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बहनों की दुआओं और भाइयों की लंबी उम्र का उत्सव

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लोहरदगा़ लोहरदगा जिले में करमा पर्व बड़े धूमधाम और परंपरागत उल्लास के साथ मनाया जाता है. जगह-जगह करमा पर्व संध्या का आयोजन होता है जहां सामूहिकता और आपसी भाईचारे के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष करमा पर्व तीन सितंबर दिन बुधवार को मनाया जा रहा है. इस मौके पर आम से खास तक सभी मांदर की थाप पर थिरकते नजर आते हैं. करमा पर्व मुख्य रूप से बहनों द्वारा भाइयों की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है. महिलाएं 24 घंटे का उपवास रखकर करम डाल की पूरे विधि-विधान से पूजा करती हैं. यह पर्व न केवल भाइयों की मंगल कामना का प्रतीक है बल्कि सृष्टि और प्रकृति की आराधना का भी उत्सव है. आदिवासी समाज प्रकृति को ही आराध्य देव मानता है और करम वृक्ष को विशेष महत्व देता है क्योंकि यह 24 घंटे ऑक्सीजन प्रदान करता है. इसी कारण करम वृक्ष को आराध्य देव के रूप में पूजा जाता है. पूजा के दिन बांस की बनी डाली को सजाकर घर के आंगन में स्थापित किया जाता है. इसके चारों ओर महिलाएं बैठकर अपने भाइयों के कल्याण की प्रार्थना करती हैं. यह पर्व प्रकृति और मानव के अटूट संबंध को दर्शाता है. करमा हमें सिखाता है कि प्रकृति के बिना जीवन असंभव है और इसका संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. करमा पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, सामाजिक संस्कार भी है : करमा पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक सामाजिक संस्कार भी है. यह पीढ़ी दर पीढ़ी सद्भाव, अच्छे चरित्र और मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने का संदेश देता है. जिस प्रकार सूर्य का कार्य निरंतर प्रकाश देना और वृक्ष का कार्य फल व छाया प्रदान करना है, उसी प्रकार करम और धरम को एक सिक्के के दो पहलू माना गया है. आदिवासी समाज करम वृक्ष को सत्य-असत्य, पाप-पुण्य और जीवन के संतुलन का प्रतीक मानता है. यह पर्व हमें याद दिलाता है कि वास्तविक समृद्धि केवल आर्थिक नहीं बल्कि पारिवारिक, सामाजिक और पर्यावरणीय सामंजस्य में है. करमा पूजा मानव, परिवार और प्रकृति के रिश्ते को मजबूत करने का माध्यम है और समाज में एकता, प्रेम और तहजीब का संदेश देती है. मैना बागीचा में होगा भव्य करमा पूजनोत्सव : लोहरदगा शहरी क्षेत्र के मैना बागीचा में नवयुवक सरना समिति द्वारा तीन सितंबर की रात आठ बजे भव्य करमा पूजनोत्सव का आयोजन होगा. यहां पूरे विधि-विधान के साथ करम पूजा की जायेगी जिसमें सांसद सुखदेव भगत भी मौजूद रहेंगे. काफी संख्या में लोग इस अवसर पर जुटेंगे और पूजा के बाद मांदर की थाप पर जमकर थिरकेंगे.

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