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ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका को खुली चुनौती, चीन-रूस ने साइन की साइबेरिया गैस पाइपलाइन डील

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चीन और रूस साथ मिलकर अमेरिका के प्रतिबंधों और उसके टैरिफ को चुनौती देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं. हाल ही में SCO समिट के दौरान चीन और रूस ने पावर ऑफ साइबेरिया 2 गैस पाइपलाइन के निर्माण के लिए एक समझौते पर साइन किए हैं. यह कदम दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को और गहरा करेगा. इस हफ्ते दोनों देशों ने अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था के विकल्प का प्रस्ताव रखा था.

गैजप्रोम के प्रमुख एलेक्सी मिलर ने मंगलवार को बीजिंग में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के बीच हुई वार्ता के बाद इस समझौते का ऐलान किया. सरकारी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के मुताबिक त्रिपक्षीय वार्ता में मंगोलिया के नेता खुरेलसुख उखना भी शामिल थे. मंगोलिया इस पाइपलाइन के लिए एक ट्रांजिस्ट पाइंट के रूप में काम करेगा.

50 अरब घन मीटर गैस का होगा निर्यात

मिलर ने आगे कहा कि एक बार काम पूरा हो जाने पर, यह पाइपलाइन रूस से मंगोलिया होते हुए सालाना 50 अरब घन मीटर गैस का परिवहन कर सकेगी और नए समझौते के तहत आपूर्ति 30 सालों तक जारी रहेगी. पहले चीन रूस के तेल का सबसे बड़ा खरीदार है.

चीन बढ़ाएगा ऊर्जा निर्यात

दोनों देशों के बीच लंबी बातचीत के बाद हुए इन समझौतों से चीन के अपने पड़ोसी देश से ऊर्जा आयात में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और साथ ही यूक्रेन पर हमले के बाद रूस को यूरोपीय बाजारों में हुए नुकसान की भरपाई करने में भी मदद मिलेगी. पश्चिमी देश पहले से चीन पर आरोप लगाते आए हैं, कि चीन यूक्रेन के खिलाफ रूस को आर्थिक मदद दे रहा है.

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