RSS chief Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख ने कहा कि अगर हमारा देश बहुत ज्यादा आर्थिक तरक्की भी कर ले तब भी ज्यादातर देशों को आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि विश्व भारत के अध्यात्म के लिए उसे महत्व देता है, अमीर तो कई और देश भी हैं, लेकिन उनके पास अध्यात्म नहीं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया में भारत के विश्व गुरु कहे जाने को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि विश्व भारत को उसके अध्यात्म के लिए महत्व देती है और इस क्षेत्र में देश को विश्व गुरु मानता है, बजाय इसके कि वह इस बात से आश्चर्यचकित हो कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ रही है।
एक मंदिर निर्माण कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रहे भागवत ने कहा कि सभी के साथ अच्छाई बांटने और दूसरों के लिए जीने भी भावना ही भारत को सचमुच में महान बनाती है। उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा, “अगर हम 3000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन भी जाएं तो दुनिया को इससे कोई आश्चर्य नहीं होगा, क्योंकि कई देश हैं जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की है। अमेरिका अमीर है, चीन अमीर हो गया है और कई अमीर देश हैं। कई चीजें ऐसी हैं जो अन्य देशों ने की हैं और हम भी करेंगे। लेकिन, दुनिया में अध्यात्म और धर्म नहीं है जो हमारे पास है।”
संघ प्रमुख ने कहा कि माना कि अर्थ (धन) भी महत्वपूर्ण है इसके साथ ही सभी क्षेत्रों में प्रगति भी जरूरी है। लेकिन भारत सही मायने में विश्व गुरु तब माना जाएगा जब देश अध्यात्म की और आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा, “अध्यात्म और धर्म में यह वृद्धि तब होगी जब हम न केवल त्योहार मनाएंगे और अपनी पूजा पद्धति से काम करेंगे, बल्कि हमारा जीवन भी भगवान शिव की तरह इतना निर्भय हो जाएगा कि हम अपने गले में सांप भी धारण कर सकें। हमारे पास जो गुण, शक्ति और बुद्धि है उसका उपयोग दूसरों के लाभ के लिए किया जाना चाहिए।”
भागवत ने कहा, ‘‘हमारे अंदर जो भी अच्छाई है, उसे हमें सबके साथ बांटना चाहिए। बुराई कुछ हद तक मौजूद है, लेकिन उसे रोका जाना चाहिए और उसे फैलने नहीं देना चाहिए। हमें नकारात्मकता को कभी दूसरों को नहीं देना चाहिए। बल्कि, उसे अपने भीतर समेटकर उसे खत्म करना चाहिए। वहीं दूसरी ओर, अच्छाई को बांटनी चाहिए। हमें इसी तरह जीना चाहिए ताकि यह हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों से जोड़े। अच्छाई बांटने और दूसरों के लिए जीने की यही भावना भारत को सचमुच महान बनाती है।’’