों पर मिसाइलें दागी गईं. इन हमलों में इजराइली सैन्य ठिकानों और संचार प्रणालियों को निशाना बनाया गया. हालांकि, अभी तक इजरायल की तरफ से नुकसान की पुष्टि नहीं की गई है.
Last week, we were in negotiations with the US when Israel decided to blow up that diplomacy.
This week, we held talks with the E3/EU when the US decided to blow up that diplomacy.
What conclusion would you draw?
To Britain and the EU High Rep, it is Iran which must “return”
— Seyed Abbas Araghchi (@araghchi) June 22, 2025
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई के करीबी वरिष्ठ अधिकारियों ने अमेरिकी नौसेना को भी चेतावनी दी है और कहा है कि अब अमेरिकी युद्धपोत हमारे रडार पर हैं. इन बयानों से साफ है कि ईरान अब पीछे हटने के मूड में नहीं है. ईरान की चेतावनी के बाद अमेरिका भी अलर्ट जारी किया गया है.
अगर पलटवार हुआ तो अंजाम भयावह होगा…ट्रंप ने दी चेतावनी
दूसरी ओर, राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को आगाह किया कि यदि उसने अमेरिका पर पलटवार करने की कोशिश की, तो इसके भयानक परिणाम होंगे. उन्होंने कहा कि अमेरिका क्षेत्र में स्थिरता चाहता है, लेकिन किसी भी प्रकार की आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार है.
ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका दो सप्ताह के भीतर यह फैसला करेगा कि वह इजराइल के खिलाफ युद्ध में किस हद तक सहयोग देगा. इस बयान के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि अमेरिका और इजराइल की संयुक्त सैन्य कार्रवाई आगे और आक्रामक हो सकती है.
ईरान-इजराइल वॉर में अमेरिकी की एंट्री से बढ़ी चिंता
इस घटनाक्रम के बाद दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेस ने अमेरिकी हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि परमाणु स्थलों पर हमले से वैश्विक शांति को गंभीर खतरा हो सकता है.
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत की मेज पर लौटने की अपील की है. वहीं, चीन के सरकारी मीडिया ने सवाल उठाया है कि क्या अमेरिका वही गलती दोहरा रहा है जो उसने इराक में की थी? चीन के सरकारी चैनल सीजीटीएन के एक विश्लेषणात्मक लेख में इस हमले को खतरनाक मोड़ बताया गया है.
ईरान पर अमेरिकी हमले और इसके जवाब में इजराइल पर मिसाइल हमलों के चलते अब यह संघर्ष केवल द्विपक्षीय नहीं रह गया है. इस टकराव के क्षेत्रीय युद्ध में बदलने की आशंका गहराती जा रही है, जिसमें लेबनान, सीरिया, सऊदी अरब और अन्य पश्चिम एशियाई देश अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकते हैं.