बिहार की बदहाली और जंगलराज
केंद्र की गठबंधन नीति पर सवाल
बयान प्रधानमंत्री पर, मगर निशाना!
चारा घोटाले का संदर्भ, लालू यादव टारगेट
नीतीश कुमार का यह बयान उस समय आया जब चारा घोटाला उजागर हुआ था. नीतीश ने लालू पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया और जनता दल से अलग होकर 1994 में समता पार्टी बनाई थी. उनके इस बयान का मकसद केंद्र सरकार की उस सियासी रणनीति को उजागर करने की थी जिसमें सामाजिक समीकरणों को साधने के लिए लालू यादव और रामविलास पासवान सहित अन्य नेताओं का सहारा लिया जाता था. नीतीश ने बिहार की बदहाल कानून-व्यवस्था और आर्थिक स्थिति को लालू की नीतियों का परिणाम बताया।
बिहार की बदहालीपर बिफर पड़े थे नीतीश
नीतीश ने किस बात पर प्रतिक्रिया दी थी?
बता दें कि चारा घोटाला उस समय राष्ट्रीय सुर्खियों में था. नीतीश कुमार ने लालू यादव पर निशाना साधते हुए उनकी सरकार को भ्रष्ट और अक्षम बताया. उनका कहना था कि लालू यादव की नीतियों ने बिहार को आर्थिक और सामाजिक रूप से बदहाल कर दिया. वहीं, नीतीश कुमार ने तत्कालीन केंद्र सरकार पर बिहार की अनदेखी का आरोप लगाया था.
केंद्र की गठबंधन नीति पर उठाए थे सवाल
सियासी समीकरणों के खेल में पिछड़ा बिहार
जानकार कहते हैं कि इसका कारण यह था कि तब लालू यादव और रामविलास पासवान बिहार में MY (मुस्लिम-यादव) और दलित वोट बैंक के बड़े नेता थे. नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार पर इन नेताओं के सामाजिक समीकरणों को साधने का आरोप लगाया जिसे उन्होंने ‘तराजू का बैलेंसिंग एक्ट’ कहा. उनका इशारा था कि यह सियासी जोड़-तोड़ बिहार के विकास को नुकसान पहुंचा रहा है.
लालू से अलगाव, नीतीश का सियासी मकसद
बिहार की जनता को नीतीश का संदेश
नीतीश कुमार का यह बयान बिहार की जनता को यह बताने का प्रयास था कि लालू और केंद्र की नीतियां उनके हित में नहीं हैं. यह 2005 में उनकी सत्ता में आने की नींव रखने वाला कदम था. नीतीश कुमार के इस बयान ने बिहार में लालू विरोधी खेमे को मजबूत किया और नीतीश कुमार को एक सशक्त विकल्प के रूप में स्थापित किया. इसी दौर में नीतीश कुमार ने 1996 में एनडीए के साथ गठबंधन किया, जो बाद में 2005 में उनकी सत्ता में आने का आधार बना.