होम नॉलेज अफगानिस्तान में मात्र 6 तीव्रता वाले भूकंप से 800 मौतें कैसे, क्या फॉल्ट लाइन लाई तबाही?

अफगानिस्तान में मात्र 6 तीव्रता वाले भूकंप से 800 मौतें कैसे, क्या फॉल्ट लाइन लाई तबाही?

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6 तीव्रता वाले भूकंप दूसरे देशों में भी आए हैं, लेकिन मौतों का जो आंकड़ा अफगानिस्‍तान में है, वो वहां नहीं था.

अफगानिस्तान में रविवार रात आए भूकंप की तस्वीरें और वीडियो डराने वाले हैं. 6.0 तीव्रता के भूकंप से अब तक 800 मौतें हो चुकी हैं. 2500 से ज्यादा घायल हैं. भूकंप का केंद्र जलालाबाद शहर से 27 किलोमीटर दूर था. लेकिन सवाल है कि रिक्टर स्केल पर 6 तीव्रता वाले भूकंप दूसरे देशों में भी आए हैं, लेकिन मौतों का आंकड़ा इतना नहीं था. न ही अफगानिस्तान में हाई राइज बिल्डिंग हैं. अब सवाल है कि आखिर अफगानिस्तान में ऐसा क्या है कि इतने लोग मारे गए.

एक्सपर्ट कहते हैं, अफगानिस्तान में भूकंप का लम्बा इतिहास रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा मौतों की वजह फॉल्ट लाइन बनती है. जानिए, क्या है फॉल्ट लाइन और कैसे यह लाइन खतरे को बढ़ा देती है.

क्या है फॉल्ट लाइन?

भूकंप आने के पीछे दो बड़ी वजह होती हैं. पहला है, टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाली हलचल. 90 फीसदी भूकंप की असली वजह यही होती है. दूसरी वजह है फॉल्ट लाइन का खिसकना. आसान भाषा में समझें तो जमीन की गहरी दरारों में हलचल. इसके अलावा ज्वालामुखी विस्फोट के कारण मैग्मा दबाव बनाता है और जमीन हिल सकती है.

अफगानिस्तान के मामले में भूकंप के बाद मौतों के बड़ा कारण है फॉल्ट लाइन को कहा जा रहा है. आसान भाषा में समझें तो फॉल्ट लाइन धरती की वो दरार है जहां जमीन के हिस्से आपस में रगड़ते हैं या सरकते हैं. जहां पर ऐसा ज्यादा होता है वहीं आने वाले भूकंप ज्यादा तबाही लाते हैं.

विशेषज्ञ कहते हैं, फॉल्ट लाइन पर भूकंप ज्यादा आते हैं. भूकंप लाने वाली टेक्टोनिक प्लेट्स हर साल कुछ सेंटीमीटर खिसकती हैं. इनमें बीच एनर्जी पैदा होती है जब यह एनर्जी अचानक रिलीज होती हे तो जमीन हिलती है. यही भूकंप की वजह बनती है.

Earthquake In Afghanistan

अफगानिस्तान में भूकंप का तगड़ा झटका (Photo- Social Media)

7 तीव्रता के एक दर्जन से ज्यादा भूकंप आए

ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के भूकंपविज्ञानी ब्रायन बैप्टी कहते हैं, अफ़ग़ानिस्तान का जानलेवा भूकंप दुनिया की सबसे शक्तिशाली और एक्टिव भूकंपीय शक्तियों में से एक का परिणाम था. इस भूकंप के पीछे वही पावर है, जिसने हिमालय, काराकोरम और तिब्बती पठार का निर्माण किया है- यानी भारत और यूरेशिया प्लेटों का टकराव.

उन्होंने कहा, भारत हर साल लगभग 45 मिमी की दर से यूरेशिया की ओर बढ़ रहा है, यह टकराव क्षेत्र पृथ्वी के सबसे भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है. जो हर साल दुनियाभर में जारी होने वाली सभी भूकंपीय ऊर्जा का लगभग 15 प्रतिशत तक पैदा करता है. इस भूकंपीय क्षेत्र में मौजूद उत्तरपूर्वी अफ़ग़ानिस्तान भूकंपों के इतिहास के लिए जाना जाता है. इस क्षेत्र में 1900 के बाद से 7 तीव्रता के एक दर्जन से ज़्यादा भूकंप आ चुके हैं.

Afghanistan

WHO की टीम अस्पतालों में घायलों के इलाज में मदद कर रही हैं. (फोटो क्रेडिट- WHO)

10 सालों में कब-कब भूकंप ने अफगानिस्तान को हिलाया?

  • अक्टूबर 2023: हेरात प्रांत में तीन भूकंप आए, जो देश की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक था. 7 अक्टूबर को पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के हेरात प्रांत में 6.3 तीव्रता का भूकंप आया. तीन दिन बाद, 11 अक्टूबर को, प्रांत में 6.3 तीव्रता का एक और भूकंप आया, और 15 अक्टूबर को 6.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. ब्रिटिश रेड क्रॉस सोसाइटी के अनुसार, इन भूकंपों में कम से कम 2,445 लोग मारे गए.
  • 21 मार्च, 2023: पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत की सीमा के पास, उत्तरपूर्वी प्रांत बदख़्शां में 6.5 तीव्रता का भूकंप आया. 13 लोग मारे गए.
  • सितंबर 2022: उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के पड़ोसी प्रांतों कुनार और नंगरहार में 5.1 और 4.6 तीव्रता के दो भूकंप आए. आठ लोगों की मौत हुई.
  • 22 जून, 2022: पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के पक्तिका, पक्तिया, खोस्त और नंगरहार प्रांतों में 6.1 तीव्रता का भूकंप आया. इस आपदा में 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए और कई घर ढह गए.
  • 17 जनवरी, 2022: UASGS के अनुसार, पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के बदगीस प्रांत के क़ादिस ज़िले में 5.3 तीव्रता का हल्का भूकंप आया और 26 लोगों की मौत हो गई.
  • 26 अक्टूबर, 2015: उत्तर-पूर्वी अफ़ग़ानिस्तान के हिंदू कुश क्षेत्र के पास 7.5 तीव्रता का भूकंप आया. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ रेड क्रॉस एंड रेड क्रीसेंट सोसाइटीज़ (IFRC) के अनुसार, 117 लोग मारे गए. IFRC ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के हवाले से बताया कि 272 लोग मारे गए और कई अन्य देशों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए.

आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो पाएंगे तो अफगानिस्तान के बॉर्डर पर आए भूकंप के झटकों के बाद मौतों का आंकड़ा कम था, लेकिन जो भूकंप अफगानिस्तान में आए वहां मौतें ज्यादा हुईं.

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