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खुल सकता वॉर का नया फ्रंट, पुतिन के एटमी ब्लूप्रिंट से यूरोप में मची खलबली

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दी हुई समयसीमा कुछ घंटों बाद खत्म हो जाएगी. इसके बाद रूस पर कड़े प्रतिबंधों का ऐलान किया जा सकता है. रूस के खिलाफ फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन शुरू किए जा सकते हैं. तेल ढोने वाले उसके शैडो फ्लीट पर हमले हो सकते हैं. ये सारी आशंकाएं बढ़ रही हैं इसीलिए रूस ने नाटो से सीधी जंग की तैयारी तेज कर दी है. यूरोप में इस वक्त न्यूक्लियर भय फैला हुआ है क्योंकि रूस ने अपनी सुपर मिसाइल के परीक्षण की तैयारी तेज कर दी है. इसके साथ ही गठबंधन के साथी देश को भी वॉर रेडी कर दिया है.

युद्धविराम वार्ता असफल हो चुकी है. डिप्लोमेटिक मोर्चे पर अंतिम प्रयास भी काम नहीं आया. ट्रंप पुतिन पर सामरिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ये भी काम नहीं आ रहा है. ये साफ हो चुका है कि रूस के राष्ट्रपति सीजफायर नहीं लागू करेंगे. ऐसा नहीं होता तो अमेरिका यूरोप के साथ संबंध और बिगड़ेंगे. ऐसे हालात में रूस की रक्षा के लिए सबसे शक्तिशाली हथियारों की जरूरत होगी.

पुतिन ने सुपर क्रूज मिसाइल के परीक्षण का आदेश दिया

रूस के भंडार में एक से बढ़कर एक परमाणु मिसाइलें हैं, लेकिन अब पुतिन ने एक ऐसी मिसाइल को मोर्चे पर उतारने का ऐलान कर दिया है जिसे गिराना मुश्किल है इसीलिए रूस ने 33 साल बाद नोवाया जेमल्या टेस्टिंग साइट को खोल दिया है. इस साइट पर रूस बड़े परमाणु परीक्षण करता रहा है. अब नोवाया जेमल्या से पुतिन ने सुपर क्रूज मिसाइल के परीक्षण का आदेश दे दिया है.

बुरिवेस्निक रूस की सुपर क्रूज मिसाइल है. ये दुनिया की पहली इंटर कॉन्टिनेंटल क्रूज मिसाइल है. ये मिसाइल लिक्विड या सॉलिड फ्यूल से नहीं चलती बल्कि ये न्यूक्लियर पावर्ड मिसाइल है. मिसाइल में एक न्यूक्लियर रिएक्टर लगाया गया है. ये करीब 20 साल तक लगतार उड़ सकती है. ये उड़ान के दौरान अपना रास्ता बदल लेती है. कम ऊंचाई पर उड़ान भरने और रास्ता बदलने की काबिलियत इसे सटीक और अजेय बनाती है. ये परमाणु हमला करने में सक्षम है. NATO ने इसे SSC-X-9 स्काईफॉल कोडनेम दिया है.

इस मिसाइल को फ्लाइंग चेर्नोबिल भी कहा जाता है. अब तक दुनिया में सबमरीन और एयरक्राफ्ट कैरियर में ही न्यूक्लियर पावर का इस्तेमाल किया गया है, लेकिन रूस ने पहली बार मिसाइल में न्यूक्लियर रिएक्टर लगाया है. ये काम सबसे कठिन है और इसीलिए रूस को मुसीबतें भी उठानी पड़ीं.

बेलारूस में युद्ध का मैदान तैयार

2019 तक इस मिसाइल के कई टेस्ट किए गए. 2019 के परीक्षण में मिसाइल ने 2 मिनट में करीब 36 किलोमीटर की उड़ान भरी थी. इसके बाद ये बैरेंट्स सागर में क्रैश हो गई थी. मिसाइल को समंदर से निकालने में विस्फोट हुआ और इस धमाके में रूस के 7 परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे. 2023 में ही पुतिन ने कहा था कि रूस की बुरिवेस्निक मिसाइल वॉर रेडी हो चुकी है और 2025 में इसे तैनात कर दिया जाएगा

वालदाई समिट में पुतिन ने इसे वॉरेडी करने की बात कही थी और अब इसका अंतिम परीक्षण किया जाएगा. इसके साथ ही पुतिन ने अपने गठबंधन के सहयोगी देश बेलारूस को भी जंग के लिए तैयार कर दिया है. जापाड 2025 युद्धाभ्यास के लिए रूसी सेना बेलारूस पहुंच चुकी है और इसी बहाने यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तैनाती की जा रही है.

