इजराइल ईरान जंग के बीच सद्दाम हुसैन की चर्चा. मिडिल ईस्ट इस समय जंग की लपटों में घिरा है. इजराइल और ईरान के बीच पिछले हफ्ते से टकराव अपने चरम पर है. इजराइली एयरस्ट्राइक्स में ईरान के कई सैन्य अधिकारी और न्यूक्लियर प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिक मारे गए. जवाब में ईरान ने हाइपरसोनिक मिसाइलों और ड्रोन अटैक्स से इज़राइली डिफेंस सिस्टम को हिला दिया. जंग सिर्फ मोर्चे पर नहीं, बयानों की से भी लड़ी जा रही है. इजराइली डिफेंस मिनिस्टर इसराइल काट्ज ने चेतावनी दी कि खामेनेई का अंजाम सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा, हमें पता है खामेनेई कहां छिपे हैं, उन्हें मारना कोई मुश्किल नहीं. जब इजराइल के साथ दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति भी किसी दूसरे देश के राष्ट्रप्रमुख को इस तरह धमका रहे हों, तो सवाल उठना लाजमी है कि क्या खामेनेई का अंत भी अब करीब है? आज खामेनेई बंकर में हैं, बाहर जंग चल रही है. इन सबसे बीच लोगों को याद आ रही है ईराक के सद्दाम हुसैन की कहानी, जो कभी ऐसे ही निशाने पर थे. बंकर में छिपे खामेनेई, खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक खामेनेई इस वक्त एक हाई-सिक्योरिटी बंकर में हैं. उनकी लोकेशन बार-बार बदली जा रही है. संभावित मिसाइल या ड्रोन हमलों से बचाने के लिए सुरक्षा के बेहद गोपनीय इंतजाम किए गए हैं. ये सब सुनकर सद्दाम हुसैन के आखिरी दिनों की यादें ताजा हो जाती हैं, जब वो अमेरिकी सर्जिकल ऑपरेशन्स से बचने के लिए जगह-जगह छिपते रहे थे. जब सद्दाम का अंत लिखा जा चुका था 1990 के दशक में इजराइल ने इराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को मारने के लिए ऑपरेशन ब्रैम्बल बुश नाम का मिशन तैयार किया था. टॉप कमांडोज़ शामिल थे, लेकिन प्लान फेल हो गया. फिर 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला बोला, सद्दाम को सत्ता से हटाया और गिरफ़्तार कर लिया. उन पर इराक में सामूहिक विनाश के हथियारों का भंडारण और निर्माण जारी रखने के आरोप थे. इसीलिए वो अमेरिका और इजराइल के दुश्मनों की लिस्ट में सबसे ऊपर थे. जेल में सद्दाम के वो आखिरी दिन… गिरफ्तारी के बाद सद्दाम ने अपने आखिरी दिन अमेरिकी सेना की निगरानी में बिताए. The Prisoner in His Palace किताब के मुताबिक, सद्दाम मफिन खाते थे, Mary J. Blige के गाने सुनते थे और गार्ड्स से गपशप करते थे. The Super Twelve नाम की अमेरिकी सैनिकों की टीम उनकी देखरेख में थी, जो धीरे-धीरे उनसे भावनात्मक रूप से जुड़ने लगी. उनका ब्रेकफास्ट भी रूटीन से बंधा था. पहले आमलेट, फिर मफिन, फिर फल. अगर आमलेट थोड़ा भी टूटा होता, तो वो उसे हाथ तक नहीं लगाते.
खामेनेई की गुप्त रहस्यमय जिंदगी, सद्दाम हुसैन के संग तुलना
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