रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.
यूक्रेन युद्ध लंबा होता जा रहा है. भले ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दूत विटकॉफ की पुतिन से मुलाकात के बाद शांति की कुछ उम्मीद जगी है. लेकिन सवाल ये है कि यूक्रेन युद्ध में आगे क्या? युद्धविराम या महासंग्राम! क्योंकि रूस ने सीजफायर से साफ इनकार दिया है. क्रेमलिन ने कहा है कि जिसमें देशहित होगा वही किया जाएगा. साथ ही रूस की इस अकड़ के पीछे चीन का भी साथ नजर आ रहा है.
ट्रंप की दी गई समयसीमा में कुछ ही घंटे बाकी हैं. ये समय सीमा पूरी होने से पहले अमेरिका डिप्लोमेटिक और सामरिक तैयारियों में जुटा है. प्रतिबंधों की लिस्ट भी बढ़ रही है. रूस ने भी महासंग्राम के बंदोबस्त कर लिए हैं और अमेरिका से यूरोप और एशिया तक युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं.
अमेरिकी नेवी का युद्धाभ्यास
अमेरिकी नेवी युद्धाभ्यास के बहाने रूस के करीब मंडरा रही है. अलास्का क्षेत्र के चुक्ची सागर में अमेरिकी नेवी का युद्धाभ्यास चल रहा है. ये रूस अमेरिका के बीच सबसे कम दूरी वाला इलाका है और इस वक्त अमेरिकी नेवी रूस के बहुत करीब युद्धाभ्यास कर रही है, अमेरिका की NORAD यानी नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड ने कहा है कि ड्रिल पूरे महीने जारी रहेगी, आने वाले दिनों में UK और डेनमार्क भी इस युद्धाभ्यास में शामिल होंगे.
ट्रंप डिप्लोमेसी और मिलिट्री का एक साथ इस्तेमाल करके पुतिन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ये भी तय है कि वो रूस के साथ सीधी जंग नहीं चाहते हैं. इसीलिए स्टीव विटकॉफ मॉस्को पहुंचे हैं, लेकिन ट्रंप ने अपने एक और करीबी नेता को पुतिन को मनाने में लगा रखा है.
पुतिन को मनाने में जुटे नेतन्याहू
वहींं इजराइल भी रूस के करीब आने में लगा है, बीते 7 दिन में नेतन्याहू ने पुतिन को दो बार फोन किया है. दोनों नेताओं की करीब 40 मिनट चर्चा हुई है. नेतन्याहू ने कहा है कि वो रूस-अमेरिकी संबंधों में तनाव घटाने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही युद्धविराम पर भी सकारात्मक चर्चा हुई है. लेकिन दुनिया भर की समाचार एजेंसियां कह रही हैं कि पुतिन के रुख से साफ है कि युद्धविराम नहीं होने वाला है.
न्यूक्लियर संधि से बाहर रूस
क्रेमलिन ने कहा है कि अब न्यूक्लियर मिसाइलें तैनात करने की कोई लिमिट नहीं है. रूस जितनी चाहे उतनी न्यूक्लियर मिसाइलों की तैनाती कर सकता है. ये संधि 1987 में रूस-US के बीच हुई थी. ये 500-5500km रेंज वाली मिसाइलों की तैनाती की सीमा निर्धारित करती है. अब रूस इस संधि से हट चुका है.
चीन भी हो सकता हैं जंग में शामिल
इसके साथ ही अमेरिका के खिलाफ जंग का मोर्चा भी तैयार कर लिया गया है. रूस का नो लिमिट पार्टनर चीन भी इस मोर्चे में शामिल है. जिस तरह अमेरिका ने रूस की घेराबंदी की है उसी तरह रूस-चीन ने मिलकर उसके सहयोगी देश जापान की घेराबंदी कर दी है. चीन और रूस की सेनाएं मिलकर जापान के करीब ईस्ट सी में शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं. दोनों का साझा युद्धाभ्यास जारी है.
अगर बातचीत से बात नहीं बनी, अगर रूसी तेल निर्यात करने वाले शैडो फ्लीट पर हमले हुए या रूसी के हितों को चोट पहुंची तो महासंग्राम कभी भी छिड़ सकता है.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष