होम नॉलेज क्या सिकंदर की पत्नी रॉक्साना ने हिन्दुस्तान के राजा पुरु को बांधी थी राखी?

क्या सिकंदर की पत्नी रॉक्साना ने हिन्दुस्तान के राजा पुरु को बांधी थी राखी?

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हिन्‍दुस्‍तान में झेलम नदी के तट पर राजा पोरस और सिकंदर की भिड़ंत हुई थी.

Raksha Bandhan 2025: भारत के इतिहास में सिकंदर (Alexander the Great) और राजा पुरु (पोरस) के बीच हुआ युद्ध एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में दर्ज है. इस युद्ध से जुड़ी कई कथाएं और किंवदंतियां प्रचलित हैं, जिनमें से एक यह भी है कि सिकंदर की पत्नी रॉक्साना (Roxana) ने राजा पुरु को राखी बांधकर अपने पति की रक्षा की प्रार्थना की थी. यह कथा भारतीय लोक-संस्कृति में लोकप्रिय है, लोग इस कहानी को बहुत ही रोचक तरीके से सुनाते हैं.

सुनने वाले मन लगाकर सुनते भी हैं. लेकिन क्या इसका कोई ऐतिहासिक आधार भी है? आइए, जानते हैं इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य और जानकारियाँ जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

सिकंदर, रॉक्साना और पोरस

सिकंदर महान (356-323 ई.पू.) मैसेडोनिया का राजा था, जिसने अपने जीवनकाल में विशाल साम्राज्य स्थापित किया. उसे दूर-दूर तक जाना जाता था. उसकी बहादुरी के किस्से भी सुने-सुनाए जाते थे. अपने साम्राज्य के विस्तार के इरादे से 326 ई.पू. में वह भारत आया और झेलम नदी के तट पर राजा पोरस से उसकी भिड़ंत हो गयी.

दोनों सेनाओं में जबरदस्त युद्ध हुआ. पोरस (पुरु) पंजाब क्षेत्र के एक शक्तिशाली राजा थे. उनकी बहादुरी के किस्से भी मशहूर थे. इस युद्ध में सिकंदर विजयी हुआ, लेकिन पोरस की वीरता से प्रभावित होकर उसे पुनः उसने उनका राज्य लौटा दिया.

रॉक्साना, सिकंदर की पत्नी, मध्य एशिया के बाख़्त्रिया (आधुनिक अफगानिस्तान) की राजकुमारी थी. सिकंदर ने उससे 327 ई.पू. में विवाह किया था, जब वह भारत आने से पहले बाख़्त्रिया पर विजय प्राप्त कर चुका था.

राखी और रॉक्साना-पोरस की कथा

रॉक्साना द्वारा पोरस को राखी बांधने की कथा भारतीय लोक कथाओं और कुछ आधुनिक लेखों में मिलती है, लेकिन प्राचीन ग्रीक, रोमन या भारतीय ऐतिहासिक ग्रंथों में इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता. प्रमुख ऐतिहासिक स्रोतों और इतिहासकारों की राय भी इसके विपरीत है. कहीं इस आशय का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता, अलावा किस्से-कहानियों के.

सिकंदर महान के जीवन, विजय यात्राओं और अभियानों पर ग्रीक इतिहासकारों ने खूब लिखा है. कई ने पूरे-पूरे ग्रंथ लिख डाले हैं. इन प्रमुख ग्रीक इतिहासकारों में एरियन, क्यूरटियस रूफस, डीओडोरस और प्लूटार्क आदि शामिल हैं. यह भी महत्वपूर्ण है कि इन सभी ने सिकंदर और पोरस के युद्ध का विस्तार से वर्णन किया है, लेकिन कहीं भी रॉक्साना द्वारा पोरस को राखी बांधने या किसी प्रकार की रक्षा-सूत्र की कथा का उल्लेख नहीं किया है.

