होम विदेश क्या ईरान बनेगा ‘हिरोशिमा-नागासाकी’? ट्रंप की छटपटाहट से भूखंड की आहट!

क्या ईरान बनेगा ‘हिरोशिमा-नागासाकी’? ट्रंप की छटपटाहट से भूखंड की आहट!

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मिडिल ईस्ट में एटमी बर्बादी की आहट!
इजराइल और ईरान की जंग घड़ी की सुई की रफ्तार के साथ ही तेज होती जा रही है. इसमें ‘परमाणु’ की एंट्री की आशंका ने दुनिया तो भयभीत कर रखा है. वो परमाणु जो बम बमकर मिडिल ईस्ट की रेत में रेडियोएक्टिव तूफान ला सकता है. जैसे-जैसे दोनों के बीच छिड़ा युद्ध बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे जंग में न्यूक्लियर बारूद का इस्तेमाल होने की आशंका भी बढ़ रही है. ईरान की हाइपरसोनिक मिसाइलें इजराइल के मिलिट्री बेस, पोर्ट और अस्पतालों तक पर कहर बनकर टूट रही हैं, ईरान की न्यूज एजेंसी और ईरान के मंत्रालय एटम बम के धमाके की धमकी दे रहे हैं. दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने के मूड में हैं.
आशंका इस बात की भी कम नहीं है कि ट्रंप, ईरान के फोर्दो एटमी सेंटर को खत्म करने के लिए अपने GBU-57 बंकर बस्टर बम के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दें. आइए जानते हैं कि ट्रंप का एक फैसला कैसे मिडिल ईस्ट में एटमी बर्बादी की आहट बन जाएगा.

Maybe का क्या मतलब?
ईरान की न्यूज एजेंसी अरेबिक और ईरान के मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर एंड इस्लामिलक गाइडेंस के X हैंडल पर एक वीडियो जारी हुआ. इसमें ईरान के फौजी जनरल की वर्दी पहना हुआ एक शख्स न्यूक्लियर रेडिएशन के निशान वाली मिसाइल के मिनिएचर को सहलाता हुआ नजर आ रहा है. इस वीडियो के साथ अरबी और अंग्रेजी में लिखा है…Maybe. यानी ऐसा हो सकता है.
सवाल ये है कि ईरान की न्यूज एजेंसी और एक सरकारी मंत्रालय से जारी इस सांकेतिक वीडियो का मतलब क्या है? इस वीडियो के साथ लिखे गए Maybe का मतलब क्या है? क्या ये वीडियो ईरान की तरफ से एटमी धमाके की धमकी है? पर सवाल ये है कि कैसे? अगर ईरान ने अभी तक एटम बम बनाया ही नहीं है तो ईरान की सरकार एटमी धमकी कैसे दे रही है?
ईरान ने तेल अवीव से लेकर हाइफा तक को अपनी हाइपरसोनिक मिसाइलों से दहलाकर दिखा दिया है कि वो इजराइल के मजबूत मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेदने में सक्षम है. ईरान की ज्यादातर बैलिस्टिक और हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी हैं जो वॉरहेड के तौर पर एटम बम ले जा सकती हैं. तो क्या इजराइल पर बरसतीं ईरानी मिसाइलें मध्य पूर्व की रेत पर अब केवल बारूद नहीं, एटमी बर्बादी की आहट हैं.?
कहां से मिल रहा है ईरान को कॉन्फिडेंस?
सवाल ये है कि ईरान को एटमी धमकी वाला कॉन्फिडेंस कहां से मिल रहा है? अमेरिका के दुश्मन नंबर 1 रूस से? अमेरिका के दुश्मन नंबर 2 चीन से? या डॉलर के लिए कुछ भी बेच देने वाले और एटम बम का ब्लैक मार्केट चलाने वाले पाकिस्तान से? दुनिया ने देखा कि आदत से मजबूर आसिम मुनीर ने हर बार की तरह अमेरिका के डॉलर के लिए व्हाइट हाउस जाकर ईरान का सौदा कर लिया है. इसलिए अब ईरान को पाकिस्तान से किसी तरह की मदद मिलना मुमकिन नहीं है. लेकिन रूस और चीन से ईरान को लगातार मदद दी जा रही है.
यही मदद अब मिडिल ईस्ट के रेत में एटमी गुबार उठा सकती है. एक तरफ हाइपरसोनिक मिसाइलों से इजराइल को दहला रहा ईरान एटम बम के इस्तेमाल की धमकी दे रहा है. दूसरी तरफ अमेरिका ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को मिटाने की तैयारी कर रहा है. यानी कुछ भी हो, मिडिल ईस्ट में रेडिएशन लीक होने और एटमी तबाही होने के आशंका बहुत ज्यादा बढ़ गई है. अभी तक न्यूक्लियर हथियार सिर्फ एक डर थे. पर अब वो डर सच्चाई बनने की कगार पर हैं. अब इस युद्ध में एटमी ब्लास्ट के खतरे की एक नहीं पांच बड़ी वजह हैं.
न्यूक्लियर ब्लास्ट के खतरे की 5 बड़ी वजहें

ईरान ने जारी किया मिनी एटम बम का वीडियो
रक्षा विशेषज्ञों का दावा, ईरान के पास 9 परमाणु बम की क्षमता
ईरान आपात स्थिति में बना सकता है टैक्टिकल न्यूक
रूस-चीन जैसे न्यूक्लियर सहयोगी ईरान के साथ
ईरान की खुली चेतावनी- अब तक छिपा है सबसे बड़ा हथियार

अब्दुल रहीम मौसवी की दो टूक
ईरान के सशस्त्र बल के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ जनरल अब्दुल रहीम मौसवी ने कहा है, अब तक किए गए ऑपरेशन केवल चेतावनी और रोकथाम के लिए थे. अब सजा दी जाएगी. इसलिए, तेल अवीव और जाफ़ा के निवासियों को अपनी सुरक्षा के लिए उन क्षेत्रों को छोड़ने की सख्त चेतावनी दी जाती है. इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू की पाशविक इच्छाओं का शिकार न बनें.
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का इनपुट है कि ईरान परमाणु बम करीब-करीब बना चुका है. जबकि पेंटागन का इनपुट है कि ईरान के पास न्यूक्लियर बम बनाने की तकनीक है. कुछ महीने पहले IAEA ने बताया था कि ईरान परमाणु बम बनाने के लिए 80 से 90 फीसदी यूरेनियम का एनरिचमेंट कर चुका है. यही वजह है कि इजराइल और अमेरिका ईरान के तमाम परमाणु फैसिलिटी को तबाह कर देना चाहते हैं.
अभी तक अमेरिका इस ऑपरेशन में शामिल नहीं हुआ है लेकिन ट्रंप के तेवर बता रहे हैं कि वो ईरान को लेकर अमेरिका का एक्शन प्लान तय करने वाले हैं. अभी इजराइल को बैकडोर से मदद की जा रही है लेकिन अब ट्रंप के तेवर बता रहे हैं कि ईरान में कुछ बड़ा होने वाला

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