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SCO डेवलपमेंट बैंक क्या बनेगा IMF का विकल्प? जानें चीन की क्या है प्लानिंग

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राष्ट्रपति जिनपिंग और एससीओ.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) ने विकास को नई दिशा देने के संकेत दिए हैं. तियानजिन में हुई बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संगठन के तहत डेवलपमेंट बैंक बनाने का प्रस्ताव रखा. उन्होंने अगले तीन सालों में 1.4 अरब डॉलर का कर्ज उपलब्ध कराने की घोषणा भी की.

SCO विश्व का सर्वाधिक बड़ा क्षेत्रीय ग्रुप है, जिसमें 10 सदस्य कंट्री और 26 पार्टनर कंट्री शामिल हैं. इनकी संयुक्त इकोनॉमी करीब 30 ट्रिलियन डॉलर है. अब संगठन का मकसद सिर्फ सुरक्षा सहयोग तक सीमित रहने के बजाय विकास, कनेक्टिविटी और सामाजिक प्रगति को गति देना है.

  • यह बैंक BRICS न्यू डेवलपमेंट बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) की तर्ज पर बनेगा.
  • रूस ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सुझाव दिया कि SCO देश मिलकर संयुक्त बॉन्ड जारी करें और ऐसा भुगतान तंत्र विकसित करें जो पश्चिमी प्रतिबंधों से प्रभावित न हो.
  • बैंक का फोकस होगा ग्रीन एनर्जी, डिजिटल इकोनॉमी और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पर.

डॉलर से दूरी, युआन की बढ़त

चीन इस बैंक को आधार बनाकर युआन पर केंद्रित लेनदेन का सेंटर बनने की इच्छा रखता है. खासकर मध्य एशिया में इलेक्ट्रो-युआन को नवीकरणीय ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए बढ़ावा देने की प्लानिंग है. इसका उद्देश्य पश्चिमी देशों के IMF वर्ल्ड बैंक मॉडल के विकल्प में स्थापित करने के रूप में देखा जा रहा है.

  • भारत के लिए यह बैंक मौका और सतर्कता दोनों लेकर आता है.
  • एक ओर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और विकास परियोजनाओं को वित्तीय सहारा मिल सकता है.
  • दूसरी ओर भारत ने SCO समिट में चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का समर्थन करने से इनकार किया था. ऐसे में बैंक की संरचना और इसके राजनीतिक असर पर भारत की निगाह टिकी रहेगी.
  • विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि SCO डेवलपमेंट बैंक की संभावना पर अभी विचार किया जा रहा है.

पूर्व राजनयिक एम्बेसडर महेश सचदेव ने कही ये बात

पूर्व राजनयिक एम्बेसडर महेश सचदेव कहते हैं, अगर इतिहास देखें तो 1990 के दशक में शंघाई फाइव आतंकवाद और क्रॉस बॉर्डर क्राइम रोकने के लिए बना था. बाद में इसका दायरा बढ़कर SCO बना. आज चीन की मंशा साफ है. IMF और विश्व बैंक जैसे पश्चिमी ढांचों से हटकर एक नया ढांचा तैयार करना. रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका की डॉलर आधारित ताकत के बीच चीन मध्य एशिया में ऐसा बाजार बनाना चाहता है, जिसमें चीनी कंपनियों का वर्चस्व रहे और कोई चुनौती न दे सके.

•SCO ने डेवलपमेंट बैंक पर चर्चा तेज की

•चीन ने 1.4 अरब डॉलर की मदद देने का ऐलान किया

•रूस बोला: संयुक्त बॉन्ड और नया भुगतान तंत्र बने

•फोकस: ग्रीन एनर्जी, कनेक्टिविटी और डिजिटल इकोनॉमी

•भारत: अवसर भी, सतर्कता भी

यह साफ है कि SCO अब सिर्फ सुरक्षा मंच नहीं, बल्कि एक उभरती हुई विकास और वित्तीय शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है.

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