होम नॉलेज कैसी मुगल बादशाह अकबर की ‘कैबिनेट’, कैसे चुने गए थे नवरत्न?

कैसी मुगल बादशाह अकबर की ‘कैबिनेट’, कैसे चुने गए थे नवरत्न?

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अकबर ने टैक्स से लेकर कला-संगीत तक के कामों की देखरेख के लिए अलग-अलग नौ लोगों को नियुक्त किया, जिन्हें नव रत्न कहा गया.

बाबर ने भारत में मुगल शासन की शुरुआत की तो उसके बाद उसका बेटा हुमायूं बादशाह बना. हुमायूं के निधन के बाद सिर्फ 13 साल की उम्र में उसके बेटे अकबर ने सत्ता संभाली. समय के साथ अकबर ने अपनी सूझबूझ से साम्राज्य का विस्तार तो किया ही, शासन का संचालन बहुत व्यवस्थित तरीके के साथ किया. इसके लिए उसने काम का बंटवारा यानी विकेंद्रीकरण किया. सेना, कर यानी टैक्स से लेकर कला-संगीत तक के कामों की देखरेख के लिए अलग-अलग नौ लोगों को नियुक्त किया, जिन्हें नव रत्न कहा गया. आइए जान लेते हैं कि अकबर ने कैसे चुने थे अपने नवरत्न? क्या थी इनकी कहानी और क्या था इनका काम?

अकबर के नवरत्नों में सबसे बुद्धिमान व्यक्ति के रूप में राजा बीरबल, संगीत के महारथी मियां तानसेन, सेनापति राजा मान सिंह, टैक्स के जानकार राजा टोडरमल, अबुल फजल, फैजी, मुल्ला दो प्याजा, फकीर अजिओ-दीन और अब्दुल रहीम खान-ए-खाना के नाम लिए जाते हैं. मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर ने इन सबका चयन इनकी प्रतिभा के अनुसार किया था. अलग-अलग पृष्ठिभूमि और धर्मों के इन सभी लोगों को अपने-अपने क्षेत्र में महारथ हासिल थी. बुद्धि में इनका कोई सानी नहीं था, जिससे मुगल शासन को मजबूती हासिल हुई.

राजा मान सिंह: युद्ध कला में पारंगत

अकबर के नवरत्नों में एक थे राजा मान सिंह. आमेर के राजा भारमल ने अपनी बेटी हरखा बाई का विवाह राजनीतिक कारणों से अकबर से किया था. हरखा बाई को सामान्य तौर पर जोधाबाई के नाम से जाना जाता है. उन्हीं के भतीजे थे राजा मान सिंह, जो युद्ध कला में निपुण थे. उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर अकबर ने राजा मान सिंह को मुगल सेना का सुप्रीम सेनापति बनाया था. राजा मानसिंह ने साल 1589 तक मुगल सेना की बागडोर अच्छे से संभाली, जिससे अकबर अपने साम्राज्य का विस्तार करता चला गया.

Birbal

बीरबल

बीरबल: सबसे तेज दिमाग

ब्राह्मण परिवार में जन्मे बीरबल की कहानियां तो खूब प्रचलित हैं. राजा बीरबल का असली नाम महेश दास बताया जाता है. कहा जाता है कि बुद्धि के वीर महेश दास को बीरबल नाम अकबर ने ही दिया था. उनको साहित्य में भी गहरी रुचि थी और गायन और काव्य रचना में भी प्रवीण थे. संस्कृत और फारसी के ज्ञाता बीरबल को अकबर ने अपना विदेश मंत्री बनाया था. हालांकि, बीरबल ने सैन्य के साथ प्रशासनिक सेवा भी दी. अकबर के शासनकाल में देश के उत्तर पश्चिम में अफगान जनजातियों के बीच फैली अशांति को दबाने के दौरान युद्ध में ही उनका निधन हुआ था.

अबुल फजल मुबारक: अकबर की जीवनी लिखी

अबुल फजल मुबारक को अकबर ने साल 1575 में अपना प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. इतिहासकारों का मानना है कि इनके दरबार का हिस्सा बनने के बाद अकबर और उदार हो गया था. अबुल फजल का पूरा नाम शेख अबू अल-फजल इब मुबारक था. उनको अबू फजल और अबू अल फजल अल्लामी के नाम से भी जाना जाता है. अकबर के शासनकाल से दुनिया को परिचित कराने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है, जिन्होंने अकबरनामा और आईन-ए-अकबरी जैसे ग्रंथों की रचना की. इसके अलावा बाइबिल का फारसी में अनुवाद भी किया था.

