देश में सबसे पहले बिजली बेंगलुरू में पहुंची थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (10 अगस्त) कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में लोगों को कई सौगातों दीं. बेंगलुरु पहुंचे प्रधानमंत्री ने तीन वंदे भारत एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई. बेंगलुरु मेट्रो के तीसरे चरण की परियोजना का शिलान्यास किया. मेट्रो की येलो लाइन पर ट्रेन की शुरुआत की. इसके अलावा मेट्रो में यात्रा की और लोगों को एक सभा में संबोधित भी करेंगे. आइए जान लेते हैं कि देश का आईटी हब कहे जाने वाले मेट्रो ने देश को क्या-क्या दिया?
देश में तकनीकी क्रांति शुरू होने के बाद बेंगलुरु धीरे-धीरे आईटी हब बनता चला गया और आज यहां देश के किसी भी अन्य शहर के मुकाबले सबसे ज्यादा आईटी कंपनियां हैं. साल 2016 की एक रिपोर्ट को मानें तो बेंगलुरु में उसी साल तक 212 कंपनियां थीं, जबकि हैदराबाद में इनकी संख्या 108 थी. समय के साथ इन कंपनियों की संख्या बढ़ती गई, क्योंकि बेंगलुरु में और भी कंपनियों ने अपने कार्यालय खोले. इसके कारण बेंगलुरु को सिलिकॉन वैली ऑफ इंडिया भी कहा जाता है.
यही नहीं, देश में सबसे ज्यादा बायोटेक्नोलॉजी कंपनियां भी इसी शहर में स्थित हैं. देश की 47 फीसदी से अधिक बायोटेक कंपनियां अकेले बेंगलुरु में हैं. इनमें देश की सबसे बड़ी बायोटेक कंपनी बायोकॉन भी शामिल है.
सबसे पहले बेंगलुरु को मिली थी बिजली
तकनीकी रूप से बेंगलुरु देश का सबसे विकसित शहर यूं ही नहीं बनता गया. इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं. यह साल 1906 की बात है, जब पहली बार भारत में हाईड्रोइलेक्ट्रिक पावर की शुरुआत हुई थी. तब इलेक्ट्रिसिटी से जगमगाने वाला देश का पहला दिल्ली या मुंबई नहीं, बल्कि बेंगलुरु ही था. शिवानासमुद्र में लगाए गए एक हाईड्रोइलेक्ट्रिसिटी प्लांट से पहली बार बेंगलुरु को बिजली मिली थी. सिटी मार्केट के पास स्थित एक बिल्डिंग सबसे पहले बिजली से जगमगाई थी.
VIDEO | PM Narendra Modi (@narendramodi_in) took a tour and had a chit chat with school students inside Vande Bharat Express train which will ply between Bengaluru and Belagavi. It is being flagged off from KSR Railway Station in Bengaluru.
(Source: Third Party)#VandeBharat pic.twitter.com/RfQaTFBnFV
— Press Trust of India (@PTI_News) August 10, 2025
आरके नारायण ने दो इलाकों को मिला कर दिया नया नाम
भारत की सबसे लोकप्रिय सीरीज मालगुडी डेज की जड़ें भी बेंगलुरु में ही हैं. इस सीरीज के निर्माता आरके नारायण ने शहर के दो पुराने इलाकों मल्लेश्वरम और बासवनागुडी को मिलाकर एक नया नाम दिया मालगुडी. इस सीरीज के पाठक इसके सभी चरित्रों को इसी शहर के इर्द-गिर्द फैले पाए जाते हैं. बाद में इस सीरीज पर टीवी सीरियल भी बनाया गया था.
चावल की कमी हुई तो बनने लगी रवा इडली
दक्षिण भारत के अधिकतर रेस्टोरेंट ही नहीं, घर-घर में बनाई जाने वाली रवा इडली लोगों को काफी पसंद आती है. इसका स्वाद ही नहीं, पौष्टिकता भी लोगों को आकर्षित करती है. हालांकि, बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि इसकी उत्पत्ति कहां हुई थी. ऐसा माना जाता है कि रवा इडली की उत्पत्ति तमिलनाडु नहीं, बेंगलुरु में हुई थी. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इडली के लिए सबसे जरूरी चावल की कमी हो गई थी. ऐसे में इडली की मांग पूरी करने के लिए इसमें चावल के आटे के स्थान पर रवा का इस्तेमाल शुरू किया गया था.
LIVE : PM Shri @narendramodi flags-off yellow line of Bengaluru Metro and takes a Metro ride.
— BJP (@BJP4India) August 10, 2025
कैसे पड़ा बेंगलुरु का नाम
इस बात को लेकर हमेशा बहस होती रहती है कि बेंगलुरु को इसका नाम कैसे मिला. एक थ्योरी यह है कि शुरू में इसे बेगलवल-उरु कहा जाता था, जिसका मतलब है सिटी ऑफ गार्ड्स. एक अन्य कहानी है कि होयसल शासक वीरा बल्लाल ने एक बार शहर में उबले बींस परोसे थे और इसे बेंदा-काल-उरु कहा, जिसका मतलब है कि उबले बींस का स्थान, जो बाद में बेंगलुरु कहा जाने लगा.
भारत की सबसे पुरानी आर्मी रेजिमेंट
भारत में बेंगलुरु सबसे महत्वपूर्ण कैंटोमेंट में से एक रहा है और सदियों से यहां प्रतिष्ठित सैन्य रेजिमेंट रही हैं. साल 1770 में यहां पहली बार मद्रास सैपर्स की स्थापना की गई थी, जिसे औपचारिक रूप से मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप के रूप में जाना जाता है. यह रेजिमेंट आज भी सक्रिय है.
एशिया में सबसे अधिक पब
बेंगलुरु में अगर आज हजारों कंपनियां कार्यरत हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि यहां केवल काम होता है. मनोरंजन के साधन भी यहां पर उपलब्ध हैं. पूरे एशिया में बेंगलुरु एक ऐसा शहर है, जहां सबसे अधिक पब हैं. इसलिए यहां की नाइट लाइफ काफी रोमांचक मानी जाती है. मनोरंजन का एक और साधन फ्रीडम पार्क कभी सेंट्रल जेल का स्थान हुआ करता था. अंग्रेजों ने इसे स्वाधीनता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को बंद करने के लिए बनाया था.
इसके अलावा बेंगलुरु में स्थित लालबाग पार्क देश के सबसे पुराने और आकर्षक रॉक फॉर्मेशन में से एक है. यहां की चट्टानें एक छोटी पहाड़ी जैसा अहसास कराती हैं. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पता लगाया है कि ये चट्टाने 2.5 से 3.4 बिलियन साल पहले की हैं. इसे राष्ट्रीय जियोलॉजिकल धरोहर भी घोषित किया जा चुका है.
आज बेंगलुरु में देश भर के लोग रहते हैं. इसके कारण यह अनेकता में एकता की मिसाल पेश करता है. अलग-अलग रिपोर्ट में बताया गया है कि बेंगलुरु में कन्नड़ भाषी जनसंख्या 41 फीसदी है. बाकी 25 फीसदी तमिल, 14 फीसदी तेलुगु, 10 फीसदी लोग केरल के, आठ फीसदी यूरोपियन और 6 फीसदी जनसंख्या अन्य लोगों की है.
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