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oil game india fined china exempted trump administration s double standards तेल का खेल: भारत पर जुर्माना, चीन को छूट, ट्रंप प्रशासन का दोहरा रवैया, Business Hindi News

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अगर तेल के दाम ऊंचे रहे तो अमेरिका ज्यादा तेल बेचेगा और उसे मुनाफा होगा, लेकिन अगर तेल सस्ता रहा तो अमेरिका का उत्पादन भी कम हो जाएगा इसलिए ट्रंप नहीं चाहते कि भारत, रूस से सस्ता तेल लेकर दाम गिराए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत को रूस से सस्ता तेल लेने से रोकना चाहते हैं, क्योंकि इससे अमेरिका के तेल उद्योग को नुकसान हो सकता है। अमेरिका ने रूस और यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में रूस पर शिकंजा कसने के लिए, जो कम दाम पर कच्चा तेल खरीदने की अन्य देशों पर शर्तें लगा रखी थीं अब उनके उलट वे रूस से तेल खरीदने वाले दुनिया के तमाम देशों पर कड़े प्रतिबंध लगाने की धमकी दे रहे हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस मुद्दे पर अकेले भारत को निशाना बनाना राजनीतिक और आर्थिक स्वार्थ से प्रेरित है। इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका का प्रतिद्वंदी चीन भी रूस और ईरान से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, लेकिन अमेरिका सिर्फ भारत पर हमलावर है।

अगर तेल के दाम ऊंचे रहे तो अमेरिका ज्यादा तेल बेचेगा और उसे मुनाफा होगा, लेकिन अगर तेल सस्ता रहा तो अमेरिका का उत्पादन भी कम हो जाएगा इसलिए ट्रंप नहीं चाहते कि भारत, रूस से सस्ता तेल लेकर दाम गिराए।

चीन सबसे बड़ा आयातक

यूक्रेन-रूस युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ था। यूरोपीय यूनियन ने रूस पर प्रतिबंध लगाए। इससे रूसी तेल का यूरोप को निर्यात 2021 के 3.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन के मुकाबले घटकर 2022 में 3.1 मिलियन, 2023 और 2024 में 1.9 और फिर 1.5 मिलियन बैरल पर आ गया।

ट्रंप प्रशासन का दोहरा रवैया सामने आया

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के भारत पर टैरिफ बढ़ाने से चीन को और सस्ते में तेल मिलेगा। भारत को निशाना बनाने को लेकर मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भी ट्रंप प्रशासन को चेताया था।

पूर्व अमेरिकी राजदूत का वीडियो वायरल

ट्रंप की धमकियों के बीच अब पूर्व अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी का एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें वो साफ कहते हुए नजर आ रहे हैं कि भारत ने रूसी तेल इसलिए खरीदा, क्योंकि अमेरिका भी चाहता था कि वह एक निश्चित मूल्य सीमा पर रूसी तेल खरीदें।

गार्सेटी ने कहा था कि 2024 में भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को अमेरिका ने ही बढ़ावा दिया था, ताकि वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता बनी रहे और कीमतों में उछाल न आए। एरिक गार्सेटी ने कहा था कि रूस से भारत का तेल खरीदना कोई उल्लंघन नहीं था और इसमें कुछ भी गलत नहीं।

भारत ने भी दिखाया अमेरिका को आईना

ट्रंप की टैरिफ धमकियों को लेकर भारत सरकार ने पलटवार किया था। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा भारत की आलोचना पर कड़ा जवाब देते हुए कहा था कि रूसी तेल खरीदने को लेकर जो आलोचना की जा रही है, वो अनुचित और बेबुनियाद है।

विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत पर निशाना साधना न सिर्फ गलत है, बल्कि खुद इन देशों की कथनी और करनी में फर्क भी उजागर करता है। उन्होंने कहा था कि भारत को रूस से अधिक तेल आयात करना पड़ा, क्योंकि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक सप्लायर्स ने आपूर्ति यूरोप की तरफ मोड़ दी थी।

चीन और भारत ने दुनिया के तेल बाजार को बचाया

अगर भारत और चीन ने रूस से तेल नहीं खरीदा होता तो दुनिया के तेल बाजार में बड़ी गड़बड़ी आ सकती थी। यूरोप ने रूस से तेल लेना बंद कर दिया था, जिससे मांग घट गई थी। ऐसे में अगर कोई दूसरा देश रूस का तेल नहीं लेता, तो तेल के दाम बहुत बढ़ जाते और आपूर्ति भी डगमगाने लगती। भारत और चीन ने रूस से तेल खरीदना बढ़ा दिया। इससे आपूर्ति बनी रही।

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