18 अक्टूबर 2024 को टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास के सामने प्रदर्शन करते खालिस्तान समर्थक. (फोटो क्रेडिट: Mert Alper Dervis/Anadolu via Getty Images)
कनाडा सरकार ने आतंकी संगठनों की फंडिंग से जुड़ी एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें खालिस्तानी आतंकी संगठनों को देश में मिलने वाली फंडिंग को लेकर चिंता जताई गई है. कनाडा के वित्त विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, खालिस्तानी चरमपंथी समूहों समेत कई आतंकी संगठनों को राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक गतिविधियों के लिए कनाडा की धरती से फंडिंग मिल रही है.
ऐसा पहली बार है, जब कनाडा ने अपने देश में खालिस्तानी आतंकी संगठनों की मौजूदगी की बात मानी है और उन्हें फंडिंग मिलने की भी बात स्वीकारी है. कनाडा को लंबे समय से बब्बर खालसा, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन और सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठनों का अड्डा माना जाता रहा है. भारत बहुत पहले से कहता आया है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों को शरण मिली हुई है और कनाडा सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है.
खुफिया एजेंसियों ने टेरर फंडिंग की पुष्टि की
इस रिपोर्ट का नाम है ‘कनाडा में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग के जोखिम का आकलन 2025. रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा में मौजूद आतंकी संगठनों ने राजनीतिक रूप से प्रेरित हिंसक गतिविधियों के लिए पैसे जुटाना जारी रखा है.
खुफिया एजेंसियों ने हमास, हिजबुल्ला, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन को कनाडा से फंडिंग मिलते देखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि खालिस्तानी चरमपंथी समूह भारत के पंजाब में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना के लिए हिंसक साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी-क्राउड फंडिंग से पैसे जुटा रहे
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये संगठन फंडिंग के लिए डोनेशन, ड्रग तस्करी और वाहन चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. इन संगठनों के पास पहले कनाडा में धन उगाही का बड़ा नेटवर्क था, लेकिन अब ये छोटे-छोटे कई समूहों में बंट गए हैं.
ये समूह फंडिंग के लिए गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) और अन्य माध्यमों का शोषण करते हैं. साथ ही क्रिमिनल एक्टिविटीज को अंजाम देने के लिए बैंकिंग सेक्टर, क्रिप्टोकरेंसी, क्राउड फंडिंग और धार्मिक चंदे का दुरुपयोग करते हैं.
फंडिंग की जांच की सिफारिश की
समय-समय पर कनाडा में खालिस्तानियों की मौजूदगी के सबूत मिलते रहे हैं, लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई सीमित ही रही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा के गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामले कम ही सामने आते हैं, लेकिन ऐसे केसेज की हर मामले के आधार पर जांच होनी चाहिए.