होम देश Over 400 Himalayan glacial lakes expanding need vigorous monitoring says report भारत में आ सकती है प्रलय, तेजी से पिघल रही हैं हिमालय की 400 ग्लेशियर झीलें; रिपोर्ट में चेतावनी, India News in Hindi

Over 400 Himalayan glacial lakes expanding need vigorous monitoring says report भारत में आ सकती है प्रलय, तेजी से पिघल रही हैं हिमालय की 400 ग्लेशियर झीलें; रिपोर्ट में चेतावनी, India News in Hindi

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हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में हिमालय के ग्लेशियर को लेकर सख्त चेतावनी दी गई है। केंद्रीय जल आयोग ने बताया है कि हिमालय की 400 से अधिक ग्लेशियर झीलें तेजी से पिघल रही हैं और इन पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है।

Jagriti Kumari भाषाTue, 2 Sep 2025 10:51 PM

जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों से भारत भी अछूता नहीं है। इस बीच हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में इसके खतरों को लेकर आगाह किया गया है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने अपनी नई मॉनिटरिंग रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 400 से अधिक ग्लेशियर झीलों का तेजी से विस्तार हो रहा है जो भारत के लिए चिंताजनक स्थिति है। रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले दिनों में किसी भी प्रलय से बचने के लिए इनकी गहन निगरानी की आवश्यकता है।

हाल ही में सार्वजनिक की गई ग्लेशियल लेक्स एंड वॉटर बॉडीज फॉर जून 2025 नाम की एक रिपोर्ट के मुताबिक जल आयोग ने कहा है कि लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में फैली 432 ग्लेशियल झीलें अचानक विनाशकारी बाढ़ ला सकती हैं। इसलिए इनकी गहन निगरानी की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ग्लेशियल लेक एटलस-2023 के मुताबिक भारत में स्थित 681 में से) 432 झीलों का विस्तार हो रहा है।”

रिपोर्ट में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश में इन झीलों की सबसे ज्यादा (197) संख्या हैं। वहीं लद्दाख (120), जम्मू और कश्मीर (57), सिक्किम (47), हिमाचल प्रदेश (6) और उत्तराखंड (5) की भी झीलें इस सूची का हिस्सा हैं। यह खुलासा भी हुआ है कि भारत में ग्लेशिया झीलों का कुल क्षेत्रफल भी बीते दशक में तेजी से बढ़ा है। जानकारी के मुताबिक 2011 में इनका क्षेत्रफल 1,917 हेक्टेयर था जो 2025 में बढ़कर 2,508 हेक्टेयर हो गया है।

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जल्द से जल्द सचेत होने की जरूरत पर जोर देते हुए सीडब्ल्यूसी ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम, सैटेलाइट बेस्ड अलर्ट और वार्निंग सिस्टम स्थापित करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से निपटने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। पर्वतीय हिमनद का सिकुड़ना और हिमनद झीलों में विस्तार होना, जलवायु के गर्म होने के सबसे पहचानने योग्य और गतिशील दुष्प्रभावों में शामिल हैं।”

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