Abul Fazal

अबुल फजल

फकीर अजिओ-दीन: धर्मिक मामलों के हल करने का जिम्मा

बादशाह के नवरत्नों में से एक अजिओ-दीन को अकबर ने धर्म से जुड़े मसलों को हल करने का जिम्मा दिया था. बादशाह अकबर को वह धर्म से जुड़े मुद्दों पर सलाह भी देते थे. धर्म से जुड़ा कोई भी पेचीदा मामला सामने आता था तो उसको सुलझाने की जिम्मेदारी फकीर अजिओ-दीन के पास ही जाती थी.

तानसेन: संगीत सम्राट, जिन्होंने ध्रुपद की रचना की

इतिहासकारों की मानें तो संगीत सम्राट तानसेन 60 साल की आयु में अकबर के नवरत्नों की सूची में शामिल हुए थे. बेहतरीन गायक और संगीतकार तानसेन को मुगल संस्कृति और कला की देखरेख का जिम्मा दिया गया था. तानसेन के बचपन का नाम रामतनु था. शुरुआत में वह स्वामी हरिदास के शिष्य थे. फिर हजरत मुहम्मद गौस से भी संगीत की शिक्षा ली थी. तानसेन ने ध्रुपद की रचना की. इसमें कई राग तैयार किए. श्री गणेश स्त्रोत और संगीता सारा संगीत पर उनकी अमर रचनाएं हैं.

Raja Todal Mal

राजा टोडरमल

राजा टोडरमल: वित्त मंत्री की जिम्मेदारी

बादशाह अकबर ने शेरशाह को हटा कर उनकी जगह पर टोडरमल को आगरा की कमान सौंपी थी. उनको मुगल साम्राज्य का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था. राजा टोडरमल ने ही बांट-माप, भू सर्वेक्षण, बंदोबस्त प्रणाली, राजस्व जिलों और अफसरों की तैनाती की शुरुआत की थी. उनके द्वारा शुरू की गई पटवारी द्वारा भूमि के रखरखाव की प्रणाली तो आज भी चली आ रही है. हालांकि, बाद में इस प्रणाली में अंग्रेजों और आजादी के बाद भारत सरकार ने काफी सुधार किया.

फैजी: मुगलों के दौर के शिक्षा मंत्री

अकबर के नवरत्नों में से एक फैजी को शिक्षा मंत्री कहना ज्यादा उपयुक्त होगा. उनको शिक्षा से जुड़े मामलों को देखने के लिए नियुक्त किया गया था. इसके अलावा उनके जिम्मे अकबर के बेटों को सही राह दिखाने का काम भी था. फैजी को इस्लाम और ग्रीक साहित्य की गहन जानकारी थी. इसके कारण शुरू में उनको केवल बादशाह अकबर के बेटों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया गया था. हालांकि, बाद में उनकी प्रतिभा को देखते हुए दरबार के नवरत्नों में शामिल कर लिया गया था.

मुल्ला दो प्याजा: मुगल सल्तनत के गृह मंत्री

अकबर की रियासत की सुरक्षा की जिम्मेदारी मुल्ला दो प्याजा की थी. यानी वे मुगल सल्तनत के गृह मंत्री थे. ये सल्तनत के आंतरिक मामलों में अकबर को सलाह भी देते थे. हालांकि, कई इतिहासकार मुल्ला दो प्याजा को केवल एक कल्पना मानते हैं.

Mulla Do Piyaza

मुल्ला दो प्याजा

अब्दुल रहीम खान-ए-खाना: मुगल सल्तनत के रक्षा मंत्री

अकबर के नवरत्नों में शामिल अब्दुल रहीम खान-ए-खाना के पास रक्षा मंत्री का दायित्व था. हुमायूं के निधन के बाद बैरम खां के संरक्षण में अकबर ने शासन संभाला था. उन्हीं बैरम खां के पुत्र थे अब्दुल रहीम खान-ए-खाना, जिन्होंने बाबर के संस्मरणों की पुस्तक बाबरनामा का चगताई भाषा से फारसी में अनुवाद भी किया था. रहीम खुद एक अच्छे रचाकार और ज्योतिषी थे. उनके दोहे आज भी पढ़ाए जाते हैं. ज्योतिष पर उनकी दो पुस्तकें हैं खेतकौतुकम और द्वात्रीमषद्योगावली.

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