होम देश India policy changes as Emergency arms contract to be cancelled if no delivery within a year इमरजेंसी में खरीदे हथियार एक साल के भीतर करने होंगे डिलीवर, वरना डील रद्द; भारत का फैसला, India News in Hindi

India policy changes as Emergency arms contract to be cancelled if no delivery within a year इमरजेंसी में खरीदे हथियार एक साल के भीतर करने होंगे डिलीवर, वरना डील रद्द; भारत का फैसला, India News in Hindi

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मंत्रालय की कोशिश है कि सामान्य रक्षा खरीद प्रक्रिया को मौजूदा 5-6 साल से घटाकर 2 साल में पूरा किया जाए। इसके तहत फील्ड इवैल्यूएशन ट्रायल्स को 1 साल में पूरा करने का लक्ष्य है, जबकि अभी इसमें 2-3 साल लगते हैं।

भारतीय सेना की युद्धक क्षमताओं को समय पर बढ़ाने और भविष्य के संघर्षों के लिए बेहतर तैयारी के मकसद से रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन खरीद प्रक्रिया में अहम बदलाव किए हैं। अब इस प्रक्रिया से किए गए सभी डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स की सप्लाई अनिवार्य रूप से एक साल के भीतर करनी होगी। तय समय सीमा में डिलीवरी न होने पर कॉन्ट्रैक्ट अपने आप रद्द कर दिया जाएगा।

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पूर्व में आपातकालीन खरीद के तहत किए गए कई सौदे समय पर पूरे नहीं हो पाए थे, जिससे खरीद का उद्देश्य ही विफल हो गया था। खासकर लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य तनाव के दौरान कई हथियार खरीद की डिलीवरी में देरी हुई थी।

तैयार हथियारों और गोला-बारूद की होगी खरीद

अधिकारियों ने बताया कि आपातकालीन मार्ग से केवल बाजार में उपलब्ध और तुरंत आपूर्ति योग्य हथियार व गोला-बारूद ही खरीदे जाएंगे। इनमें ड्रोन्स, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, राडार, एयर डिफेंस सिस्टम और अन्य युद्धक उपकरण शामिल हैं। एक अधिकारी ने कहा, “इन सभी को डील पर हस्ताक्षर होने के एक वर्ष के भीतर डिलीवर करना होगा, और ऐसा न करने पर कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया जाएगा।”

24 जून को रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन खरीद की पांचवीं किस्त के तहत 13 कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए, जिनकी कुल कीमत लगभग 1,981.90 करोड़ रुपये है। इनमें रिमोटली पायलटेड एरियल व्हीकल्स, लूटेरिंग म्यूनिशंस, ड्रोन्स, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, वेरी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम और राडार शामिल हैं।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद मिले आपातकालीन अधिकार

सरकार ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद तीनों सेनाओं को आपातकालीन अधिकार दिए, जिसके तहत वे अपने पूंजीगत बजट का 15% तक तुरंत इस्तेमाल कर जरूरी हथियार और गोला-बारूद खरीद सकती हैं। पहली बार जून 2020 में गलवान घाटी झड़प के बाद सेनाओं को 300 करोड़ रुपये तक की आपातकालीन पूंजीगत खरीद का अधिकार मिला था। 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2016 के उरी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी राजस्व खरीद के लिए ऐसे अधिकार दिए गए थे।

पूंजीगत बनाम राजस्व खरीद

पूंजीगत खरीद: नए हथियार, हथियार प्रणालियां और अन्य युद्धक संपत्ति हासिल करने के लिए, जो स्थायी तौर पर सेना की क्षमता बढ़ाते हैं।

राजस्व खरीद: मौजूदा हथियार प्रणालियों को बनाए रखने और संचालन योग्य बनाए रखने के लिए जरूरी स्पेयर्स और गोला-बारूद की खरीद।

सामान्य खरीद प्रक्रिया में भी सुधार

रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने हाल ही में कहा कि मंत्रालय की कोशिश है कि सामान्य रक्षा खरीद प्रक्रिया को मौजूदा 5-6 साल से घटाकर 2 साल में पूरा किया जाए। इसके तहत फील्ड इवैल्यूएशन ट्रायल्स को 1 साल में पूरा करने का लक्ष्य है, जबकि अभी इसमें 2-3 साल लगते हैं। यदि कोई प्लेटफॉर्म पहले से किसी मित्र देश की सेना में सेवा में है, तो उसके ट्रायल्स भारत में न कराने पर भी विचार किया जा रहा है। अनुरोध प्रस्ताव, लागत वार्ता और अन्य प्रक्रियाओं की समय सीमा भी 3-6 महीने तक सीमित करने की योजना है। मंत्रालय ने पहले ही कुछ प्रक्रियाओं की समय-सीमा घटाकर 69 हफ्ते कम कर दिए हैं।

डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर-2020 में संशोधन

सरकार DAP-2020 को और सरल बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। इसके लिए महानिदेशक (अधिग्रहण) की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है, जो श्रेणीकरण, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, ट्रायल्स, पोस्ट-कॉन्ट्रैक्ट प्रबंधन, फास्ट-ट्रैक प्रक्रियाएं और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नई तकनीकों के अपनाने पर सिफारिशें देगी। नई व्यवस्था से उम्मीद है कि भारतीय सेना को समय पर जरूरी हथियार और उपकरण मिलेंगे और आपातकालीन खरीद का उद्देश्य- तेजी से युद्धक क्षमता बढ़ाना सही मायनों में पूरा हो सकेगा।

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