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अब नहीं होंगे मिड टर्म एग्जाम

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आइआइएम रांची. वर्किंग विद एआइ प्रोजेक्ट के तहत होगा मूल्यांकन

रांची. आइआइएम रांची में प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र में नयी पहल की गयी है. संस्थान ने पारंपरिक परीक्षा हॉल आधारित मिड टर्म परीक्षाओं को पूरी तरह समाप्त कर दिया है. इसकी जगह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित व्यावसायिक समस्या-समाधान प्रोजेक्ट्स को लागू किया है. इस पहल को वाई यानी वर्किंग विद एआइ प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है, जो पूर्व के मूल्यांकन पद्धति से पूरी तरह अलग होगा. वाई के अंतर्गत वर्तमान समय की व्यावसायिक चुनौतियों और शिक्षण दर्शन का समावेश किया गया है. आइआइएम रांची ने बीते अकादमिक वर्ष से ही अपने पाठ्यक्रम को बदलना शुरू कर दिया था. व्यावहारिक व्यवसायिक समस्या, चुनौतियों और उनके समाधान को केंद्र में रखकर पाठ्यक्रम तैयार किये जा रहे हैं. आइआइएम रांची के डायरेक्टर प्रो दीपक श्रीवास्तव ने कहा कि पारंपरिक व्यावसायिक पद्धति की तुलना में आधुनिक व्यवसाय, व्यापार और प्रबंधक की जिम्मेदारियों में परिवर्तन आया है. इसके लिए केवल किताबी ज्ञान काफी नहीं है, बल्कि बाजार की मांग के अनुरूप तकनीकी व्यवस्थाओं को अपनाने की जरूरत है.

बिजनेस केस स्टडी आधारित प्रोजेक्ट्स पूरे करने होंगे

वर्किंग विद एआइ प्रोजेक्ट के तहत विद्यार्थियों को अब लिखित परीक्षा की जगह बिजनेस केस स्टडी आधारित प्रोजेक्ट्स पूरे करने होंगे. यह बिजनेस केस वास्तविक या काल्पनिक हो सकते हैं. इसमें व्यावसायिक, रणनीतिक या व्यावहारिक चुनौतियों का प्रबंधकीय समाधान एआइ टूल्स की मदद से निकालना होगा. प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए विद्यार्थी को पहले समस्या को चिह्नित करना होगा, इसके बाद संबंधित समस्या के लिए उपयोगी किसी भी एआइ टूल्स का इस्तेमाल कर सकेंगेे. प्रोजेक्ट पूरा होने पर प्राध्यापक विद्यार्थियों के तार्किक, नैतिक व समस्या प्रबंधन के लिए अपनाये गये गुणों का मूल्यांकन करेंगे.

अनिवार्य उपस्थिति के नियम बदले

आइआइएम रांची ने विद्यार्थियों के बीच एटेंडेंस सिस्टम में भी बदलाव किया गया है. इसके अंतर्गत कक्षा में छात्र-छात्राओं के लिए अनिवार्य उपस्थिति के नियम को बदल दिया गया है. उपस्थिति के बदले विद्यार्थियों को कौशल विकास आधारित गतिविधियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की सलाह दी गयी. इससे विद्यार्थी न केवल कौशल विकास गतिविधियों में बढ़चढ़ कर शामिल हो रहे हैं, बल्कि कक्षा में उपस्थिति भी पहले की तुलना में बढ़ गयी है. डीन अकादमिक प्रो तनुश्री दत्ता ने कहा कि हम विद्यार्थियों के लिए ऐसा परिवेश तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं जहां सीखने की प्रक्रिया लगातार जारी रहे.

शैक्षणिक गुणवत्ता से नहीं किया जा रहा समझौता

स्टूडेंट एंगेजमेंट एंड डेवलपमेंट कमेटी (एसइडीसी) के चेयरपर्सन प्रो गौरव मनोहर मराठे ने कहा कि संस्थान ने केवल मिड-टर्म परीक्षा पद्धति में बदलाव किया है. हालांकि, एंड-टर्म परीक्षाएं पारंपरिक हॉल रूम व पेन एंड पेपर मोड पर ही होगी. शिक्षण पद्धति में हाइब्रिड मॉडल को शामिल करने से विद्यार्थियों में आलोचनात्मक सोच, रचनात्मक लेखन और सैद्धांतिक स्पष्टता के साथ-साथ तकनीकी दक्षता को बढ़ावा मिलेगा. यह पहल प्रबंधन शिक्षा में भविष्य की दिशा तय करेगी.

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