लेबनान सरकार पर इजराइल और अमेरिका हिजबुल्लाह से हथियार डलवाने के लिए दबाव बना रहे हैं. इसी दबाव के चलते लेबनानी सरकार ने संसद में हिजबुल्लाह के निरस्त्रीकरण वाला कानून भी पास किया है. जिसके बाद हिजबुल्लाह भड़क गया है और देश में एक बार फिर गृह युद्ध जैसे हालात बनते दिख रहे हैं. हिजबुल्लाह के संसदीय गुट ‘लॉयल्टी टू द रेजिस्टेंस’ के प्रमुख मोहम्मद राद ने अल-मनार टीवी को बताया कि अमेरिका और इजराइल लेबनानी सरकार पर अपनी मांगों को लागू करने के लिए दबाव बना रहे हैं, “क्योंकि समय उनके पक्ष में नहीं है.”
राद ने कहा, “प्रतिरोध की मौजूदगी ही उन्हें असल में परेशान करती है.” उन्होंने चेतावनी दी कि प्रतिरोध को निरस्त्र करने का फैसला दुश्मन के लिए आंतरिक स्थिरता से छेड़छाड़ का एक रास्ता खोल देगा और हो सकता है कि इसका लक्ष्य इसे लेबनान-इजराइल की बजाय एक आंतरिक समस्या बनाना हो.
Hezbollahs deputy sec. Gen. Mohammad Raads key positions tonight on the Disarmament Decision:
The resistances weapons have protected Lebanon since 1982, liberated its land, established a deterrence balance, and foiled the enemys expansionist project.
Disarmament means pic.twitter.com/ZnPgpCPNh4
— Hadi Hoteit | هادي حطيط (@HadiHtt) August 8, 2025
इस बीच लेबनान की सड़तो हिजबुल्लाह समर्थक रेलिया होने लगी है, जिससे देश की शांति बिगड़ने का डर बन गया है. साथ ही अगर ये फैसला वापस नहीं लिया गया, तो गृह युद्ध भी छिड़ सकता है.
“लेबनान सरकार देश चला सकती है, लेकिन दुश्मन का सामना नहीं कर सकती”
राद ने दावा किया कि लेबनान सरकार देश तो चला सकती है, लेकिन दुश्मन का सामना नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि प्रतिरोध के हथियारों ने 1982 से 2025 तक लेबनान की रक्षा की है, उसे आजाद कराया है और विजय दिलाई है, प्रतिरोध का संतुलन बनाया है और दुश्मन की विस्तारवादी योजना को विफल किया है.
हथियार छोड़ना सौंपना अपना सम्मान सौंपना है- हिजबुल्लाह
हिजबुल्लाह सांसद ने हथियारों को छोड़ना को आत्महत्या के समान बताया है. साथ ही लेबनान सरकार के इस फैसले को जल्दबाजी और खतरनाक बताया है, राद ने कहा कि ये फैसले दुश्मन के लिए घरेलू स्थिरता के साथ छेड़छाड़ करने का रास्ता खोलेगा.
उन्होंने आगे कहा, “अपने हथियार सौंप दो, कहना ‘अपना सम्मान सौंप दो’ कहने के समान है. हथियार सौंपना आत्महत्या है और हमारा आत्महत्या करने का कोई इरादा नहीं है. सेना से पूछिए कि क्या वे अपने हथियार सौंपेंगे, जो उनका सम्मान है. क्या वे हथियार सौंपकर दुनिया को हमारे साथ विश्वासघात करने का न्योता देंगे? अगर हम हथियार सौंप देंगे, तो हमारी संप्रभुता और हमारे देश की रक्षा कौन करेगा?”