होम देश Delhi High Court Asks Mahua Moitra and Jay on Dog Custody Why Dont You Sit and Resolve this Issue Yourselves बैठकर आपस में सुलझा क्यों नहीं लेते? कुत्ते की कस्टडी पर कोर्ट ने महुआ और जय से पूछा, India News in Hindi

Delhi High Court Asks Mahua Moitra and Jay on Dog Custody Why Dont You Sit and Resolve this Issue Yourselves बैठकर आपस में सुलझा क्यों नहीं लेते? कुत्ते की कस्टडी पर कोर्ट ने महुआ और जय से पूछा, India News in Hindi

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जस्टिस मनोज जैन ने नोटिस जारी किया और दोनों पक्षों से पूछा कि वे एक साथ बैठकर अदालत के बाहर इस मुद्दे को क्यों नहीं सुलझा लेते? महुआ-जय के बीच कुछ समय पहले विवाद देखने को मिला था, जिसके बाद दोनों ने एक-दूसरे पर कुत्ते को चुराने का आरोप लगाया था।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 3 Sep 2025 06:23 PM

दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा से वकील जय अनंत देहाद्राय द्वारा दायर उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें उन्हें एक पालतू कुत्ते की हिरासत से संबंधित मामले को सार्वजनिक करने से रोकने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जस्टिस मनोज जैन ने मोइत्रा को अपील पर नोटिस जारी किया और दोनों पक्षों से पूछा कि वे एक साथ बैठकर अदालत के बाहर इस मुद्दे को साथ बैठकर क्यों नहीं सुलझा लेते?

अदालत को बताया गया कि मोइत्रा द्वारा निचली अदालत में दायर मुकदमे में पालतू रॉटवीलर ‘हेनरी’ की संयुक्त कस्टडी की मांग की गई थी। देहाद्राय ने निचली अदालत के एकपक्षीय आदेश को चुनौती दी, जिसमें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि वर्तमान कार्यवाही का किसी भी तरह से प्रचार न किया जाए। महुआ-जय के बीच कुछ समय पहले विवाद देखने को मिला था, जिसके बाद दोनों ने कुत्ते हेनरी को एक-दूसरे पर चुराने का आरोप लगाया था।

अनंत देहाद्राय ने निचली अदालत के आदेश को चैलेंज किया है। देहाद्राय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने कहा कि देहाद्राय निचली अदालत के मार्च 2025 के उस फैसले से व्यथित हैं जिसमें पक्षों को मामले के बारे में बात करने से प्रतिबंधित किया गया था। यह आदेश साकेत कोर्ट ने मार्च 2025 में मोइत्रा द्वारा दायर मुकदमे पर पारित किया था।

देहाद्राय ने तर्क दिया है कि यह आदेश उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि ‘व्यापक प्रतिबंध आदेश’ का अर्थ है कि वह हिरासत मामले के अस्तित्व के बारे में सार्वजनिक रूप से किसी को भी नहीं बता सकते। दोनों पक्षों के लिए ऑर्डर के अलावा, ट्रायल कोर्ट ने बाद में देहाद्राय के खिलाफ विशेष रूप से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के लिए अंतरिम निषेधाज्ञा जारी की, जिसे उल्लंघन माना गया था। अब हाईकोर्ट में अपनी याचिका में, देहाद्राय ने तर्क दिया है कि गैग ऑर्डर उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।

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