शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 2025 की समिट चीन के तियानजिन शहर में आयोजित की जा रही है. समिट में पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन, मेजबान राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत अनेक सदस्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ ही कुछ विशेष आमंत्रित देश भी शामिल हो रहे हैं. आमतौर पर ऐसे खास आयोजन देश की राजधानियों में होते हैं लेकिन जब चीन ने देश के तीसरे सबसे बड़े शहर तियानजिन को चुना तो अचानक यह समुद्र तटीय शहर चर्चा में आ गया.सवाल है कि राजधानी बीजिंग की जगह तियानजिन क्यों?
SCO की स्थापना 2001 में हुई थी, आज चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान और मध्य एशिया के आठ स्थायी सदस्य देशों और कई पर्यवेक्षकों का एक बड़ा मंच है. ऐसे में इसका आयोजन स्थल सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि चीन की प्राथमिकताओं, कूटनीतिक संदेश और विकास नीति का भी सूचक माना जाएगा.
1- बीजिंग को छोड़ तियानजिन शहर क्यों?
सवाल उठता है कि जब बीजिंग चीन की राजनीतिक राजधानी, राजनयिक केंद्र और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का प्रमुख स्थल है, तो SCO जैसी अहम बहुपक्षीय बैठक वहां पर क्यों नहीं की गई? इसके पीछे कुछ मुख्य कारण कुछ यूं गिनाए जा रहे हैं.
2- दूसरे शहर भी मेजबानी के लिए तैयार
बीजिंग ओवर-एक्सपोज़ है. लगभग सभी बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, ओलंपिक 2008, बेल्ट एंड रोड फोरम, एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश बैंक के शिखर सम्मेलन आदि, यहीं आयोजित होते रहे हैं. चीन अब यह संकेत देना चाहता है कि उसकी अन्य महानगरीय इकाइयां भी वैश्विक आयोजनों की मेजबानी करने में सक्षम हैं.
डेढ़ करोड़ की आबादी और देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर तियानजिन का अपना खास महत्व है. फोटो: Getty Images
3-बीजिंग-तियानजिन-हेबेई को पावर सेंटर बनाने की कोशिश
राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्राथमिकताओं में से एक है जिंग-जिन-जी रीजनल इंटीग्रेशन यानी राजनीतिक राजधानी बीजिंग, समुद्री औद्योगिक हब तियानजिन और मजबूत औद्योगिक आधार हेबेई को एक साझा वैश्विक शक्ति केंद्र की तरह विकसित करना. तियानजिन को SCO समिट दिलाने का निर्णय इसी योजना का हिस्सा समझा जा सकता है, ताकि इसे वैश्विक नक्शे पर और उभारा जा सके.
4-सिक्योरिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर
बीजिंग पहले से ही बेहद भीड़भाड़ वाला शहर है. SCO जैसे बहु-देशीय आयोजन जहां कई राष्ट्राध्यक्ष आते हैं, वहां सख्त सुरक्षा, उच्च स्तरीय लॉजिस्टिक्स और ताज़ा इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए. तियानजिन अपने आधुनिक एक्सपो सेंटर्स, नए होटलों और सुव्यवस्थित समुद्री-हवाई संपर्क के कारण इन आवश्यकताओं पर खरा उतरता है.
5- उत्तर चीन का समुद्री द्वार
लगभग डेढ़ करोड़ की आबादी और देश का तीसरा सबसे बड़ा शहर तियानजिन का अपना खास महत्व है. समुद्र तट पर बसे इस शहर को चीन ने करीने से सजाया है. तियानजिन उत्तरी चीन का सबसे बड़ा तटीय नगर है और बीजिंग से मात्र 120 किलोमीटर दूर है. यह उत्तर चीन का समुद्री द्वार कहलाता है. यहां का तियानजिन पोर्ट दुनिया के सबसे व्यस्त बंदरगाहों में शामिल है, जो चीन के उत्तरी हिस्से की लगभग 50% विदेशी व्यापार गतिविधि को संभालता है.

तियानजिन को अक्सर चीन पायलट ज़ोन फॉर ओपनिंग-अप के रूप में पेश करता रहा है. फोटो: Getty Images
6-मल्टीनेशनल हब
साल 2023 तक तियानजिन की GDP 1.6 ट्रिलियन युआन से ऊपर पहुंच चुकी थी. यह शहर उच्च प्रौद्योगिकी, एयरोस्पेस, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और नई ऊर्जा वाहनों का बहुराष्ट्रीय हब बन चुका है. यहां यूरोप और एशिया से जुड़े कई औद्योगिक सहयोग प्रोजेक्ट सक्रिय हैं. यह SCO सदस्यों को व्यापारिक और औद्योगिक अवसरों को प्रत्यक्ष देखने का मौका देगा.