एरियन की पुस्तक Anabasis of Alexander में युद्ध, पोरस की वीरता और सिकंदर द्वारा पोरस को सम्मान देने का वर्णन है, परंतु राखी या रॉक्साना का कोई उल्लेख नहीं मिलता है. प्लूटार्क की Life of Alexander में भी ऐसी किसी घटना का कोई उल्लेख नहीं मिलता है.

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में क्या कहा गया है?

प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी सिकंदर और पोरस के युद्ध का कोई विस्तृत उल्लेख नहीं है, और न ही रॉक्साना या राखी की कथा मिलती है. राजतरंगिणी (कल्हण) या अन्य मध्यकालीन ग्रंथों में भी यह कथा गैरहाजिर है.

आधुनिक इतिहासकारों की इस मसले पर क्या है राय?

प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर, आर.सी. मजूमदार और वी.ए. स्मिथ ने भी अपनी पुस्तकों में इस कथा का कोई उल्लेख नहीं किया है. Ancient India (R.C. Majumdar), A History of India (Romila Thapar), और The Early History of India (V.A. Smith) जैसी पुस्तकों में केवल युद्ध, पोरस की वीरता और सिकंदर की रणनीति का वर्णन है, न कि राखी या रॉक्साना की किसी घटना का. ऐसे में यह सवाल अभी भी ऐतिहासिक तौर पर निरुत्तर रह जाता है कि आखिर राखी और सिकंदर की रक्षा की बात आई कहां से?

राखी की परंपरा का ऐतिहासिक विकास

राखी या रक्षा बंधन की परंपरा भारत में प्राचीन है, लेकिन इसका सबसे प्राचीन उल्लेख महाभारत में द्रौपदी द्वारा कृष्ण को राखी बांधने के रूप में मिलता है. सिकंदर के समय तक यह परंपरा इतनी व्यापक या प्रसिद्ध नहीं थी कि विदेशी रानी (रॉक्साना) इसे अपनाती.

कथा का उद्भव और लोकप्रियता

रॉक्साना द्वारा पोरस को राखी बांधने की कथा संभवतः आधुनिक काल में, विशेषकर ब्रिटिश काल में, भारतीय संस्कृति की रक्षा और भाईचारे के प्रतीक के रूप में किस्से-कहानियों में गढ़ी गई और धीरे-धीरे यह लोगों की जुबान पर आ गयी. कहीं-कहीं यह भी लिखा मिलता है कि साल 1910 से 1930 के बीच में बच्चों के लिए प्रकाशित होने वाली पत्रिका बाल भारती और बाल सखा में भी बहुत रुचिकर तरीके से इसे पब्लिश किया गया था.

धीरे-धीरे यह कथा भारतीय समाज में राखी के महत्व को दर्शाने के लिए लोकप्रिय हुई और लोगों ने इसे सत्य मान लिया. यह कहानी लगभग वैसी ही मानी जाएगी, जैसे दादी-नानी की कहानियां किताबों में नहीं मिलतीं लेकिन मौखिक तौर पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती आ रही हैं. कुछ लेखकों ने इसे “सांस्कृतिक कल्पना” कहा है, जो भारतीय मूल्यों को उजागर करने के लिए गढ़ी गई कही जा सकती है.

सभी प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों और इतिहासकारों की पुस्तकों के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि रॉक्साना द्वारा पोरस को राखी बांधने की कथा का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है. यह एक लोककथा या सांस्कृतिक मिथक है, जिसका उद्देश्य भारतीय परंपरा और भाईचारे को उजागर करना है. यूं भी यह इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि सिकंदर पोरस से हारा नहीं, जीता था. फिर पति के जान की रक्षा के लिए पोरस को राखी बांधने का सवाल ही नहीं उठता. ऐतिहासिक दृष्टि से, सिकंदर और पोरस के युद्ध में रॉक्साना की कोई भूमिका नहीं थी, और न ही राखी बांधने जैसी कोई घटना प्रकाश में आयी. इसलिए, यह कथा ऐतिहासिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कल्पना का परिणाम ही माना जाना चाहिए.

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