प्रशांत किशोर का सियासी दांव
राघोपुर वैशाली जिले में है और हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान करते हैं और राघोपुर विधानसभा से अभी तेजस्वी यादव विधायक हैं. आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव इस सीट से लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं. वर्ष 2015 और 2020 में उन्होंने राघोपुर विधानसभा सीट से जीत प्राप्त की है. इससे पहले यहां से उनके पिता और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव चुनाव लड़ चुके हैं. अब प्रशांत किशोर ने यह ऐलान करके कि वो राघोपुर से भी चुनाव लड़ सकते हैं, आरजेडी की रणनीतिकारों की टेंशन बढ़ा दी है. बता दें कि यह सीट आरजेडी का गढ़ जरूर है, लेकिन वर्ष 2010 में इसी राघोपुर सीट से जेडीयू उम्मीदवार सतीश कुमार राबड़ी देवी हो हरा चुके हैं.
होगी जबरदस्त राजनीतिक टक्कर!
राघोपुर का जातिगत समीकरण
राघोपुर के सामाजिक समीकरण को समझें तो यहां यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है और यह राजद का कोर वोट बैंक है. इसके अतिरिक्त, मुस्लिम, राजपूत और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के मतदाता भी इस सीट पर प्रभावशाली हैं. जातिगत समीकरण के आधार पर यादव और मुस्लिम वोटर लगभग 40% हैं जो तेजस्वी यादव की जीत के आधार को मजबूती देते हैं. हालांकि, 15-20% राजपूत और 25% ईबीसी मतदाता मिलकर राजद के समीकरण को चुनौती देने का माद्दा रखते हैं. प्रशांत किशोर ब्राह्मण समुदाय से हैं ऐसे में राजपूत और अति पिछड़े वोटरों को लुभाने की कोशिश कर सकते हैं. वर्ष 2010 में नीतीश कुमार की जेडीयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराकर दिखाया था कि यादव बहुल सीट पर गैर-यादव वोटरों का गठजोड़ राजद को चुनौती दे सकता है.
पिछले चुनावों में जीत-हार का अंतर
PK की रणनीति और सियासी प्रभाव
स्पष्ट है कि राघोपुर में यादव समुदाय की प्रमुखता है, लेकिन साथ ही अन्य जातियों का भी महत्वपूर्ण प्रभाव है. चुनावी रणनीति के लिए अन्य वर्गों के वोट बैंकों को साधना भी जरूरी होता है. तेजस्वी यादव को हमेशा यादव वोट बैंक का भरोसा रहा है, लेकिन प्रशांत किशोर की रणनीतिक समझ के साथ इस क्षेत्र के गैर यादव वोटर भी प्रभावित हो सकते हैं. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी बिहार में तीसरे विकल्प के रूप में उभरने की कोशिश कर रही है. प्रशांत किशोर की जन-सुराज पार्टी की नीतियां और विकासवादी एजेंडा उन्हें युवा और गैर परंपरागत वोटरों के बीच लोकप्रिय बना रहा है. इसी बीच प्रशांत किशोर की यह राजनीतिक योजना कि वे राघोपुर से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं, सीधे तौर पर तेजस्वी यादव की नींद उड़ा देने वाला कदम माना जा रहा है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि अगर वह चुनावी मैदान में आते हैं तो इससे राघोपुर का चुनावी समीकरण संतुलित और अप्रत्याशित हो सकता है.
बिहार के चुनावी नैरेटिव पर असर
तेजस्वी के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
दरअसल, तेजस्वी यादव महागठबंधन की ओर से सीएम का चेहरा कहे जाते हैं, वहीं, प्रशांत किशोर बिहार में तीसरे विकल्प के रूप में स्थापित होने की कोशिश में हैं. उनकी रणनीति जातिगत समीकरणों को तोड़कर विकास और रोजगार पर आधारित वोटबैंक बनाने की है. हालांकि, बिहार में जाति की गहरी जड़ें और राजद का मजबूत संगठन पीके के लिए बड़ी चुनौती हैं. अगर वह करगहर से लड़ते हैं तो स्थानीय कनेक्शन उनकी ताकत होगा, लेकिन राघोपुर में तेजस्वी के खिलाफ जीत आसान नहीं होगी. बावजूद इसके तेजस्वी और पीके की यह सियासी जंग बिहार के सियासी भविष्य को नया आकार दे सकती है. राघोपुर में प्रशांत किशोर बनाम तेजस्वी की जंग बिहार के चुनावी नैरेटिव को बदल सकती है. तेजस्वी यादव के लिए यह अपनी पार्टी के लिए और खुद के लिए भी बड़ी परीक्षा होगी.