होम नॉलेज औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या क्यों कराई? सिर्फ सल्तनत हासिल करना नहीं थी वजह, ये हैं 5 कारण

औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या क्यों कराई? सिर्फ सल्तनत हासिल करना नहीं थी वजह, ये हैं 5 कारण

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Dara Shikoh Death Anniversary

अकबर के बाद मुग़ल साम्राज्य के ज़्यादातर शहज़ादों में उत्तराधिकार को लेकर संघर्ष होता रहा. शाहजहां के बेटों दारा शिकोह, औरंगज़ेब, शुजा और मुराद के बीच हुई लड़ाई भी इसी परंपरा की एक अगली कड़ी थी. लेकिन औरंगज़ेब ने केवल गद्दी के लालच में अपने बड़े भाई दारा शिकोह से दुश्मनी निभाई.दारा शिकोह की पुण्यतिथि पर जानिए आखिर वे कौन सी 5 वजहें थीं, जिसकी वजह से औरंगजेब अपने सगे बड़े भाई दारा शिकोह से रंजिश रखने लगा था.

औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या करवाई और शाहजहां का उत्तराधिकारी माना जाने वाला दारा शिकोह गद्दी से दूर हो गया. इस तरह औरंगजेब ने अपने भाइयों से गद्दी छीन ली.

1-औरंगजेब कट्टर मुस्लिम और दारा ने हिन्दू धर्मग्रंथों का अनुवाद कराया

दारा शिकोह का स्वभाव उदार और समन्वयवादी था. उन्होंने हिन्दू धर्मग्रंथों का संस्कृत से फ़ारसी अनुवाद कराया. उपनिषदों का सिर्र-ए-अकबर के नाम से अनुवाद कराया. वे सूफ़ीमत और वेदांत को जोड़ने का प्रयास करते थे. उनके विचार में सभी धर्म दिव्यता के अलग-अलग रूप हैं. इसके उलट, औरंगज़ेब का झुकाव शरिया-आधारित कठोर इस्लामी दृष्टिकोण की ओर था. उन्हें लगता था कि दारा की यह उदार सोच इस्लाम को भ्रष्ट कर रही है और साम्राज्य के मुस्लिम वर्ग को कमजोर बना रही है.

कैथरीन ब्लिबेक की किताब दारा शिकोह: द ह्यूमनिस्ट प्रिंस बताती है कि दारा के दरबार में पंडितों, साधुओं और सूफ़ी संतों की बराबर उपस्थिति और धार्मिक संवाद से कट्टरपंथी वर्ग नाराज़ था, जिसका समर्थन औरंगज़ेब ने लिया. इस वैचारिक भिन्नता ने दोनों के बीच अविश्वास और घृणा गहरी कर दी.

Aurangzeb

औरंगजेब ने तो सत्ता के लिए भाइयों को भी रास्ते से हटा दिया था.

2- शाहजहां की आंखों के तारे का दरबार में बढ़ता रुतबा

शाहजहां हमेशा से दारा शिकोह को उत्तराधिकारी मानते थे. वे दारा को संगदिल राजनीति से दूर रखते, उसे प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों में कमज़ोर ही बनाए रखते और दरबार में उसका औपचारिक दर्जा बढ़ाते रहे. इसके विपरीत, औरंगज़ेब को अक्सर सीमावर्ती सूबों में भेज दिया जाता, चाहे वह दक्कन हो या बल्ख या फिर कहीं और.

ऑड्री ट्रश्के की किताब ऑरंगज़ेब: द मैन एंड द मिथ इस पक्ष को रेखांकित करती हैं कि औरंगज़ेब को बार-बार हाशिये पर डालना उसके मन में दारा और पिता दोनों के खिलाफ हीनता और क्षोभ पैदा करता था. यह मनोवैज्ञानिक कारण भी उसकी नफरत को गहरा करता गया.

Dara Shikoh Death Anniversary

दारा शिकोह.

3- सैन्य क्षमता में कमजोर दारा को गद्दी के लायक नहीं समझा

दारा एक विद्वान और संस्कारित शहज़ादा था, परन्तु सैन्य दृष्टि से उतना प्रवीण नहीं रहा. उसे युद्ध नीति और प्रशासन में गहराई से नहीं उतारा गया. जबकि औरंगज़ेब युद्ध के मैदान में पला-बढ़ा. उसने दक्षिण भारत, मध्य एशिया और उत्तर-पश्चिमी सीमाओं पर कई अभियानों का नेतृत्व किया. शाहजहा की नज़र में यह अनुभव कम महत्वपूर्ण था, पर वास्तव में साम्राज्य चलाने की दृष्टि से यह निर्णायक अंतर था.

ऑड्री ट्रश्के किताब में लिखती हैं कि सेना और प्रशासनिक अमलों का एक बड़ा हिस्सा औरंगज़ेब के साथ था क्योंकि वे उसकी कड़ी, सक्षम और अनुशासित नीति को अहम मानते थे. यह परोक्ष रूप से दारा के खिलाफ नफरत को औरंगज़ेब ने भड़काया, कि ऐसा कमजोर व्यक्ति गद्दी का हक़दार कैसे हो सकता है?

4- हिन्दू संतों से घनिष्ठता पर काफिर की छवि बनी

कैथरीन ब्लिबेक किताब में लिखती हैं कि दारा की हिन्दू संतों के साथ गहरी घनिष्ठता ने कट्टर मौलवियों के बीच उसकी छवि काफ़िर जैसी बना दी थी. उन्होंने दारा पर यह आरोप लगाया कि वह इस्लाम से विमुख है और हिन्दू धर्म को बढ़ावा देता है. औरंगज़ेब ने इस माहौल का पूरा फायदा उठाया. उसने दारा के खिलाफ पैम्फलेट्स लिखवाए और फतवे दिलवाए कि सिंहासन यदि दारा को मिला तो इस्लाम नष्ट हो जाएगा. इस माहौल ने औरंगज़ेब के दारा-विरोध को वैचारिक वैधता दी.

5- दारा ने औरंगजेब को लालची और गैरकाबिल शहजादा कहा था

दारा शिकोह को अक्सर अहंकारी, दरबारी औपचारिकताओं से भरा हुआ और व्यक्तिगत संबंधों में दूरी बनाने वाला शख़्स माना जाता है. जबकि औरंगज़ेब व्यावहारिक, कठोर और महत्वाकांक्षी था. ट्रश्के की किताब का एक उल्लेख मिलता है कि दारा शिकोह अक्सर औरंगज़ेब को लालची और गैरकाबिल शहज़ादा कहकर अपमानित करता था. ऐसे निजी तानों ने रिश्तों को और अधिक कटु बना दिया. दारा का यह व्यवहार औरंगज़ेब की नफरत का निजी ईंधन था.

दारा शिकोह और औरंगज़ेब का संघर्ष केवल गद्दी तक सीमित नहीं था. दोनों भाइयों में प्रमुख वैचारिक अंतर को कुछ यूं रेखांकित किया जाता है.

  • समन्वय बनाम कट्टरता
  • प्यार और विद्या बनाम शक्ति और अनुशासन
  • राजमहल का लाडला बनाम युद्धक्षेत्र का योद्धा
  • दारा शिकोह केवल एक असफल उत्तराधिकारी नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का ऐसा व्यक्तित्व था जिसने धर्म और संस्कृति के बीच सेतु बनाने का साहस किया. उसकी मृत्यु केवल एक शहज़ादे की हार नहीं थी, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप में समन्वयवादी परंपरा के एक बड़े अवसर की भी हत्या थी.
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