उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी तैयारियों की शुरुआत तेज कर दी है. पार्टी अब जिला संगठन को चुनावी रणनीति की रीढ़ बनाने जा रही है. कांग्रेस का मानना है कि ज़मीनी कार्यकर्ता ही चुनाव में असली लड़ाई लड़ता है, इसलिए अब टिकट वितरण में भी जिला इकाइयों की राय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी.
मंगलवार को लखनऊ में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान की समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया. यह बैठक पूर्वांचल ज़ोन के तहत आने वाले ज़िलों-सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, गोरखपुर, बस्ती, कुशीनगर, आज़मगढ़, मऊ, देवरिया, बलिया, संत कबीर नगर, अयोध्या और अंबेडकर नगर-के लिए बुलाई गई थी.
बैठक में कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा ‘मोना’, राष्ट्रीय सचिव सत्यनारायण पटेल, प्रदेश उपाध्यक्ष दिनेश सिंह, प्रदेश महासचिव अनिल यादव समेत सभी ज़िलों के जिला अध्यक्ष, शहर अध्यक्ष और कॉर्डिनेटर शामिल रहे.
ज़िले से लेकर बूथ तक बनेगा मजबूत संगठनबैठक में तय किया गया कि जुलाई के अंत तक ब्लॉक और बूथ स्तर तक कांग्रेस कमेटियों का गठन कर लिया जाएगा. पार्टी अब हर जिले में सक्रिय कार्यकर्ताओं को आगे लाएगी और उन्हें संगठन में जिम्मेदारी भी दी जाएगी. यह पूरी प्रक्रिया तय समय के भीतर पूरी की जाएगी.
राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने कहा कि 2027 के चुनाव में कांग्रेस पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी और जिला संगठन उसकी सबसे बड़ी ताकत होंगे. उन्होंने कहा कि टिकट वितरण में जिला कांग्रेस कमेटियों की राय को सर्वोच्च वरीयता दी जाएगी, क्योंकि वे जमीनी कार्यकर्ता हैं, जो जनता से सीधे जुड़े हैं और आंदोलन करते हैं.
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी साफ किया कि हर सीट पर टिकट उन्हीं लोगों को दिया जाएगा जिनकी सिफारिश जिला कमेटी करेगी. उन्होंने कहा कि टिकट वितरण का आधार अब “काम करने वाले” कार्यकर्ता होंगे, जो वर्षों से संगठन को मज़बूती दे रहे हैं.
स्थानीय मुद्दे बनेंगे कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्रबैठक में पूर्वांचल के सभी ज़िलों की स्थानीय समस्याओं, युवाओं की जरूरतों, महिला सुरक्षा, किसान समस्याओं और रोजगार जैसे मुद्दों पर भी बात हुई. इन मुद्दों को 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होने वाले कांग्रेस घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा.
कांग्रेस की वापसी की रणनीतिउत्तर प्रदेश में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है. 1989 के बाद से पार्टी राज्य की सत्ता में नहीं आई है. पिछली बार 2022 के चुनाव में पार्टी को केवल 2 सीटों से संतोष करना पड़ा था. इसके बाद से कांग्रेस संगठन निर्माण पर ध्यान दे रही है. अब पार्टी ने ‘संगठन सृजन अभियान’ के तहत हर ज़िले और बूथ पर फिर से कमेटियों के गठन का काम शुरू किया है.
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में तैयारियाँ तेज कीं
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