गाजा सीजफायर की बातचीत में अब मुस्लिम देश इजिप्ट की भूमिका लगभग खत्म हो गई है. उसने खुद को इस बातचीत से साइलाइन कर लिया है. इजिप्ट का इससे खुद को पीछे करना इसलिए अहम है क्योंकि काहिरा हमास और इजराइल के बीच बातचीत करवाने और युद्धविराम कराने में सबसे एक्टिव रहा है.
मिस्त्र की खुफिया एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक काहिरा और तेल अवीव के बीच संवाद पूरी तरह टूट चुका है और हाल के दौर की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पुहंची.
क्यों पीछे हटा इजिप्ट?
न्यूज वेबसाइट Middle East Eye में छपी सूत्रों के हवालों से छपी खबर के मुताबिक इजिप्ट की हालिया खुफिया टीमों ने कई बार इजराइल जाकर युद्धविराम पर सहमति बनाने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी. इजराइल की ओर से सिर्फ खोखले वादे मिले और कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया.
इजिप्ट को सबसे बड़ा डर है कि ये है कि इजराइल के हमले बढ़ने पर बड़ी संख्या में गाजा के लोग सीनाई क्षेत्र में घुस सकते हैं. जिससे वहां अराजकता फैल सकती है. मिस्त्र की सीमाई सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडराएगा. यही वजह है कि काहिरा ने सीजफायर प्रक्रिया से खुद को पीछे खींच लिया है.
इजिप्ट की भूमिका क्या रही?
मुख्य मध्यस्थ: दशकों से गाजा संघर्ष में इजिप्ट महत्वपूर्ण मध्यस्थ रहा है. काहिरा हमास और इजराइल के बीच बातचीत करवाने और युद्धविराम कराने में सबसे सक्रिय रहा है.
अमेरिका और कतर से समन्वय: इजिप्ट और कतर दोनों ही अमेरिका पर दबाव डाल रहे थे कि गाजा में युद्धविराम सुनिश्चित किया जाए, मानवीय सहायता पहुंचाई जाए और बंदी बनाए गए लोगों की रिहाई हो. लेकिन वाशिंगटन ने हर कदम पर इजराइल का साथ दिया.
सीमा पर सुरक्षा: अगस्त में मिस्र ने गाजा सीमा पर 40,000 सैनिक तैनात किए ताकि संभावित पलायन को रोका जा सके.
इजराइल की रणनीति और मिस्र की चिंता
खुफिया सूत्रों के अनुसार, 7 अक्टूबर 2025 को इजराइल गाजा युद्ध तीसरे साल में प्रवेश कर जाएगा. नेतन्याहू इस तारीख तक गाजा सिटी पर कब्जा कर वहां झंडा फहराने की योजना बना रहे हैं. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं. वहीं मिस्र को डर है कि इजराइल गाजा से फिलीस्तीनियों को जबरन सीनाई में धकेलने की कोशिश कर सकता है. मिस्र ने साफ चेतावनी दी है कि सीमा पर किसी भी सैन्य कार्रवाई का वह कड़ा जवाब देगा और जरूरत पड़ने पर मिस्र की सेना सीधे युद्ध में उतर सकती है.