बैंकॉक के निमिबुत्रा स्टेडियम में VHP ने भव्य 18वां गणेशोत्सव मनाया
गणपति का उत्सव पूरी दुनिया में हर्ष के साथ मनाया जा रहा है. थाईलैंड में भी इस उत्सव को लेकर उत्साह देखने को मिला. थाईलैंड के सबसे बड़े और भव्य विश्व हिंदू परिषद संघ का 18वां वार्षिक गणेशोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया गया. इस उत्सव का आयोजन बैंकॉक के निमिबुत्रा स्टेडियम में हुआ. विश्व हिंदू परिषद संघ थाईलैंड द्वारा आयोजित इस उत्सव में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए.
भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक सेतु के प्रतीक इस उत्सव में भक्ति, कला और एकता का अनूठा संगम देखने को मिला. ढोल और नगाड़ों की थाप पर श्रद्धालु भक्ति के रंग रंगे नजर आए. पूरे उत्सव में ‘गणपति बप्पा मोरया’ की गूंज ने पूरे परिसर को आनंद से भर दिया.
गणेश प्रतिमा का विशेष आकर्षण
इस उत्सव का मुख्य आकर्षण 10 फुट ऊंची भगवान गणपति की प्रतिमा रही. थाईलैंड में इस प्रतिमा को भारत के कुशल कलाकारों ने विशेष रूप से तैयार किया था. गणपति की प्रतिमा को देखते ही भक्त आनंदित हो उठे. उसकी कलात्मकता, भक्ति और शिल्प कौशल ने उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया.
पुणेरी ढोल पर थिरके भक्त
विश्व हिंदू परिषद संघ द्वारा बैंकॉक में आयोजित इस बार के गणपति उत्सव में पुणेरी ढोल विशेष आकर्षण रहा. यह पहली बार था जब पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ फाउंडेशन की 15 सदस्यीय ढोल-ताशा मंडली ने ‘नादब्रह्म’ ढोल बजाया. उनके द्वारा बजाए गए पुणेरी ढोल की ध्वनि पूरे स्टेडियम में गूंज उठी. दर्शकों ने उत्साह के साथ इस उत्सव में भाग लिया. यह आयोजन बैंकॉक में मराठी ढोल-ताशा परंपरा के लिए एक ऐतिहासिक आयोजन बन गया.
नाव में भक्तों ने कराया स्नान
विसर्जन जुलूस और आध्यात्मिक सद्भाव गणेश विसर्जन जुलूस ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया. बैंकॉक के प्रमुख व्यावसायिक मार्गों से होते हुए जुलूस रामा-3 रोड स्थित सिलारोक पार्क के पास विसर्जन स्थल पर पहुंचा. कुछ भक्तों ने नाव में गणेश जी को स्नान कराया और ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारे लगाए.
शामिल हुए कई बड़े चेहरे
इस भव्य समारोह में विश्व हिंदू परिषद संघ थाईलैंड की अध्यक्ष श्रीमती वैशाली तुषार उरुमकर, भारतीय दूतावास के परामर्शदाता श्री आर. मुथु, स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र के श्री योगी जी, श्रीमती. प्रांदा ज्वेलरी के सलाहकार श्री. मलिक, उपाध्यक्ष श्री. सुशील सराफ, गुरु महाराज, इस्कॉन (सियाम पैलेस) सहित विभिन्न संस्थाओं के प्रमुख, प्रायोजक और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे.
इस गणेशोत्सव ने थाईलैंड में भारतीय समुदाय के बीच एकता, आस्था और भारतीय संस्कृति के संरक्षण को उजागर किया है. पिछले 18 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा ने कई नए परिवारों को इस उत्सव को मनाने के लिए प्रेरित किया है.