होम विदेश व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी को लेकर पश्चाताप क्यों कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप?

व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी को लेकर पश्चाताप क्यों कर रहे हैं डोनाल्ड ट्रंप?

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डोनाल्ड ट्रंप, व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी.

चीन में SCO मीटिंग और विक्ट्री डे परेड की बैठक के तुरंत बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी कर अफसोस जताया है. ट्रंप ने अपने सोशल नेटवर्किंग ऐप ट्रूथ पर लिखा- चीन के चलते हमने व्लादिमीर पुतिन (रूस) और नरेंद्र मोदी (भारत) जैसे दोस्त खो दिए. सवाल उठ रहा है कि रूस और भारत के खिलाफ लगातार हमलावर ट्रंप ने आखिर यह बयान क्यों दिया है?

पहले भारत वाला एंगल समझिए

अमेरिका और भारत के बीच सालों पुरानी दोस्ती है. दक्षिण एशिया में भारत एकमात्र देश है, जो चीन के खिलाफ मजबूती से मुखर रहता है. भारत की आबादी चीन से ज्यादा है. चीन की तरह भारत भी परमाणु संपन्न देश है. ट्रंप जब पहली बार राष्ट्रपति बने तो उन्होंने दोस्ती को और ज्यादा प्रगाढ़ किया.

इसका नतीजा यह था कि 2019 और 2020 में ट्रंप-मोदी ने अमेरिका और भारत में एक-एक संयुक्त रैली की. जनवरी 2025 में जब अमेरिका में उथल-पुथल का दौर मचा था तो भारत एकमात्र ऐसा देश था, जिसके 80 प्रतिशत लोग ट्रंप के फेवर में थे. यूरोपीय विदेश विभाग से जुड़े एक सर्वे में कहा गया था कि 80 प्रतिशत भारतीय चाहते हैं कि ट्रंप राष्ट्रपति बने.

लेकिन पिछले कुछ महीने में दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए. रूस से तेल खरीदने के आरोप में अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया. इतना ही नहीं, ट्रंप और उनके सलाहकार लगातार भारत के खिलाफ टिप्पणी करते रहे. एक्सियोस के मुताबिक ट्रंप की मागा (मेक अमेरिका ग्रेट अमेरिका) टीम की वजह से भारत से अमेरिका के रिश्ते खराब हो गए हैं.

वहीं अमेरिका से रिश्ते खराब होने के बाद भारत और चीन के बीच जिस गति से रिश्तों में सुधार हुआ है, उसने अमेरिका की टेंशन बढ़ा दी है. जर्मनी की एक पत्रिका ने हाल ही में दावा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत के प्रधानमंत्री ने टैरिफ पर बात करने से इनकार कर दिया.

अब पुतिन की कहानी समझिए

डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनते ही रूस से रिश्ते ठीक करने में जुट गए, लेकिन ट्रंप को अभी कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई. ट्रंप टीम का कहना है कि रूस और चीन जैसे दो सुपरपावर का एक साथ आना अमेरिका के लिए खतरनाक है. एक तरफ जहां इससे दोनों के सामरिक महत्व बढ़ेंगे वहीं दोनों की बाजार में भी तेजी आएगी.

पुतिन और जिनपिंग ने जिस तरीके से बीजिंग में उत्तर कोरिया और ईरान के साथ शक्ति प्रदर्शन किया. अमेरिका उससे भी टेंशन में है. पहली बार चीन और रूस ने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन पर परमाणु निशस्त्रीकरण पर कोई बात नहीं है.

इससे कोरियाई द्वीप में अमेरिका को झटका लगा है. ट्रंप ने हाल ही में परमाणु हथियार खत्म करने को लेकर किम से मुलाकात की बात कही थी. अब पुतिन और जिनपिंग ने जिस तरीके से किम को बूस्टर दे दिया है. उससे अब अमेरिका की बात किम मानेंगे, वो नहीं लगता है.

पुतिन मध्य पूर्व में ईरान के जरिए भी खेल कर रहे हैं. ईरान ने हिजबुल्लाह और हूती जैसे प्रॉक्सी संगठनों को फिर से पैसा देना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं ईरान यूरेनियम संवर्धन का काम भी कर रहा है. पुतिन के विरोधी खेमे में होने की वजह से अब दुनिया में जितने भी अमेरिकी विरोधी देश है, वो एक मंच पर धीरे-धीरे या तो आ गए हैं या आ रहे हैं.

यही वजह है कि ट्रंप अब अपनी गलती सुधारना चाहते हैं. इसलिए ट्रंप सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अफसोस जता रहे हैं. पश्चाताप कर रहे हैं.

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