Jharkhand News: झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम (West Singhbhum) जिले से मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है. यहां कलयुगी बेटे और बहू की प्रताड़ना से तंग होकर वृद्ध दंपति बीच चौक में धरने पर बैठ गये. वृद्ध दंपति की पहचान 65 वर्षीय अर्जुन प्रताप साव और उनकी 55 वर्षीया पत्नी शकुंतला देवी के रूप में हुई है. शकुंतला देवी कैंसर (Cancer) पीड़ित है. दोनों जिले के चक्रधरपुर के झुमका मोहल्ला, सज्जन गली के निवासी हैं. दंपती ने अपने बड़े बेटे आलोक साव और बहू सुषमा पर मारपीट और प्रताड़ित करने के साथ घर से बेदखल करने का गंभीर आरोप लगाया है.
“मैं कैंसर पीड़ित हूं” – शकुंतला देवी
धरने पर बैठी शकुंतला देवी के हाथ में एक तख्ती थी, जिस पर लिखा था- “मैं कैंसर पीड़ित हूं”. यह दृश्य देख हर राहगीर का मन विचलित हो रहा था. लेकिन अफसोस अपने मां की यह हालत देख उस बेटे का दिल नहीं पिघला, जिसने अपने माता-पिता को इस परिस्थिति में घर से बेदखल कर दिया. वहीं अर्जुन साव भी एक तख्ता लेकर धरने पर बैठे हैं, जिसमें उन्होंने बेटे की प्रताड़ना का जिक्र किया है.
घर से धक्का मारकर निकाला, मारपीट कर सिर फोड़ा
अर्जुन साव के मुताबिक, उन्होंने अपने बड़े बेटे के लिए पोस्ट ऑफिस रोड पर कपड़े की दुकान शुरू करायी, जिससे वह अच्छी कमाई करता है. लेकिन अब वही बेटा आये दिन उनके साथ मारपीट करता है. उन्होंने कहा कि जिस घर को खून-पसीने से बनाया, उसी घर से उन्हें धक्का मारकर निकाल दिया गया. वह लोग पिछले 8-9 महीने से किराये के मकान में रह रहे हैं, लेकिन वहां भी उनका बड़ा बेटा आलोक मारपीट करने पहुंच जाता है. 29 अगस्त को भी मारपीट कर उनका सिर फोड़ दिया. जिसकी शिकायत थाने में की गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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केस करने पर बेटे ने डंडे से पीटा
कोर्ट के आदेशानुसार, दोनों बेटों को माता-पिता को पांच-पांच हजार रुपये देने थे. छोटा बेटा आशीष आदेश का पालन कर रहा है, लेकिन आलोक न तो पैसे देता है और न ही घर लौटने देता है. उल्टा केस करने के बाद उसने अपने ही पिता को बेरहमी से डंडों से पीटा. अर्जुन साव ने बताया कि उनकी पत्नी 2021 से कैंसर से पीड़ित हैं और इलाज के लिए मुंबई जाना पड़ता है. शुरुआती दौर में बच्चों ने सहयोग किया, लेकिन अब सबने मुंह मोड़ लिया है. दंपती का कहना है कि वह कई बार पुलिस और प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब तक उन्हें न्याय के साथ घर वापस नहीं मिलता है, वह धरना पर बैठे रहेंगे.
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