बेलारूस में युद्ध का मैदान तैयार कर दिया गया है. रूसी फौज की पहली टुकड़ी जापाड 2025 युद्धाभ्यास के लिए बेलारूस पहुंच चुकी है. ये युद्धाभ्यास यूक्रेन की सीमा पर किया जा रहा है. इस बहाने से यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तैनाती की जा रही है. बेलारूस ने यूक्रेनी सीमा पर सैन्य वाहनों की संख्या बढ़ा दी है. इसके साथ ही नई MLRS ब्रिगेड तैनात कर दी गई हैं. एयर असॉल्ट यूनिट के ड्रोन ऑपरेटर भी यूक्रेन की सीमा पर पहुंच चुके हैं. ये तैनाती इस बात का संकेत है कि जरूरत पड़ी तो पुतिन तुरंत नाटो और यूक्रेन के खिलाफ बेलारूस से फ्रंट खोल सकते हैं.

रोमानिया की सीमा के करीब रूस के ड्रोन गिरे

नाटो से सीधी जंग की आशंका कभी भी सच साबित हो सकती है क्योंकि अब रूस के विस्फोटक ड्रोन सिर्फ यूक्रेन पर ही नहीं बरस रहे, उसके पड़ोसी देशों में भी पहुंचने लगे हैं. 6 अगस्त को रोमानिया की सीमा के करीब रूस के ड्रोन गिरे हैं. रूस ने यूक्रेन के ओडेसा पर 6 अगस्त की रात ड्रोन हमले किए. ये इलाका रोमानिया की सीमा से सटा है. रोमानियन रडार ने रूसी ड्रोन को ट्रेस किया. खतरे को देखते हुए रोमानिया ने F-16 विमान आसमान में तैनात कर दिए. ये जेट पूरी रात रोमानिया की सीमा पर गश्त लगाते रहे.

हालांकि रूस का कोई ड्रोन रोमानिया की जमीन पर नहीं गिरा, लेकिन इससे पहले नाटो के सदस्य देश लिथुआनिया में दो बार रूसी ड्रोन पहुंच चुके हैं. 28 जुलाई को रूस का एक ड्रोन मिलिट्री ट्रेनिंग ग्राउंड में गिरा. उससे पहले 10 जुलाई को भी रूसी ड्रोन लिथुआनिया में गिरा था. लिथुआनिया ने कहा है कि ये NATO की वायुसीमा का उल्लंघन है. NATO को रूस के खिलाफ कार्रवाई को तैयार रहना चाहिए. इसके साथ ही लिथुआनिया के रक्षा मंत्रालय ने डिफेंस सिस्टम की संख्या बढ़ाने की अपील की है.

पोलैंड ने कैलिनिनग्राद बेस के करीब टैकों की तैनाती बढ़ाई

नाटो ने भी रूस के खिलाफ सैन्य तैनाती तेज कर दी है. पोलैंड ने रूस के कैलिनिनग्राद बेस के करीब टैकों की तैनाती बढ़ा दी है. यहां साउथ कोरिया के K2 ब्लैक पैंथर टैंक तैनात किए गए हैं. कैलिनिनग्राद रूस का न्यूक्लियर फोर्स बेस है. माना जाता है कि रूस कैलिनिनग्राद या फिर आर्कटिक के बेस से नाटो पर हमले शुरू कर सकता है. इसीलिए नाटो ने अब आर्कटिक के जमे हुए समंदर में भी अपनी ताकत बढ़ाने का मिशन तेज कर दिया है. आर्कटिक में नाटो की ताकत बढ़ाने के लिए US, कनाडा और फिनलैंड का गठबंधन हुआ है. इन 3 देशों की 4 शिपबिल्डर्स कंपनियों के बीच डील हुई है. ICE पैक्ट समझौता किया गया है, जिसके तहत शिपबिल्डिंग काम छेड़ा जाएगा.

अब रूस से मुकालबले के लिए एडवांस ASC यानी आर्कटिक सिक्योरिटी कटर शिप तैयार होंगे. ये नाटो का आर्कटिक में वर्चस्व बढ़ाने का मिशन है क्योंकि आर्कटिक में पूरे NATO के मुकाबले रूस ज्यादा मजबूत है, इस क्षेत्र में रूस के 50 से ज्यादा बेस हैं. आर्कटिक में रूस का मुकाबला करने में अभी नाटो को कई बरस लगेंगे. क्योंकि रूस के परमाणु ऊर्जा के चलने वाले एडवांस आइसब्रेकर हैं. रूस किसी भी समय आर्कटिक के किसी भी क्षेत्र में सैन्य ऑपरेशन चला सकता है. यहां उससे मुकाबला मुश्किल है, लेकिन जमीन पर नाटो की संख्या और शक्ति ज्यादा है इसीलिए रूसी बॉर्डर के करीब नाटो अपनी सैन्य शक्ति तैनात करके रूस पर दबाव बनाना चाहता है.

ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष

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