पीएम नेतन्याहू और डोनाल्ड ट्रंप. (फाइल फोटो)
इजराइल की सुरक्षा कैबिनेट ने आज यानी शुक्रवार को गाजा स्ट्रिप पर कब्जे की योजना को हरी झंडी दे दी है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने बयान जारी कर इसकी पुष्टि की है. दिलचस्प बात यह है कि इस योजना पर खुद इजराइली सेना और उसके चीफ़ ने एतराज जताया था, वहीं बड़ी संख्या में आम इजराइली नागरिक भी इसके पक्ष में नहीं हैं.
Axios की खबर के मुताबिक खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस फैसले का विरोध नहीं किया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि इस मुद्दे में वे हस्तक्षेप नहीं करेंगे और फैसला पूरी तरह इजराइली सरकार पर छोड़ देंगे. ट्रंप का ये रुख इसलिए चौंकाने वाला है क्योंकि कुछ समय पहले तक ट्रंप, नेतन्याहू और हमास के बीच युद्धविराम करवाने की कोशिश कर रहे थे और नेतन्याहू से गाजा में भुखमरी का संकट देखकर हाल ही में युद्ध खत्म करने की अपील भी कर चुके थे.
गाजा पर कब्जे की योजना क्या है?
इजराइली सिक्योरिटी कैबिनेट ने विवादित योजना को मंजूरी दी है. इसमें सेंट्रल गाजा के बड़े हिस्से, जिसमें गाजा सिटी भी शामिल है, पर कब्जा करने और करीब 10 लाख फिलिस्तीनी नागरिकों को विस्थापित करने की योजना है. इस दौरान सेना उन इलाकों में भी जाएगी, जहां बंधकों के होने की आशंका है, जिससे उनकी जान को खतरा हो सकता है.
ट्रंप ने हरी झंडी क्यों दी?
Axios में छपी एक खबर के मुताबिक एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि हाल ही में हमास की ओर से एक वीडियो जारी किया था जिसे ही ट्रंप के बदले रूख की वजह मानी जा रही है. दरअसल इस वीडियो में एक इजराइली बंधक को अपना कब्र के लिए गड्ढा खोदते दिखाया गया था. अधिकारी के मुताबिक इसने राष्ट्रपति को झकझोर दिया और उन्होंने तय किया कि इजराइल जो जरूरी समझे, वही करे.
नेतन्याहू का तर्क, आर्मी चीफ की चेतावनी
नेतन्याहू और उनके सहयोगियों का कहना है कि हमास ऐसी व्यापक युद्धविराम और बंधक समझौते की शर्तों पर तैयार नहीं है, जिसे इजराइल स्वीकार कर सके. उनका मानना है कि सिर्फ़ सैन्य दबाव ही हमास को झुकने पर मजबूर कर सकता हैं. वहीं इजराइली सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल एयाल जामिर ने चेतावनी दी थी कि यह कदम बंधकों की जान जोखिम में डाल सकता है और इजरायल को गाजा में सीधे सैन्य शासन के जाल में फंसा सकता है, जहां उसे 20 लाख फिलिस्तीनियों की पूरी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी.