थाइलैंड की सियासत में इन दिनों भारी हलचल मची हुई है. युवा प्रधानमंत्री पैटोंगतार्न शिनावात्रा को देश की अदालत ने पद से हटा दिया है. महज एक साल पहले सत्ता में आईं शिनावात्रा, पूर्व प्रधानमंत्री और अरबपति थाकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं. लेकिन अदालत के फैसले ने उनके राजनीतिक करियर को बड़ा झटका दिया.
उनके पद से हटने के बाद से ही चर्चाओं का दौर जारी है कि थाइलैंड की बागडोर अब किसके हाथ में जाएगी. और इसी बीच उद्योगपति से नेता बने अनुतिन चार्नवीराकुल सुर्खियों में हैं. मेडिकल गांजा को वैध कराने वाले इस नेता का नाम प्रधानमंत्री की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है.
कौन हैं अनुतिन चार्नवीराकुल?
अनुसिन न सिर्फ एक बड़े कारोबारी घराने से आते हैं बल्कि राजनीति में भी उनका खास दबदबा है. वे भुमजैथाई पार्टी के मुखिया हैं और कोरोना महामारी के समय स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं. सबसे ज्यादा सुर्खियों में वो तब आए जब उन्होंने थाइलैंड में मेडिकल कैनबिस यानी गांजा को वैध कराने का रास्ता खोला.
इसी वजह से उन्हें लोग मजाक में गांजा मैन भी कहते हैं. अनुतिन की भुमजैथाई पार्टी पहले पैटोंगटार्न शिनावात्रा की सरकार का अहम हिस्सा थी. लेकिन हाल ही में, कंबोडिया से सीमा विवाद को लेकर पैटोंगतार्न के रवैये से नाखुश होकर उनकी पार्टी ने गठबंधन से किनारा कर लिया.
गेमचेंजर बनी पीपुल्स पार्टी
थाईलैंड की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी पीपुल्स पार्टी ने अनुतिन को प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन देने का संकेत दिया है. हालांकि, यह समर्थन बिना शर्त नहीं है. पार्टी ने साफ कहा है कि अनुतिन को 4 महीने में संसद भंग करनी होगी और संविधान बदलने की दिशा में कदम उठाने होंगे. यानी, यह महज एक इंटरिम डील है.
फिलहाल, उन्होंने सात पार्टियों और छोटे समूहों के साथ मिलकर 146 सीटों का गठबंधन बनाया है. लेकिन असली बाजी पीपुल्स पार्टी के हाथ में है. पीपुल्स पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह अनुतिन की सरकार में शामिल नहीं होगी. लेकिन वह अपने 143 सांसदों का समर्थन जरूर देगी, जिससे अनुतिन आसानी से प्रधानमंत्री बनने के लिए ज़रूरी 247 वोट पूरे कर सकें.
क्या थाईलैंड की राजनीति बदलेगी?
सवाल यह है कि क्या अनुतिन सिर्फ चार महीने के लिए एक अंतरिम प्रधानमंत्री बनेंगे या फिर यह शुरुआत उनके लंबे राजनीतिक सफर की होगी? पीपुल्स पार्टी ने अनुतिन को समर्थन देने के पीछे की दलील दी है कि यह कदम किसी नेता को बचाने के लिए नहीं, बल्कि देश को बाहर से होने वाले राजनीतिक दबाव और कमजोर गठबंधन सरकारों से बचाने के लिए है.