होम विदेश आज जिस जन्मदर से भारत घबराया, उससे अमेरिका दशकों पहले गुजरा

आज जिस जन्मदर से भारत घबराया, उससे अमेरिका दशकों पहले गुजरा

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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की ताजा स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2025 के मुताबिक भारत अब 1.46 अरब की आबादी के साथ दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है. चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत शीर्ष पर आ गया है.

लेकिन इसी बीच एक और बड़ी चिंता सामने आई है देश की कुल प्रजनन दर (TFR) अब 1.9 पर पहुंच गई है, जो कि 2.1 के जरूरी मानक से से नीचे है. यह वही स्थिति है जिसका सामना अमेरिका दशकों पहले कर चुका था.

भारत में तेजी से घट रही जन्मदर

भारत की जनसंख्या अगले 40 वर्षों में लगभग 1.7 अरब पर पहुंचने के बाद घटने लगेगी, ऐसा अनुमान संयुक्त राष्ट्र ने लगाया है. ये आंकड़ा बताता है कि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर अब धीमी हो चुकी है. 2024 में भारत की आबादी 1.44 अरब थी.
2025 में यह बढ़कर 1.46 अरब हो गई. लेकिन जन्मदर घटकर 1.9 तक पहुंच जाने से यह बढ़ोतरी लंबे समय तक नहीं टिकेगी. विशेषज्ञों का मानना है कि ये गिरावट भले ही स्थिर जनसंख्या के लिहाज से सकारात्मक लगे लेकिन सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को देखते हुए यह आने वाले समय में बुजुर्ग आबादी के अनुपात पर गहरा असर डाल सकती है.

अमेरिका का अनुभव: जब जन्मदर गिरी

अमेरिका भी कभी इसी मोड़ से गुज़रा है. 1930 और 40 के दशक में वहां औसत प्रजनन दर 3.7 तक थी. परिवारों में तीन से ज़्यादा बच्चे होना आम बात थी. लेकिन 1970 के बाद हालात बदलने लगे. 1967 तक औसत आदर्श परिवार का आकार 3.3 से 3.6 बच्चों के बीच माना जाता था.

1973 में यह पहली बार 3 से नीचे आ गया और 2.8 पर पहुंचा. 1980 के दशक तक आते-आते बड़े परिवार की धारणा और कमजोर हो गई. Gallup सर्वे के मुताबिक इस गिरावट के पीछे सांस्कृतिक बदलाव, आर्थिक मंदी और पर्यावरणीय चिंताएँ प्रमुख कारण मानी गईं. 1968 में आई किताब द पॉपुलेशन बॉम्ब ने जनसंख्या विस्फोट को लेकर अमेरिकी समाज में भय पैदा कर दिया था.

आज का अमेरिका: चाहत और हकीकत में फर्क

अमेरिका में पिछले कुछ दशकों में चाहत और हकीकत के बीच का फासला बहुत बढ़ गया है. अमेरिका में जन्मदर अब उस स्तर से भी नीचे आ गई है (2.1 बच्चे प्रति महिला) जो आबादी को स्थिर रखने के लिए जरूरी माना जाता है.दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में लोग आज भी औसतन 2.7 बच्चों को आदर्श मानते हैं.

Gallup सर्वे के मुताबिक 40% अमेरिकी दो बच्चों को आदर्श मानते हैं. 27% तीन बच्चों के पक्ष में हैं. केवल 4% लोग मानते हैं कि एक भी बच्चा न होना ठीक है. यानी अमेरिकी समाज की सोच अब भी बड़े परिवार की तरफ झुकाव दिखाती है. मगर जिंदगी की मुश्किलें और खर्चे उन्हें उतने बच्चे पैदा करने ही नहीं दे रहे, जितने वे वास्तव में चाहते हैं.

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