बीएसएफ के डीआईजी संजय यादव द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि हमारे देश के सैनिकों को विशेष रूप से उच्च पदस्थ अधिकारी के कुत्ते की देखभाल के लिए तैनात किया जाता है।
हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) के जवानों का बड़े पैमाने पर घरेलू कार्यों में दुरुपयोग किया जा रहा है। यह याचिका BSF के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) ने दायर की है। इनका नाम संजय यादव है। याचिका में कहा गया है कि “देश के सैनिकों को यहां तक कि उच्च अधिकारियों के कुत्ते की देखभाल तक में तैनात किया जाता है।” संजय यादव ने अपने अनुभव के आधार पर इस प्रथा को “व्यापक और चिंताजनक” बताया है। मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने BSF और MHA को नोटिस जारी कर याचिका में लगाए गए आरोपों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
घरेलू कार्यों में जवानों की तैनाती का आरोप
याचिका में कहा गया है कि “यह प्रथा आम हो चुकी है कि BSF के कई जवानों को सीमा पर या कानून-व्यवस्था ड्यूटी पर लगाने के बजाय वरिष्ठ अधिकारियों के निजी घरों में घरेलू कामों के लिए तैनात कर दिया जाता है।” याचिकाकर्ता ने चेताया कि इस तरह का दुरुपयोग न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है बल्कि सार्वजनिक खजाने पर भी अनुचित बोझ डालता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में CAPFs और असम राइफल्स में 83,000 से अधिक रिक्तियां हैं, ऐसे में उपलब्ध बल का निजी उपयोग बेहद गंभीर मामला है।
2016 के आदेश का हवाला
संजय यादव ने अपनी याचिका में 21 सितंबर 2016 के एक कार्यालय ज्ञापन का भी उल्लेख किया है, जिसमें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि सेवानिवृत्ति के एक महीने के भीतर अधिकारियों को मिले सभी विशेषाधिकार- जैसे घर पर जवानों की तैनाती, वाहन, निजी सुरक्षा आदि वापस ले लिए जाएं।
इसके बाद BSF ने 131 जवानों की सूची भी तैयार की थी, जो विभिन्न सेवानिवृत्त पुलिस और CAPF अधिकारियों के यहां अनधिकृत रूप से काम कर रहे थे। लेकिन संजय यादव का कहना है कि BSF प्राधिकरण ने न तो इन जवानों को वापस बुलाने की कार्रवाई की और न ही सेवानिवृत्त अधिकारियों से अनधिकृत उपयोग का खर्च वसूला।
विस्तृत जांच की मांग
PIL में अदालत से अपील की गई है कि तथ्यों की विस्तृत जांच कराई जाए और BSF/CAPFs के जवानों के दुरुपयोग पर जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। अब इस मामले पर गृह मंत्रालय और BSF को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखना होगा।