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झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए… भारत को लेकर अचानक कैसे बदले ट्रंप के सुर?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

डोनाल्ड ट्रंप ने 5 सितंबर को कहा कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है. अगले ही दिन ट्रंप के सुर बदल गए. ट्रंप ने कहा कि मैं हमेशा नरेंद्र मोदी का दोस्त रहूंगा. वह एक महान प्रधानमंत्री हैं, लेकिन मुझे इस खास पल में उनके काम पसंद नहीं आ रहे हैं.

ट्रंप ने कहा कि हमने भारत पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाया है. हालांकि मेरे PM मोदी के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं, वह बहुत अच्छे हैं. आइए जानते है ट्रंप के सुर बदलने की वजह क्या है…

1. भारत का रूस से तेल खरीद न रोकना

अमेरिका ने भारत पर 27 अगस्त से 50% टैरिफ लगा दिया. इसमें शामिल 25% टैरिफ पेनल्टी के तौर पर लगाई क्योंकि भारत रूस से तेल खरीद रहा है. अमेरिका का कहना है कि इससे रूस को जंग मे मदद मिल रही है. वहीं भारत ने रूस से तेल खरीद बंद नहीं किया. भारत का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रीय हित में है और इससे दुनियाभर में तेल की कीमतें स्थिर रखने में मदद मिली.

टैरिफ के जरिए अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत अपने रुख पर कायम रहा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 सितंबर को कहा, भारत रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा. हमें अपनी जरूरतों के अनुसार तय करना है कि हमें कहां से तेल खरीदना है. यह हमारा फैसला होगा. विदेश मंत्री एस जयशंकर भी कई मंचों पर पहले यह बात कह चुके हैं.

2. वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती सक्रियता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 अगस्त को तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शामिल हुए थे, जहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय वार्ता की.

PM मोदी ने SCO समिट में जाकर यह साबित किया कि भारत बहुपक्षीय मंचों पर भी सक्रिय है और हर मोर्चे पर अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है. इससे भी अमेरिका को संदेश गया कि भारत का रुख स्पष्ट और मजबूत है.

3. भारत ने अमेरिकी फार्मिंग प्रोडक्ट्स पर टैरिफ नहीं घटाया

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर सहमति नहीं बन पाई है. अमेरिका लंबे समय से भारत पर अपने फार्मिंग और डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए मार्केट ओपन करने का दबाव बना रहा है. भारत ने अमेरिकी कृषि उत्पादों पर कम टैरिफ की अमेरिकी मांग को खारिज कर दिया. भारत ने ज्यादा कीमतों के बावजूद घरेलू किसानों के हितों को प्राथमिकता दी.

4. ब्रिक्स समिट में भारत का शामिल होना

विदेश मंत्री एस जयशंकर 8 सितंबर को ब्रिक्स की वर्चुअल समिट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे. ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने यह समिट बुलाई है. जिसमें अमेरिकी टैरिफ से निपटने के तरीकों पर चर्चा होगी.

अमेरिका ने भारत की तरह ब्राजील पर भी 50% टैरिफ लगाया है. ब्राजील फिलहाल ब्रिक्स का अध्यक्ष है. 10 देशों के समूह में भारत, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात भी शामिल हैं.

5. ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में नाराजगी

ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने 28 अगस्त को रूस-यूक्रेन संघर्ष को मोदी का युद्ध कहा. नवारो ने आरोप लगाया था कि रूस से तेल खरीदकर भारत इस जंग को हवा दे रहा है. 31 अगस्त को कहा, भारत क्रेमलिन के लिए मनी लॉन्ड्रिंग मशीन के अलावा कुछ नहीं है. आपने देखा है कि ब्राह्मण, भारतीय लोगों के खर्च पर मुनाफा कमा रहे हैं. हमें इसे रोकना होगा.

नवारो के इस बयान पर अमेरिका में रह रहे हिंदुओं ने नाराजगी जताई. अमेरिका के पूर्व NSA जेक सुलिवन ने भी ट्रंप के टैरिफ को अमेरिका के हितों के लिए बहुत बड़ा रणनीतिक नुकसान बताया. सुलिवन ने कहा कि भारत के साथ अभी जो हो रहा है, उसका दुनिया भर में हमारे सभी रिश्तों और साझेदारियों पर भी गहरा असर पड़ रहा है. मजबूत अमेरिका-भारत संबंध ही हमारे हितों की पूर्ति करता है.

कुल मिलाकर भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति को अमेरिका या किसी और देश के इशारों पर नहीं चलाएगा. भारत के इस रुख से अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को यह संदेश गया है कि भारत अब पावर बैलेंसर की भूमिका में है.

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