सख्त वीजा नियमों के कारण भारतीय छात्रों को US में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें कॉलेजों में पर्याप्त उपस्थिति के अलावा कार्यस्थलों पर सख्त निरीक्षण का सामना करना पड़ रहा है। इससे उन्हें नियोक्ता काम पर नहीं रख रहे हैं।
भारत पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अब वहां रह रहे भारतीय छात्रों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। इससे वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप प्रशासन ने वीजा नियमों में सख्ती बरत दी है। इसकी वजह से वहां पार्ट टाइम काम कर रहे छात्रों की नौकरियों पर संकट आ गया है। ऐसे में भारतीय छात्र अब अमेरिका में गुजारा करने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। कई राज्यों में कार्यस्थलों पर ऐसे छात्रों के निरीक्षण के कारण उन्हें अपनी पार्ट टाइम जॉब छोड़नी पड़ी है। इस मार की वजह से भारतीय छात्रों को अब किराया और रोजमर्रा के खर्चे पूरे करने के लिए संघर्ष करने पड़ रहे हैं।
सख्त वीजा नियमों के चलते अमेरिकी नियोक्ता भारतीय छात्रों को पार्टटाइम जॉब नहीं दे रहे हैं या दे भी रहे हैं तो काम के घंटे बहुत कम हैं, जिससे उनकी आमदनी कम हो गई है। इन परिस्थितियों में वहां छात्रों को या तो अपने खर्चों में भारी कटौती करनी पड़ी है या आर्थिक मदद के लिए परिवार का रुख करना पड़ा है। अमूमन अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्र पार्ट टाइम जॉब करके अपने खर्चे निकाल लिया करते थे लेकिन ट्रंप प्रशासन ने उन्हें मुश्किल बना दिया है।
4,700 से ज़्यादा छात्रों के वीज़ा रद्द
आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि हाल के महीनों में कॉलेजों में पर्याप्त उपस्थिति नहीं होने या अनधिकृत रोजगार के कारण 4,700 से ज़्यादा छात्रों के वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं। TOI से बात करते हुए लॉस एंजिल्स में साइबर सुरक्षा में मास्टर डिग्री कर रहे 25 वर्षीय छात्र ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा, “पहले, मैं पढ़ाई और एक रेस्टोरेंट में नौकरी के बीच संतुलन बना लेता था। मैं दिन में कम से कम आठ घंटे काम करता था लेकिन जाँच शुरू होने के बाद, मेरे नियोक्ता ने सभी छात्र कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया। है। इससे आर्थिक संकट गहरा गया है।”
दिन में तीन घंटे से ज़्यादा काम करने की इजाजत नहीं
एक अन्य छात्र ने बताया कि उसे एक रेस्टोरेंट में नौकरी तो मिल गई, लेकिन दिन में तीन घंटे से ज़्यादा काम करने की इजाजत नहीं दी गई। इससे कमाई कम हो गई। अब ऐसे छात्र न तो किराये का प्रबंध कर पा रहे हैं और न ही किराने के सामान का। आर्थिक तंगी के कारण कई छात्रों को या तो बहुत छोटे से घरों में रहना पड़ रहा है या फिर एक ही रूम में कई छात्रों को रहने पर मजबूर होना पड़ा है।
नामांकन में साल-दर-साल 28% की गिरावट
अटलांटा में रह रहे 27 वर्षीय कंप्यूटर साइंस के एक छात्र बताया कि पहले वह करीब 1,200 डॉलर प्रति माह कमाता था, जो उसके रहने-खाने के खर्चों के लिए पर्याप्त था। लेकिन वीजा नियमों में सख्ती के कारण अब उसकी कमाई 300 डॉलर तक सीमित हो गई है। हालात ऐसे हैं कि अब वह दो कमरे के घर में छह लोगों के साथ रह रहा है। वीजा नियमों के मानदंडों में सख्ती आधिकारिक आंकड़ों में भी दिखाई देती है। मार्च 2025 तक भारत से सक्रिय छात्र नामांकन में साल-दर-साल 28% की गिरावट आई है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि माहौल कितना प्रतिकूल हो गया है।