7- कूटनीतिक प्रयोगशाला
तियानजिन को अक्सर चीन पायलट ज़ोन फॉर ओपनिंग-अप के रूप में पेश करता रहा है. इसका Binhai New Area (बिन्हाई नया क्षेत्र) विदेशी निवेश और शोध के लिए विशेष केंद्र है. यह चीन के नये दौर के खुलेपन की ब्रांडिंग भी करता है.
8-सांस्कृतिक पहचान
तियानजिन की अपनी समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा है. यूरोपीय वास्तुकला, तियानजिन आई (फेरिस व्हील), और चीनी आधुनिकता का यह अनूठा संगम है. ऐसे सांस्कृतिक तत्व SCO प्रतिनिधियों को चीन के एक अन्य रूप से परिचित कराते हैं जो बीजिंग से भिन्न है.
9- विकास मॉडल का प्रदर्शन
जब कोई मेजबान देश SCO जैसी बहु-देशीय संस्था की समिट आयोजित करता है, तो उसका स्थान चयन केवल लॉजिस्टिक मुद्दा नहीं होता, बल्कि एक राजनीतिक संदेश होता है. SCO मुख्यतः चीन, रूस और मध्य एशियाई देशों का संगठन है. ये सभी भौगोलिक रूप से उत्तर एशिया क्षेत्र में स्थित हैं. तियानजिन का भौगोलिक स्थान इसे उत्तर का प्रवेश द्वार दिखाता है.
चीन बताना चाहता है कि उसका खुलेपन और आधुनिकीकरण का मॉडल केवल राजधानी तक सीमित नहीं है. तियानजिन जैसी सेकेंड-टियर लेकिन रणनीतिक शहरें भी SCO देशों के साझेदारों के साथ वैश्विक कूटनीति निभा सकती हैं.
10- व्यापार और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के लिए सहयोग
SCO समिट के दौरान तियानजिन पोर्ट, फ्री ट्रेड ज़ोन और बिन्हाई एरिया को अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के लिए प्रदर्शित किया जा सकता है. यह बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से गहराई से जुड़ा हुआ है और SCO को प्रत्यक्ष लाभ दिखाता है.
Warmly welcome Prime Minister Modi to China to attend #SCOsummit .
Confident that this visit will inject new momentum into #China-India relations. pic.twitter.com/0TlCHoMfV8— Xu Feihong (@China_Amb_India) August 30, 2025
चीन का आधिकारिक बयान क्या कहता है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीनी विदेश मंत्रालय और राज्य परिषद के अनुसार तियानजिन एक देश का महत्वपूर्ण आधुनिक शहर है. यह न केवल उत्तरी चीन का आर्थिक व तकनीकी केंद्र है, बल्कि यह बीजिंग-तियानजिन-हेबेई क्षेत्रीय सहयोग विकास का लीडर भी है. यह SCO की भावना साझा विकास और आपसी लाभ को प्रदर्शित करने के लिए आदर्श शहर है.
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि इस सम्मेलन से तियानजिन की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी. यह क्षेत्र चीन एवं SCO देशों के बीच जुड़ाव का नया मंच बनेगा. इस तरह यह चयन सिर्फ सुविधा का सवाल नहीं, बल्कि चीन के क्षेत्रीय विकास दृष्टिकोण और भविष्य की कूटनीतिक रणनीति का प्रतीक भी है.
चीन की तिहरी रणनीति
तियानजिन में समिट आयोजित करना चीन की तिहरी रणनीति को दिखाता है.
कूटनीतिक विविधता: बीजिंग के अतिरिक्त अन्य शहरों को सामने लाना.
आर्थिक ब्रांडिंग: SCO साझेदारों को चीनी विकास मॉडल के समुद्री-औद्योगिक संस्करण से परिचित कराना.
राष्ट्रीय एकीकरण: जिंग-जिन-जी योजना को अंतरराष्ट्रीय मंच पर संदेश के रूप में प्रस्तुत करना.
इस तरह कहा जा सकता है कि तियानजिन को SCO समिट के लिए चुनना चीन की लॉजिस्टिक सुविधा से कहीं अधिक एक रणनीतिक चयन है. यह देश बताना चाहता है कि उसकी कूटनीति केवल राजधानी तक सीमित नहीं, बल्कि चीन के अन्य क्षेत्र भी बराबर वैश्विक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं.
तियानजिन का भूगोल, अर्थशक्ति, लॉजिस्टिक व्यवस्था और सांस्कृतिक विविधता इसे SCO के आयोजन के लिए आदर्श बनाते हैं. इसके द्वारा चीन दोहरे संदेश भेज रहा है. एक तरफ आंतरिक संतुलन और क्षेत्रीय विकास की रणनीति और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों को यह दिखाना कि चीन केवल राजनीतिक राजधानी ही नहीं, बल्कि अपने पूरे भू-भाग में अवसरों का विस्तृत कैनवस प्रस्तुत कर सकता है.
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