रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप. (फाइल फोटो)
अमेरिका ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं, खासकर उसकी Arctic LNG 2 गैस परियोजना पर. वजह है यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों का दबाव. लेकिन रूस अब एक और काम कर रहा है जो ट्रंप और वाशिंगटन की नींद उड़ाने वाला है. पाबंदी वाले टैंकर सीधे चीन पहुंचा रहा है.
अभी कुछ ही दिन पहले “Voskhod” नाम का टैंकर लिक्विफाइड नैचुरल गैस (LNG) लेकर चीन के Beihai टर्मिनल पर उतरा. इससे पहले अगस्त में Arctic Mulan भी वहीं आ चुका था. यानी अब रूस की आर्कटिक गैस सीधा चीनियों के घर तक पहुंच रही है और अमेरिका बस देख रहा है. फिलहाल खबर है कि तीन और रूसी टैंकर LNG लेकर चीन की ओर बढ़ रहे हैं. हालांकि आर्कटिक के बर्फीले रास्ते से गुजरना आसान नहीं है, लेकिन रूस ने साफ कर दिया है कि वो रुकने वाला नहीं है.
चीन और रूस की बढ़ती दोस्ती
ये सब ऐसे वक्त हो रहा है जब रूस और चीन की नजदीकियां खूब सुर्खियां बटोर रही हैं. व्लादिमीर पुतिन हाल ही में बीजिंग गए थे. पहले SCO की बैठक में शामिल हुए, फिर चीन की विक्ट्री परेड में भी नजर आए, ऐसे में इन गैस सौदों को दोनों देशों की गहरी दोस्ती का नया प्रतीक माना जा रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही चीन रूस की बढ़ती दोस्ती से असहज हैं.
चीन को क्या मिल रहा है फायदा?
सीधी बात है सस्ती गैस. जब अमेरिका और यूरोप रूस से किनारा कर रहे हैं, चीन मौके का फायदा उठा रहा है. रूस से उसे ऊर्जा काफी सस्ते दाम पर मिल रही है. यही वजह है कि बीजिंग वाशिंगटन की नाराजगी की परवाह नहीं कर रहा. अमेरिका को ये बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है लेकिन फिलहाल उसने कोई सीधी कार्रवाई नहीं की है. यही वजह है कि अब रूस और चीन देख रहे हैं कि अगर ये सौदे बिना किसी बड़ी रुकावट के हो गए, तो आगे और बड़े सौदे भी संभव हैं.
अमेरिका क्यों परेशान है?
अमेरिका चाहता है कि रूस आर्थिक दबाव में आए और यूक्रेन युद्ध रोक दे. लेकिन अगर रूस की गैस चीन और शायद आगे चलकर भारत तक जाने लगेगी, तो उसकी रणनीति कमजोर पड़ जाएगी. यही बात ट्रंप और वॉशिंगटन की सबसे बड़ी टेंशन है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अमेरिका ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी, तो सिर्फ चीन ही नहीं, भारत भी अगला ग्राहक बन सकता है. वजह वही सस्ती ऊर्जा और बढ़ती मांग.