यह विवाद राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने EC पर गंभीर सवाल उठाए थे। कांग्रेस का दावा है कि आयोग ने मतदाता सूची में हेरफेर और फर्जी मतदान को नजरअंदाज किया, जिससे विपक्ष को नुकसान हुआ।
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग (ईसी) ने कड़ा रुख अपनाया है। राहुल गांधी ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में और शुक्रवार को बेंगलुरु में ‘वोट अधिकार रैली’ के दौरान चुनाव आयोग पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर “वोट चोरी” करने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से 5 सवालों के जवाब मांगे थे। अपने जवाब में, चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के दावों को “भ्रामक” और “निराधार” करार दिया है। आयोग ने कांग्रेस नेता से कहा कि वह मतदाता सूची में गलत नामों के अपने दावों पर शपथपत्र दें या देश से माफी मांगें।
राहुल गांधी के पांच सवाल और आरोप
राहुल गांधी ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा करते हुए चुनाव आयोग से पांच सवाल पूछे, जिनमें उन्होंने आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए। उन्होंने महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में अनियमितताओं का हवाला दिया, जिसमें “एक करोड़ रहस्यमयी मतदाता”, सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने, हजारों फर्जी मतदाताओं और मतदाता-संबंधी डेटा साझा करने से इनकार जैसे मुद्दे शामिल थे। ये थे राहुल के सवाल-
चुनाव आयोग, 5 सवाल हैं – देश जवाब चाहता है:
1. विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं मिल रही? क्या छिपा रहे हो?
2. CCTV और वीडियो सबूत मिटाए जा रहे हैं – क्यों? किसके कहने पर?
3. फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी की गई – क्यों?
4. विपक्षी नेताओं को धमकाना, डराना – क्यों?
5. साफ-साफ बताओ – क्या ECI अब BJP का एजेंट बन चुका है?
भारत का लोकतंत्र बेशकीमती है – इसकी चोरी का अंजाम बहुत भयानक होगा। अब जनता बोल रही है – बहुत हुआ!
राहुल गांधी ने कर्नाटक के बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां 1,00,250 वोटों की “चोरी” हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि इस सीट पर 11,965 डुप्लिकेट वोटर, 40,009 फर्जी और अवैध पते वाले वोटर, 10,452 बल्क वोटर, 4,132 अवैध फोटो वाले वोटर और 33,692 फॉर्म 6 का दुरुपयोग करने वाले वोटर थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भी इसी तरह की अनियमितताएं हुईं, जहां पांच महीनों में पिछले पांच सालों से अधिक वोटर जोड़े गए।
चुनाव आयोग का सख्त जवाब
निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी की पोस्ट को #ECIFactCheck हैशटैग के साथ रीपोस्ट करते हुए उनके दावों को “भ्रामक” बताया। चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए इसे “पुरानी स्क्रिप्ट” का हिस्सा बताया, जो 2018 में तत्कालीन मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ द्वारा उठाए गए दावों जैसा है। राहुल के 5 सवालों का आयोग ने एक-एक कर जवाब दिया।
डिजिटल मतदाता सूची: मशीन द्वारा पढ़ी जा सकने वाली मतदाता सूची उपलब्ध कराने की कांग्रेस की याचिका को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कमलनाथ बनाम ईसीआई, 2019 में खारिज कर दिया था।
सीसीटीवी फुटेज: कोई भी पीड़ित उम्मीदवार 45 दिनों के भीतर संबंधित उच्च न्यायालय में अपने चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका (ईपी) दायर कर सकता है। अगर ईपी दायर की जाती है, तो सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रख ली जाती है; अन्यथा, इसका कोई उद्देश्य नहीं है। यह मतदाताओं की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है। उदाहरण के लिए, एक लाख मतदान केंद्रों के सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा करने में एक लाख दिन लगेंगे – यानी लगभग 273 वर्ष – और इसका कोई कानूनी परिणाम संभव नहीं होगा।
मतदाता सूची में अनियमितताएं: 2024 के लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची तैयार करने के दौरान, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 24 के तहत सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस द्वारा शायद ही कोई अपील दायर की गई हो।
राहुल गांधी की शिकायतें: आयोग ने कहा कि राहुल गांधी ने कभी भी व्यक्तिगत रूप से हस्ताक्षरित शिकायत पत्र नहीं भेजा। उउदाहरण के लिए, उन्होंने दिसंबर 2024 में महाराष्ट्र का मुद्दा उठाया था। इसके बाद, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वकील ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा। हमारा 24 दिसंबर 2024 का उत्तर चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। फिर भी, राहुल गांधी का दावा है कि चुनाव आयोग ने कभी कोई जवाब नहीं दिया।
आयोग की मांग
निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी को दो विकल्प दिए। निर्वाचन आयोग ने कहा कि अगर राहुल गांधी को अपने विश्लेषण पर विश्वास है और लगता है कि उसके खिलाफ लगाये गए आरोप सही हैं, तो उन्हें चुनावी नियमों के तहत शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने और मतदाता सूची में गलत तरीके से जोड़े गए या हटाये गए नामों को सौंपने में ‘‘कोई समस्या’’ नहीं होनी चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो इसका मतलब है कि वे अपने दावों पर विश्वास नहीं करते और निराधार आरोप लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
आयोग ने स्पष्ट कहा, “या तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए मुद्दों पर शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करें, जिन्हें आप सत्य मानते हैं, या फिर देश से माफी मांगें।” इस बीच, कांग्रेस नेता ने उनसे शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने या माफी मांगने के लिए कहे जाने के बाद निर्वाचन आयोग पर पलटवार किया और कहा कि उन्होंने संसद के भीतर संविधान की शपथ ली है।