अमेरिका का न्यूक्लियर स्निफर रूस की निगरानी कर रहा है.
रूस की न्यूक्लियर धमकी के बाद अमेरिका एक्टिव हो गया है. पहले रूस के खिलाफ दो सबमरीन तैनात करने का ऐलान किया और अब रूस के बॉर्डर तक अपना स्निफर विमान भी भेज दिया. इस प्लेन को इस तरह डिजाइन किया गया कि ये वायुमंडल में परमाणु मलबे के बादलों का पता लगा लगा सकता है. फ्लाइट रडार से मिले डाटा के मुताबिक इस अमेरिकी विमान ने रूस के परमाणु ठिकानों के करीब ही दिनभर उड़ान भरी.
यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच बढ़ा तनाव न्यूक्लियर धमकियों तक पहुंच गया है. रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव की डेड हैंड धमकी के बाद भड़के ट्रंप ने दो सबमरीन तैनात करने का आदेश दिया था. अब एक टोही विमान भी रूस तक पहुंच गया है. फ्लाइट ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म फ्लाइटरडार24 के अनुसार, अमेरिकी वायुसेना के इस WC-135R विमान ने इंग्लैंड के ब्रिटिश बेस आरएएफ मिल्डेनहॉल से उड़ान भरी तथा नार्वे के पश्चिमी तट के साथ वह उत्तर की ओर गया. इस विमान की पहचान COBRA29 से की गई जो तकरीबन 14 घंटे बाद ब्रिटेन लौटा लेकिन इससे पहले उसने बेरेंट्स सागर, मरमंस्क के उत्तर में और नोवाया ज़ेमल्या के रूसी आर्कटिक द्वीपसमूह की रेकी की.
मेदवेदेव ने क्या कहा था?
हाल ही में रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव और ट्रंप के बीच सोशल मीडिया पर एक वॉर छिड़ा था. मेदवेदेव ने ट्रंप को डेड हैंड का डर दिखाया था जो सोवियत संघ का ऐसा हथियार था जो देश पर परमाणु अटैक का खतरा होने की स्थिति में खुद ही एक्टिव हो जाता था. इसके बाद ट्रंप ने कहा था कि मेदवेदेव ने भड़काऊ बयान दिया है, इसलिए अमेरिका दो परमाणु सबमरीन तैनात करेगा. क्रेमलिन ने इस टिप्पणी से खुद को अलग करते हुए चेतावनी दी थी कि सभी को न्यूक्लियर के संबंध में बयानबाजी बेहद सावधानी के साथ करनी चाहिए.
यहीं हैं रूस के परमाणु ठिकाने
यूरोप से तनाव को देखते हुए रूस ने मरमांस्क और आसपास के इलाकों में ही अपने परमाणु ठिकाने बना रखे हैं. दरअसल यह इलाका नाटो देश नार्वे और फिनलैंड की सीमा से लगता है. ऐसे में रूस ने पहले ही यहां कई नौसेनिक और रणनीतिक हवाई अड्डे बना रखे हैं. इनमें मॉस्को के शक्तिशाली उत्तरी बेड़े के लिए भी हवाई अड्डे शामिल हैं. यह रूस के परमाणु शस्त्रागार में अहम भूमिका निभाता है. यह इसीलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में रूस के अधिकारियों ने कहा है कि मॉस्को अब परमाणु और पारंपरिक मध्यम दूरी और कम दूरी की मिसाइलों पर लगाए गए प्रतिबंधों में शामिल नहीं हैं.
क्या करता है स्निफर प्लेन
WC-135R विमान वायुमंडल से डेटा एकत्र करता है, ताकि ये पता लगा सके कि 1963 की परमाणु संधि कायम है या नहीं. दरअसल अमेरिका, सोवियत संघ और ब्रिटेन के बीच हुए इस समझौते के तहत वायुमंडल में परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. ऐसे में ये विमान न्यूक्लियर मलबे के बादलों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है, ताकि अगर किसी देश ने चुपके से ऐसा किया तो वह पकड़ में आ सके. अगर हाल फिलहाल की बात करें तो अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस की सीमा तक कई बार इस विमान को भेजा है.
रूस कर सकता है न्यूक्लियर क्रूज मिसाइल का टेस्ट
माना जारहा है कि रूस जल्द ही नोवाया जेमल्या स्थित प्रक्षेपण स्थल पर अपनी 9M730 बुरेवेस्टनिक परमाणु ऊर्जा चालित क्रूज़ मिसाइल को टेस्ट कर सकता है. न्यूजवीक की एक रिपोर्ट के मुताबिक नाटो इस मिसाइल को स्काईफॉल के नाम से जानता है. यह मिसाइल परमाणु ऊर्जा से संचालित है और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. यह किसी भी देश के एयर डिफेंस सिस्टम को मात देकर दूर तक यात्रा कर सकती है. सीएनए थिंक टैंक के एनालिस्ट डेकर एवेलेथ ने इस पर लिखा है कि स्निफर की उड़ान रूस के संभावित मिसाइल परीक्षण से ही जुड़ी है.
भूमिगत किए जा रहे परमाणु परीक्षण
अमेरिका की संस्थान आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के मुताबिक पिछले दशकों में ज्यादातर परमाणु परीक्षण भूमिगत तरीके से किए गए हैं. एसोसएिशन के अनुसार 1963 की आंशिक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि ने वायुमंडलीय परीक्षणों को समाप्त कर दिया है, जो परमाणु हथियारों के विकास के शुरुआती दिनों में किया जाता था.आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, कुल 528 शुरुआती परमाणु हथियार परीक्षण वायुमंडल में हुए जिनसे रेडियोधर्मी पदार्थ फैले हैं.
क्या है मध्यम दूरी बैलेस्टिक मिसाइलों पर समझौता
रूस की ओर से लगातार ये कहा जा रहा है कि वह परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अमेरिकी और रूसी लघु दूरी और मध्यम दूरी बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइलों के प्रतिबंध समझौते में अब नहीं है. दरअसल 1987 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत संघ के नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे मध्यम दूरी की परमाणु थशक्ति (आईएनएफ) संधि के रूप में जाना जाता है, जिसके तहत 500 से 5,500 किलोमीटर, यानी लगभग 310 और 3,400 मील की दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.अमेरिका 2019 में इससे अलग हो चुका है, इसके लिए मॉस्को पर क्रूज मिसाइल विकसित किए जाने का आरोप लगाया गया था.
नाटो के आरोप का रूस ने किया खंडन
अमेरिका की तरह ही हाल ही में नाटो ने भी रूस पर संधि का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था, इसका मॉस्को ने खंडन किया है. हाल ही में रूस ने यह भी कहा था कि वह इस संधि के तहत प्रतिबंधित मिसाइलों को तब तक तैनात नहीं करेगा जब तक अमेरिका ऐसा नहीं करता.