मई महीने में भारतीय शेयर बाजार ने नई ऊंचाइयों को छुआ हो, लेकिन म्यूचुअल फंड निवेशकों का उत्साह कुछ ठंडा पड़ता दिखा। भारतीय इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश 13 महीने के निचले स्तर पर आ गया। इसमें गिरावट के मुख्य कारण मुनाफावसूली, हाई वैल्यूएशन, वैश्विक अनिश्चितता, और रिडेम्पशन शामिल है। इसके बावजूद, उद्योग ने मजबूत प्रदर्शन किया है।
एसआईपी से निवेश ने फिर एक रिकार्ड बनाया है। ओपन-एंडेड इक्विटी फंड्स में शुद्ध निवेश लगातार 51वें महीने सकारात्मक रहा है। इक्विटी मयूचुअल फंड्स में शुद्ध प्रवाह में गिरावट तब आई है जब शेयर बाजार में रिकवरी जारी थी। न्यू फंड ऑफर में 19 नई ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीम लॉन्च की गईं और इनसे कुल मिलाकर 4,170 करोड़ रुपये जुटाए गए। कुल मिलाकर, म्यूचुअल फंड उद्योग में मई में 29,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ, जबकि अप्रैल में 2.77 लाख करोड़ का निवेश हुआ था। दूसरी ओर, डेट फंड में अप्रैल में 2.2 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने के बाद समीक्षाधीन महीने में 15,908 करोड़ रुपये की निकासी हुई।
भारतीय निवेशक अब अधिक समझदार हो रहे हैं और फ्लेक्सी कैप और मल्टीकैप फंड्स में निवेश का सिलसिला जारी है। स्मॉलकैप फंड्स में निवेश घट रहा है लेकिन उद्योग की प्रबंधन अधीन परिसंपत्ति मई में बढ़कर 72.2 लाख करोड़ रुपये हो गई है। इक्विटी प्रवाह में मंदी के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया गया है, जैसे कि मुनाफावसूली, हाई वैल्यूएशन, वैश्विक अनिश्चितता, और रिडेम्पशन।
लॉर्ज कैप फंड को सबसे अधिक झटका मिला है जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप फंड में भी गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान कुछ नए ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड स्कीम लॉन्च की गईं हैं और इनसे कुल मिलाकर 4,170 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।